उत्तराखंड को अस्थिरता के दौर में नहीं रख सकतेः जाजू

यह सही है कि उत्तराखंड में जल्द चुनाव होने हैं लेकिन राज्य को अस्थिरता के दौर में देखना ठीक नहीं होगा। राज्य में कई गंभीर चुनौतियां हैं जिनसे एक निर्वाचित सरकार ही निपट सकती है।

उत्तराखंड में चल रही राजनीतिक उठापटक पर भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष और राज्य मामलों के पार्टी प्रभारी श्री श्याम जाजू से प्रभासाक्षी के सहयोगी संपादक नीरज कुमार दुबे ने विशेष बातचीत की। जाजू, उत्तराखंड में आई राजनीतिक अस्थिरता के तुरंत बाद से भाजपा के 'प्रयासों' से करीब से जुड़े रहे हैं। विधायकों की राष्ट्रपति भवन तक परेड हो या भाजपा के केंद्रीय व स्थानीय नेताओं के बीच सांमजस्य, जाजू इन दिनों कई भूमिका निभ रहे हैं। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश।

प्रश्न- उत्तराखंड में वर्तमान में क्या भाजपा सरकार बनाने की स्थिति में है?
उत्तर- एक बात स्पष्ट है कि कांग्रेस अल्पमत में है और एक जिम्मेदार राजनीतिक दल होने के नाते भाजपा का कर्तव्य है कि वह राज्य को राजनीतिक अस्थिरता के दौर से उबारे और इसके लिए हमें जो भी करना होगा हम करेंगे। यह हमारी लोकतांत्रिक जिम्मेदारी है।

प्रश्न- मीडिया रिपोर्टों के अनुसार भाजपा में मुख्यमंत्री पद के लिए मारामारी है और पार्टी नेता सतपाल महाराज ने भगत सिंह कोश्यारी के नाम का विरोध किया है। यह कहां तक सच है?
उत्तर- ऐसी कोई बात नहीं है। मीडिया में पता नहीं क्या क्या सूत्रों के हवाले से प्रकाशित होता रहता है। जरूरी नहीं कि पार्टी हर काल्पनिक खबर पर टिप्पणी करे। जहां तक मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की बात है तो जब भी ऐसी स्थिति आएगी पार्टी का संसदीय बोर्ड बैठक करके फैसला करेगा। मीडिया को बेकार की राय बनाने से बचना चाहिए।

प्रश्न- क्या भाजपा को राजनीतिक रूप से यह फैसला ठीक लग रहा है कि राज्य में सरकार बनाई जाए जबकि विधानसभा चुनाव होने में एक साल से भी कम समय बाकी है?
उत्तर- यह सही है कि वहां जल्द चुनाव होने हैं लेकिन राज्य को अस्थिरता के दौर में देखना ठीक नहीं होगा। राज्य में कई गंभीर चुनौतियां हैं जिनसे एक निर्वाचित सरकार ही निपट सकती है। राज्यपाल शासन अस्थायी व्यवस्था ही हो सकती है।

प्रश्न- उच्च न्यायालय ने सदस्यता समाप्त किये गये विधायकों की याचिका पर सुनवाई टाल दी है यदि इन लोगों को कोर्ट से राहत नहीं मिलती तो पार्टी का क्या रुख रहेगा?
उत्तर- पार्टी की नजर न्यायालय के निर्णय पर बनी हुई है। आज मैंने सुना कि संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने भी कहा है कि यदि राष्ट्रपति शासन लग गया है तब विधानसभा अध्यक्ष किसी विधायक की सदस्यता रद्द नहीं कर सकते। इन विधायकों को वोटिंग का हक मिलना चाहिए। हमारी भी यही मांग है और न्यायालय के एक आदेश में यह बात सामने आयी भी है कि इन विधायकों को मत देने दिया जाए।

