क्या है चूड़ामणि सूर्य ग्रहण ? 21 जून को लगने वाले ग्रहण का कैसा होगा असर ?

Solar Eclipse 2020

चूड़ामणि सूर्यग्रहण के दौरान चंद्रमा सूर्य को ना ही आंशिक रूप से ढकता है और ना ही पूर्ण रूप से ही ढक पाता है। बल्कि चंद्रमा सूर्य का 99 प्रतिशत तक का हिस्सा ही ढक पाता है, जिसके कारण सूर्य की छाया एक चूड़े की तरह दिखाई पड़ती है।

21 जून, रविवार को इस साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने वाला है। यह सूर्य ग्रहण 09 बजकर 15 मिनट से शुरू होगा और 03 बजकर 04 मिनट पर समाप्त होगा। अर्थात यह सूर्यग्रहण लगभग 6 घंटे की अवधि का होने वाला है।

विशेषज्ञों के अनुसार, सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है जिसमें सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा के आ जाने की वजह से सूर्य की रोशनी पृथ्वी तक नहीं पहुंचती है और इसे ग्रहण का नाम दिया गया है। इस साल लगने वाला सूर्य ग्रहण, 'चूड़ामणि' सूर्य ग्रहण के नाम से जाना जाएगा। 

आइए जानते हैं...

क्या होता है चूड़ामणि सूर्य ग्रहण?

चूड़ामणि सूर्यग्रहण के दौरान चंद्रमा सूर्य को ना ही आंशिक रूप से ढकता है और ना ही पूर्ण रूप से ही ढक पाता है। बल्कि चंद्रमा सूर्य का 99 प्रतिशत तक का हिस्सा ही ढक पाता है, जिसके कारण सूर्य की छाया एक चूड़े की तरह दिखाई पड़ती है। अर्थात सूर्य वलयाकार आकृति में दिखाई देता है और इसी को चूड़ामणि सूर्यग्रहण कहा जाता है। इस ग्रहण को धरती से देखने पर सूर्य एक जलती हुई अंगूठी या चूड़े के आकार का दिखाई देता है। ज़ाहिर तौर पर इसे चूड़ामणि सूर्यग्रहण के नाम से जाना जाता है।

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सूर्य ग्रहण को देखें अथवा नहीं?

पौराणिक समय में मान्यता रही है कि सूर्य ग्रहण अथवा चंद्र ग्रहण या किसी भी प्रकार के ग्रहण को देखना नहीं चाहिए।

इसके पीछे वजह बताई जाती है कि ग्रहण के दौरान देवताओं पर आफत आयी रहती है, इसलिए इसे देखना नहीं चाहिए। हालांकि, वैज्ञानिक इसे खगोलीय घटना मानते हैं और इसको देखने की भी बात कही जाती है, लेकिन सूर्य ग्रहण को देखने से पूर्व विशेष सुरक्षा का इंतजाम रखना चाहिए और कभी भी खुली आंखों से ग्रहण को नहीं देखना चाहिए। 

वैज्ञानिकों कहना है कि सूर्य ग्रहण को देख सकते हैं लेकिन इसको देखने के लिए सोलर फिल्टर चश्मे या फिर टेलीस्कोप अथवा एल्युमिनेटेड मायलर, ब्लैक पॉलिमर का प्रयोग कर सकते हैं।

ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या नहीं करें!

हमारे देश में यह मान्यता रही है कि ग्रहण के दौरान भोजन या जल किसी को भी ग्रहण नहीं करना चाहिए। अथवा पूर्ण रूप से निर्जल रहकर भगवान का ध्यान करना चाहिए। 

ग्रहण के दौरान पके हुए भोजन को का त्याग कर देना चाहिए और जो चीजें फेंकी नहीं जा सकती हैं जैसे कि कच्चे अनाज, दूध, दही, घी, शहद तो इनके ऊपर ग्रहण से पहले ही तुलसी या कुश पत्ता रखकर सुरक्षित कर देना चाहिए। इसके पीछे वैज्ञानिक रीजन भी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जब ग्रहण लगता है तो उस दौरान कुछ विकिरण पृथ्वी के वातावरण में मिल जाता है जो कि मनुष्यों की सेहत के लिए ठीक नहीं है।  

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इस दौरान बैक्टीरिया अपने चरम पर होती हैं जो किसी भी भोजन को दूषित कर आपके स्वास्थ्य को खराब कर सकती हैं।  इसीलिए पके हुए भोजन का त्याग करने की बात कही जाती है, और ग्रहण के दौरान कुछ भी खाने पीने के लिए मना किया जाता है। ग्रहण के दौरान कहा जाता है कि खाली बैठने की जगह पर आपको भगवान का ध्यान करना चाहिए

कैसा होगा सूर्य ग्रहण का असर?

ज्योतिषियों के अनुसार इस साल का पहला सूर्य ग्रहण काफी बुरा असर उत्पन्न करने वाला है और विश्व के सभी देशों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। ज्योतिषियों का कहना है कि सूर्य ग्रहण की वजह से वर्षा की कमी और फसलों में नुकसान देखने को मिलेगा तो वही पूरे विश्व के सभी बड़े राष्ट्रों में तनाव भी देखा जा सकता है।

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ग्रहण के बाद यह भी कहा जा रहा है कि इस ग्रहण के असर से दुनिया भर में काफी अप्रिय घटनाएं होंगी और आगजनी की घटनाएं भी देखने को मिलेंगी।

कहां-कहां दिखेगा सूर्य ग्रहण?

21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण ना केवल भारत में दिखाई देगा, बल्कि भारत के पड़ोसी राज्य नेपाल, पाकिस्तान, सऊदी अरब, यूनाइटेड अरब अमीरात, इथियोपिया और कांगो जैसे देशों में भी दिखाई देगा। सूर्य ग्रहण की शुरुआत भारत के गुजरात राज्य के द्वारका से होगी और इसका मोक्ष (समाप्ति) नागालैंड की राजधानी कोहिमा में होगी। 

- विंध्यवासिनी सिंह

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