(राजनीतिक हालात पर कविता) तुमसे ही सवाल क्यूँ?
स्वतंत्र लेखिका शालिनी तिवारी जोकि जल, प्रकृति एवं समसामयिक मसलों पर लेखन के साथ साथ वर्षों से मूल्यपरक शिक्षा हेतु विशेष अभियान का संचालन भी करती हैं पेश कर रही हैं आज के राजनीतिक हालात पर एक कविता।
जय जवान जय किसान
दोनों आज बेहाल हैं
एक सीमा पर खड़ा है
दूजा खेत में डटा है
अन्न और रक्षा से ही
देश आज भी खड़ा है
देश के जवानों की
वेतन इतनी कम है क्यूँ ?
अन्नदाता आत्महत्या और
भुखमरी का शिकार क्यूँ ?
सबका साथ सबका विकास
इसका उल्टा दिखता क्यूँ ?
फिर तुम मुझसे क्यूँ पूछते हो
तुमसे ही सवाल क्यूँ .....?
यह तो गर्व का विषय है
हिन्द नौजवान है
आज दशा देखकर
सत्ता से सवाल है
पीएम साहब कहते हो कि
मै तो पहरेदार हूँ
पढ़ लिखकर नौजवान
ज्यादातर बेरोजगार क्यूँ ?
तुम तो कहते हो कि ये
गरीबों की सरकार है
फिर गरीब अमीर में दूरियाँ
लगातार बढ़ रही हैं क्यूँ ?
फिर तुम मुझसे क्यूँ पूछते हो
तुमसे ही सवाल क्यूँ .....?
अन्ना जी के आन्दोलन की
रोज दुहाई देते थे
लोकपाल के तरफदार बन
खुद को गाँधीवादी कहते थे
सत्ता में जब आऊँगा तो
जन लोकपाल बनाऊँगा
हिन्दुस्तान के हर खाते में
पन्द्रह लाख भेजवाऊँगा
बीत चले इन तीन बरस में
तुम अपने वादे भूल गए
ललित मोदी और माल्या पर
कार्यवाही क्यूँ न कर पाए तुम ?
फिर तुम मुझसे क्यूँ पूछते हो
तुमसे ही सवाल क्यूँ .....?
लोकतंत्र का चौथा खम्भा
भी अब बिकता दिख रहा है
सस्ती लोकप्रियता पर आज
सत्ता का सिरमौर खड़ा है
मै तो छोटी कलमकार हूँ
सच पर मरने वाली हूँ
कलम प्रथा की मर्यादा को
कायम रखनें वाली हूँ
नहीं चाहिए वाह मुझे इन
चोरों और लुटेरों से
गर तुम कर न सकते हो तो
जुम्लेबाजी करते क्यूँ ?
फिर तुम मुझसे क्यूँ पूछते हो
तुमसे ही सवाल क्यूँ .....?
- शालिनी तिवारी
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