प्रश्न- राज्य के खर्चों संबंधी अध्यादेश केंद्र सरकार ने लागू कर दिया है। कांग्रेस ने इसका विरोध करते हुए अदालत जाने की बात कही है। कांग्रेस का कहना है कि जब राज्य विधानसभा में बजट पारित हो चुका है तो यह दूसरा बजट क्यों?
उत्तर- कहाँ पारित हो चुका है विधानसभा में बजट। जब विधायकों ने मत विभाजन की मांग की तो विधानसभा अध्यक्ष ने इसे क्यों नहीं सुना। जब विधानसभा में वित्त विधेयक गिर गया तो केंद्र सरकार का दायित्व बनता था कि राज्य के खर्चे चलते रहें इसके लिए संविधान में मौजूद प्रावधानों का उपयोग किया जाए। केंद्र सरकार ने इसलिए अध्यादेश को राष्ट्रपति के पास भेजा जिससे संतुष्ट होने के बाद ही राष्ट्रपति ने उस पर हस्ताक्षर किये। इस पर हंगामा करना बेकार की बात है। यदि कांग्रेस को इस मुद्दे पर अदालत जाना है तो वह जा सकती है।

प्रश्न- क्या भाजपा को हरीश रावत की सरकार को समर्थन देने वाले दलों में से किसी का साथ अब तक मिला है?
उत्तर- मैं यह कह सकता हूं कि हमारे पास बहुमत है जिसका प्रदर्शन हमने देश की राजधानी दिल्ली में किया और राष्ट्रपति महोदय के समक्ष भी इस बात को दोहराया। हरीश रावत अपने साथ 34 विधायकों के समर्थन की बात कर रहे हैं लेकिन सभी जानते हैं कि उत्तराखंड विधानसभा का जो अंक गणित है उसमें 34 विधायकों से बहुमत नहीं मिलता है। जहां तक अन्य दलों के साथ आने की बात है तो समय इसका खुलासा करेगा।

प्रश्न- यदि राज्य में भाजपा या उसके सहयोग से कोई सरकार बनती है तो मुख्यमंत्री भाजपा से ही होगा या कांग्रेस के बागी विधायकों में से कोई होगा?
उत्तर- जाहिर सी बात है कि सबसे बड़ी पार्टी का व्यक्ति ही सरकार का नेतृत्व करता है। फिर भी जब भी ऐसी स्थिति आएगी पार्टी का संसदीय बोर्ड उचित निर्णय करेगा। अभी इस प्रश्न का पूरी तरह जवाब देने से पहले हमें न्यायपालिका के निर्णय पर भी गौर करना होगा।

प्रश्न- कांग्रेस ने अपनी राज्य सरकारों के संरक्षण के लिए राष्ट्रपति से गुहार लगाई है। क्या भाजपा के कांग्रेस मुक्त भारत के अभियान में कांग्रेस सरकारों को हटाने का लक्ष्य भी शामिल है?
उत्तर- कांग्रेस के इस आरोप में कोई दम नहीं है। आप देखिये कि जिन कांग्रेस शासित राज्यों में ऐसी कोई बात सामने आई है उसके पीछे कांग्रेस के ही लोग रहे। अपनी आंतरिक समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए कांग्रेस ऐसी बात कर रही है। आज कांग्रेस में नेतृत्व का गंभीर संकट है तभी पार्टी के समक्ष एक एक करके ऐसी मुश्किलें आ रही हैं।

प्रश्न- उत्तराखंड में हरीश रावत को यदि बहुमत साबित करने का मौका मिलता है तो भाजपा का क्या रुख होगा?
उत्तर- हरीश रावत के पास बहुमत नहीं है यह बात विधानसभा में गत दिनों साबित हो चुकी है। यदि अदालत से उनको फिर बहुमत साबित करने का मौका मिलता है तो भी वह विधानसभा में कामयाब नहीं का पाएंगे। बहुमत हमारे साथ है जब भी अवसर आएगा तब हम इस बात को फिर साबित कर देंगे।

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