सिद्धरमैया के दूसरी सीट से चुनाव लड़ने को लेकर संदेह बरकरार
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने आज कहा कि उनके बादामी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने पर कांग्रेस आलाकमान फैसला लेगा। इसके साथ मुख्यमंत्री के दूसरा निर्वाचन क्षेत्र चुनने को लेकर संदेह बना हुआ है।
बेंगलुरू। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने आज कहा कि उनके बादामी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने पर कांग्रेस आलाकमान फैसला लेगा। इसके साथ मुख्यमंत्री के दूसरा निर्वाचन क्षेत्र चुनने को लेकर संदेह बना हुआ है। सिद्धरमैया को मैसुरू के चामुंडेश्वरी सीट से टिकट दिया गया है। उत्तरी कर्नाटक क्षेत्र से चुनाव लड़ने को लेकर मीडिया के बार बार सवाल पूछने से नाराज दिख रहे सिद्धारमैया ने कहा कि वह मुख्यमंत्री हैं, आलाकमान नहीं। उन्होंने मैसुरू में संवाददाताओं से कहा, ‘‘बादामी को लेकर आलाकमान फैसला करेगा। मुख्यमंत्री सोमवार से मैसुरू में हैं और चामुंडेश्वरी एवं वरूणा निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव प्रचार कर रहे हैं जहां से क्रमश: वह और उनका बेटा यतींद्र उम्मीदवार हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह बादामी का चयन करते हुए दो सीटों से चुनाव लड़ेंगे, सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘(मैं वही करूंगा) जो आलाकमान फैसला लेगी।’’ एक दूसरे सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि 23 या 24 अप्रैल तक बादामी सीट को लेकर स्थिति साफ हो जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘मैं आलाकमान नहीं हूं, मैं राज्य का मुख्यमंत्री हूं। मुझे नहीं पता वे (आलाकमान) क्या निर्देश देंगे, देखना होगा।’’ सिद्धरमैया ने संवाददाताओं से मुद्दे को लेकर सवाल ना दोहराने की मांग करते हुए कहा, ‘‘वहां के लोग ऊहापोह में नहीं हैं, बादामी के लोग पूरी तरह स्पष्ट हैं। केवल आप (मीडिया) ऊहापोह में हैं।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनपर अब भी बादामी से चुनाव लड़ने का दबाव है जिससे इस बात को लेकर अटकलें तेज हो गयी हैं कि वह किसी वैकल्पिक या दूसरी सीट का चयन करेंगे। ।।ऐसा कहा जा रहा है कि सिद्धरमैया दोनों सीटों ( चामुंडेश्वरी और बादामी ) से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन कांग्रेस ने उनकी मांग दरकिनार करते हुए 15 अप्रैल को 218 सीटों के लिए उम्मीदवारों की सूची घोषित कर दी जिसमें बादामी सीट से देवराज पाटिल को पार्टी ने टिकट दिया। लेकिन पाटिल को बी - फॉर्म जारी करने का काम अभी रोक दिया गया है। राजनीतिक दलों को अपने उम्मीदवार के नाम का उल्लेख करते हुए बी फार्म भरना होता है। कहा जाता है कि दोनों सीटों से चुनाव लड़ने के सिद्धरमैया की कथित ख्वाहिश का मल्लिकार्जुन खड़गे और वीरप्पा मोइली जैसे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने विरोध किया था जिसके बाद पाटिल को टिकट दिया गया।
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