बादामी में BJP की राह मुश्किल, मतदाता सिद्धारमैया के समर्थन में
सेना के हवलदार 40 वर्षीय कमन्ना हेगरी ने उत्तर कर्नाटक के इस ऐतिहासिक शहर के नजदीक अपने गांव का दौरा करने के लिए एक महीने की छुट्टी ली है।
बादामी (कर्नाटक)। सेना के हवलदार 40 वर्षीय कमन्ना हेगरी ने उत्तर कर्नाटक के इस ऐतिहासिक शहर के नजदीक अपने गांव का दौरा करने के लिए एक महीने की छुट्टी ली है। उनका मकसद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के लिए वोट देना है जो बादामी से विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में काफी संख्या में कुरूबास समुदाय के लोग रहते हैं और मुख्यमंत्री भी इसी समुदाय से आते हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के मुस्लिम और अन्य पिछड़ी जातियों की काफी संख्या में मौजूदगी है। ये सभी जातियां सिद्धारमैया का समर्थन करती हैं।
बहरहाल , मतदाताओं का एक वर्ग सिद्धारमैया के यहां से चुनाव लड़ने के इस निर्णय से खुश नहीं है क्योंकि उन्होंने इसे अपने दूसरे विकल्प के तौर पर चुना है। इस तरह की खबरें हैं कि मैसुरू जिले के चामुंडेश्वरी में उनकी स्थिति अच्छी नहीं है। हेगरी ने पूछा, ‘‘मैं सिद्धारमैया के लिए वोट देने आया हूं। क्या यह गौरव की बात नहीं है कि एक वर्तमान मुख्यमंत्री हमारी जगह से चुनाव लड़ रहा है।’’उन्होंने दावा किया कि बगलकोट जिले के बादामी के रहने वाले सेना के कई जवान सिद्धारमैया को वोट देने के लिए घर लौट रहे हैं। ।बादामी के मतदाता वीरेश ने कहा, ‘‘क्या वह (सिद्धारमैया) बाहरी नहीं हैं ? पिछले पांच वर्षों में उन्होंने बादामी के लिए क्या किया है?
मीडिया की कुछ रिपोर्ट के मुताबिक वह यहां से इसलिए चुनाव लड़ रहे हैं कि चामुंडेश्वरी में जीत को लेकर वह आश्वस्त नहीं हैं।’’ एक अन्य मतदाता का कहना है कि मुख्यमंत्री का यहां से चुनाव लड़ने का निर्णय ‘‘अवसरवादिता’’ है। एक व्यक्ति ने कहा, ‘‘पिछले पांच वर्षों में सिद्धारमैया कितनी बार बादामी आए? अगर वह यहां और चामुंडेश्वरी से जीतते हैं तो निश्चित तौर पर वह इस सीट को छोड़ देंगे।’’
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