148 साल बाद शनि जयंती के दिन सूर्य ग्रहण, जानें उपाय और कैसा होगा प्रभाव

Solar eclipse Shani Jayanti
अनीष व्यास । Jun 9 2021 1:28PM

इस सूर्यग्रहण की सबसे खास बात है कि जिस दिन सूर्यग्रहण होगा उसी दिन शनि जयंती भी मनाई जाएगी। मान्यताओं के अनुसार सूर्यदेव और शनिदेव पिता-पुत्र हैं और दोनों के बीच में बैर भाव रहता है। जब 10 जून को पिता सूर्य ग्रहण की छाया में रहेंगे तब उसी दिन शनिदेव की जयंती भी मनाई जाएगी।

10 जून 2021 का दिन बहुत ही खास रहने वाला होगा। पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर सूर्यग्रहण लगेगा। इसी तिथि पर सूर्य पुत्र शनिदेव की जयंती भी मनाई जाएगी, जिस कारण से इस तिथि का महत्व बढ़ गया है। जहां एक तरफ पिता सूर्यदेव ग्रहण के साए में रहेंगे तो वहीं पुत्र शनि की जयंती मनाई जाएगी। शनि जयंती पर सूर्यग्रहण लगेगा और यह ग्रहण वलायाकार सूर्य ग्रहण होगा जिसमें सूर्य एक चमकदार अंगूठी के रूप में दिखाई पड़ेगा। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि सूर्यग्रहण और शनि जयंती एक साथ होने के अलावा इस दिन शनिदेव मकर राशि में वक्री रहेंगे। इस तरह का संयोग दोबारा से 148 वर्षों के बाद होने जा रहा है , इससे पहले यह संयोग 26 मई 1873 में हुआ था। भारत में सूर्यग्रहण दिखाई नहीं देगा इस कारण से यहां सूतककाल मान्य नहीं रहेगा। सूतककाल वहीं पर मान्य होता है जहां ग्रहण दिखाई देता है, इसलिए इस सूर्य ग्रहण में न तो मंदिर बंद होंगे और न ही पूजा आराधना। साल का यह दूसरा ग्रहण वृषभ राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लगेगा। 

दुर्लभ संयोग

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इस सूर्यग्रहण की सबसे खास बात है कि जिस दिन सूर्यग्रहण होगा उसी दिन शनि जयंती भी मनाई जाएगी। मान्यताओं के अनुसार सूर्यदेव और शनिदेव पिता-पुत्र हैं और दोनों के बीच में बैर भाव रहता है। जब 10 जून को पिता सूर्य ग्रहण की छाया में रहेंगे तब उसी दिन शनिदेव की जयंती भी मनाई जाएगी। 148 साल बाद शनि जयंती पर सूर्यग्रहण लग रहा है, इससे पहले 26 मई 1873 में इस तरह का संयोग बना था। इस मौके पर जिन जातकों पर शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या महादशा चल रही है उन्हें हनुमान चालीसा का पाठ और शनि से संबंधित चीजों का दान करना शुभफलदायी हो सकता है।

ग्रहण का समय

विख्यात भविष्यवक्ता अनीष व्यास ने बताया कि वैसे तो भारत में सूर्यग्रहण नहीं देखा जा सकेगा, लेकिन भारतीय समयानुसार सूर्यग्रहण का आरंभ 10 जून को दोपहर 01:42 मिनट से शुरू हो जाएगा। शाम 06:41 मिनट पर ग्रहण पूर्णरूप से समाप्त हो जाएगा। ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे की होगा। ग्रहण के दौरान कंकण ग्रहण दोपहर 03 :20 मिनट पर, ग्रहण का मध्यकाल 04:12 मिनट पर होगा।

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कहां-कहां दिखाई देगा ग्रहण

विख्यात कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि साल 2021 का पहला सूर्य ग्रहण अमेरिका, यूरोप, उत्तरी कनाडा, रूस और ग्रीनलैंड में देखा जा सकेगा। भारत में यह ग्रहण नहीं दिखाई देगा। इसके पहले 26 मई को चंद्रग्रहण लगा था। भारत में इस ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा। सूर्यग्रहण में सूतककाल ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले जबकि चंद्रग्रहण में 09 घंटे पहले सूतक लग जाता है। सूतक काल में शुभ कार्य नहीं किए जा सकते हैं और न ही पूजा पाठ।

किस राशि और नक्षत्र में लगेगा सूर्य ग्रहण

विख्यात भविष्यवक्ता अनीष व्यास ने बताया कि साल का पहला यह सूर्यग्रहण वृषभ राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लगेगा। ऐसे में वृषभ राशि के जातकों के लिए इसका प्रभाव सबसे ज्यादा पड़ेगा। ग्रहण के प्रभाव को कम करने के लिए जप-तप करना लाभकारी रहता है। ग्रहण में दान करना और ग्रहण के बाद पूरे घर में गंगाजल से छिड़काव करना चाहिए ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव को कम करने में सहायक होता है।

स्वास्थ्य के लिहाज से अच्छा नहीं है ग्रहण

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि सूर्य ग्रहण के कारण कुछ लोगों को आंखों से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो यह सूर्य ग्रहण स्वास्थ्य के लिहाज से अच्छा नहीं कहा जा सकता। सूर्य पिता और सरकारी क्षेत्र का कारक भी है इसलिए सूर्य ग्रहण के कारण जनता और सरकार के बीच आपसी विश्वास की कमी आ सकती है। इस दौरान देश की सरकार को कुछ मुद्दों को लेकर आम लोगों द्वारा घेरा जा सकता है। पारिवारिक जीवन में पिता के स्वास्थ्य में कमी के कारण कई लोग परेशान हो सकते हैं।

