मोदी की यात्रा से पहले सिद्धरमैया ने कन्नड़ गौरव की याद दिलाई
कर्नाटक में नरेंद्र मोदी के तूफानी चुनावी दौरे से पहले कन्नड़ गौरव की याद दिलाते हुए मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने प्रधानमंत्री से राज्य के ध्वज को मंजूरी देने का आग्रह किया है।
बेंगलूरू। कर्नाटक में नरेंद्र मोदी के तूफानी चुनावी दौरे से पहले कन्नड़ गौरव की याद दिलाते हुए मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने प्रधानमंत्री से राज्य के ध्वज को मंजूरी देने का आग्रह किया है। मोदी के कन्नडिगा होने के हालिया दावे पर उन्हें बधाई देते हुए सिद्धरमैया ने कई ट्वीट करके हिंदी को कथित तौर पर थोपे जाने पर चिंता जताई। सिद्धरमैया ने अपने ट्वीट में कहा, ‘‘खुद को कन्नडिगा घोषित करने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई। कन्नडिगा बनने का मतलब कन्नड़ भाषा , नाड गीते (राज्य गीत), नाड ध्वजा (राज्य के ध्वज) को स्वीकार करना है।’’ सिद्धरमैया ने कन्नड़ में किये गए अपने ट्वीट में कहा, ‘‘कर्नाटक के राज्य ध्वज को मंजूरी देकर क्या आप असली कन्नडिगा बनेंगे।’’ विधानसभा चुनाव से पहले ‘कन्नडिगा गौरव’ को उभारते हुए सिद्धरमैया ने मार्च में कर्नाटक के प्रस्तावित आधिकारिक ध्वज का अनावरण किया था। इस आयताकार ध्वज में लाल, सफेद और पीले रंग की पट्टी है।
झंडे को 'नाड ध्वज' नाम दिया गया है। झंडे के बीच में राज्य का प्रतीक दो सिर वाला पौराणिक पक्षी 'गंधा भेरुण्डा' बना हुआ है। प्रस्ताव को अनिवार्य मंजूरी के लिये केंद्र के पास भेजा गया है। एक अन्य ट्वीट में सिद्धरमैया ने कहा कि कन्नडिगा बनने का मतलब है कन्नड़ को महत्व देना और हिंदी को जबरन नहीं थोपना। उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या आप कन्नडिगा बनने को तैयार हैं।’’ गत 26 अप्रैल को अपने मोबाइल ऐप के जरिये भाजपा नेताओं, पदाधिकारियों और निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ संवाद में मोदी ने दावा किया था कि वह भी कन्नडिगा हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आपकी तरह ही मैं भी कर्नाटक से कार्यकर्ता बना। इस पर विश्वास करके आगे बढ़ें। मैं भी कन्नडिगा हूं। मैं आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करूंगा।’ सिद्धरमैया ने कहा कि कन्नडिगा बनने का मतलब है कर्नाटक की जमीन, जल और भाषा की रक्षा करने के लिये प्रतिबद्ध होना। मुख्यमंत्री ने पूछा, ‘‘क्या आप महादयी नदी के जल को साझा करने पर विवाद का समाधान करने के लिये तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाएंगे।’’
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