सूर्य ग्रहण के दिन करें यह उपाय 

विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि वृषभ राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लगने जा रहा यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई दे या न दे लेकिन उसका प्रभाव हर किसी के जीवन पर पड़ता है। ऐसे में ग्रहण के दौरान जप-तप व दान करना बहुत ही पुण्यदायी माना जाता है। शास्त्रों में ग्रहण के अशुभ प्रभाव को खत्म करने के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं। इन उपायों के करने से ना सिर्फ कुंडली में ग्रह.नक्षत्रों की स्थिति मजबूत होती है बल्कि जीवन में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती। आइए जानते हैं ग्रहण के दिन किए जाने वाले इन उपायों के बारे में।

इन वस्तुओं का करें दान

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि 148 साल के बाद सूर्यग्रहण और शनि जयंती एक साथ होने के कारण इसका महत्व काफी बढ़ गया है। ऐसे में कुंडली में सूर्य और शनि को मजबूत करने के लिए इनसे जुड़े हुए उपाय जरूर करना चाहिए। शनि जयंती पर शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए तेल, काला कपड़ा, उड़द, लोहा, काली गाय, काले फूल, काला तिल, अर्पित करना चाहिए। वहीं सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए जल चढ़ाएं।

ग्रहण के समय करें जप-तप व दान 

विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि ग्रहण दुनिया में कहीं भी लगे या दिखाई भी न दे लेकिन उसका प्रभाव समस्त मानव जीवन पर पड़ता है। ऐसे में ग्रहण के दौरान जप-तप व दान करना बहुत पुण्यदायी माना जाता है और ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचाता है। ग्रहण से पहले खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते डाल दें और ग्रहण के खत्म होने के बाद घर की साफ-सफाई करें और पूरे घर में गंगाजल से छिड़काव करें। वहीं गरीब व जरूरतमंदों को दान करें।

ग्रहण के अशुभ प्रभाव से मुक्ति के लिए जलाएं दीपक

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि सूर्यग्रहण के बाद सरसों के तेल का दीपक जलाएं और पूरे घर में गुग्गल का धुंआ करें। ऐसा करने से ग्रहण का अशुभ प्रभाव दूर हो जाएगा। मंत्रों का भी हमारे जीवन पर काफी प्रभाव पड़ता हैए इसलिए ग्रहण काल के दौरान सूर्य मंत्र या इष्टदेवों का मंत्र जप कर सकते हैं। ऐसा करने से भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं और ग्रहण के अशुभ प्रभाव से मुक्त कर देते हैं।

पितरों के आशीर्वाद से घर में बनी रहती है सुख-शांति

विख्यात भविष्यवक्ता अनीष व्यास ने बताया कि ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन सूर्यग्रहण के बाद पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और अपने पितरों को याद करते हैं दूध से बनी मिठाई के पांच टुकड़ा रख दें। फिर सात परिक्रमा करें और आसपास मौजूद गरीब व जरूरतमंद व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें। ऐसा करने से सूर्य ग्रहण का शुभ फल मिलता है और भाग्य भी उदय होता है। इसके साथ ही पितरों के आशीर्वाद से घर में सुख-शांति बनी रहती है।

मंत्र जप से परेशानियों से मिलती है मुक्ति

विख्यात कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि सूर्य-केतु की युति होने पर सूर्य ग्रहण के समय तिलए नींबू और पका केला लें और फिर उसको बहते हुए पानी में प्रवाहित कर दें। इसके बाद गायत्री मंत्र या फिर महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। ऐसा करने से ग्रहण का शुभ फल मिलता है और जीवन में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती। मंत्र और इस उपाय के करने से जीवन में सभी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है।

आय में वृद्धि के लिए करें आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ

विख्यात भविष्यवक्ता अनीष व्यास ने बताया कि सूर्यग्रहण के दौरान आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना बहुत ही कल्याणकारी माना गया है। इसका पाठ करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है और सूर्य अनुकूल प्रभाव देने लगते हैं। इस पाठ के करने से मंदी के दौर में भी आय में वृद्धि होती है और नौकरी में भी प्रमोशन की संभावना बनी रहती है। वहीं ग्रहण के बाद गाय माता के लिए गौ ग्रास अवश्य निकालें।

समाज में मिलता है मान-सम्मान

विख्यात कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि सूर्यग्रहण के बाद परिवार के सभी सदस्यों से कुछ सिक्के लेकर धन इकट्ठा कर लें फिर शाम के समय पूरे पैसे मंदिर में दान कर दें। इसके बाद गेहूं गुड़ तांबे चना व तिल का दान करें। ऐसा करने से राहु-केतु के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है और ईश्वर की कृपा बनी रहती है। साथ ही समाज में आपको मान-सम्मान मिलता है और कॅरियर में ग्रोथ की संभावना भी बढ़ जाती है।

ग्रह-नक्षत्र देते हैं शुभ फल

विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि सूर्यग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए ग्रहण के तुरंत बाद घर की साफ-सफाई करें और स्नान करें। फिर पूरे घर में गंगाजल से छिड़काव करें और नए वस्त्र धारण करें। ग्रहण काल में अगर आपने कोई दान देने वाली वस्तु रखी थी तो उसका दान करें। सायंकाल के समय मंदिर मे जाकर ईश्वर के दर्शन करें। ऐसा करने से आपकी सभी समस्याएं दूर होंगी और ग्रह-नक्षत्रों का भी शुभ फल प्राप्त होगा।

- अनीष व्यास

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक

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