भीष्म साहनी के लेखन में था त्रासदी का चित्रण
बहुमुखी प्रतिभा के धनी भीष्म साहनी आम लोगों की आवाज उठाने और हिंदी के महान लेखक प्रेमचंद की जनसमस्याओं को उठाने की परंपरा को आगे बढ़ाने वाले साहित्यकार के तौर पर पहचाने जाते हैं।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी भीष्म साहनी आम लोगों की आवाज उठाने और हिंदी के महान लेखक प्रेमचंद की जनसमस्याओं को उठाने की परंपरा को आगे बढ़ाने वाले साहित्यकार के तौर पर पहचाने जाते हैं। विभाजन की त्रासदी पर ‘तमस’ जैसे कालजयी उपन्यास लिखने वाले साहनी ने हिंदुस्तानी भाषा के उपयोग को बढ़ावा दिया। साहित्यकार राजेंद्र यादव ने कहा, ‘‘भीष्म साहनी ने दबे कुचले और समाज के पिछड़े लोगों की समस्याओं को जनभाषा में अत्यंत सटीक तरीके से अपनी रचनाओं में अभिव्यक्त किया है। यही वजह है कि उन्हें प्रेमचंद की परंपरा का साहित्यकार कहा जाता है।’’ प्रख्यात आलोचक नामवर सिंह भी साहनी को प्रेमचंद की परंपरा के अहम और प्रमुख रचनाकार मानते हैं। जिस तरह से प्रेमचंद ने सामाजिक वास्तविकता और पूंजीवादी व्यवस्था के दुष्परिणामों को अपनी रचनाओं में चित्रित किया उन्हीं विषयों को आजादी के बाद साहनी ने अपनी लेखनी का विषय बनाया।
साहनी का जन्म रावलपिंडी (पाकिस्तान) में हुआ था। विभाजन के बाद वह भारत आ गए। बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में साहनी ने उनके भारत आने की परिस्थिति का उल्लेख किया था। उन्होंने बताया था कि वह स्वतंत्रता समारोह का जश्न देखने रावलपिंडी से सप्ताह भर के लिये दिल्ली आये थे। उनकी पंडित नेहरू को लालकिले पर झंडा फहराते और हिन्दुस्तान की आजादी का जश्न देखने की हसरत थी। लेकिन जब वह दिल्ली पहुंचे तो पता चला कि गाडियां बंद हो गयीं और फिर उनका लौटना नामुमकिन हो गया। भीष्म साहनी ने तमस के अलावा झरोखे, बसंती, मय्यादास की माडी जैसे उपन्यासों और हानूश, माधवी, कबिरा खड़ा बाजार में जैसे चर्चित नाटकों की भी रचना की। भाग्यरेखा, निशाचर, मेरी प्रिय कहानियां उनके कहानी संग्रह हैं।
राजेंद्र यादव ने बताया कि विभाजन के बाद पाकिस्तान से देश में आने वाले लोगों की मनोदशा और समस्याओं का अत्यंत ही सजीव और वास्तविक वर्णन उन्होंने तमस में किया है। यादव ने उनके साथ अपने संबंधों को ताजा करते हुए कहा कि विभाजन के बाद भारत में ही बस गए साहनी बड़े ही जिंदादिल इंसान थे। अत्यंत साधारण से दिखने वाले साहनी जब तब फोन करके किसी घटना को मजेदार चुटकुले के रूप में बताते थे। बहुमुखी प्रतिभा के धनी साहनी ने नाटकों के अलावा फिल्मों में भी काम किया है। मोहन जोशी हाजिर हो, कस्बा के अलावा मिस्टर एंड मिसेज अय्यर फिल्म में उन्होंने अभिनय किया।
साहनी की कृति पर आधारित धारावाहिक ‘तमस’ काफी चर्चित रहा था। यादव ने बताया कि वह भारतीय नाट्य संघ इप्टा से भी जुड़े हुए थे। स्वाभाविक रूप से उनकी रुचि अभिनय में थी और वह फिल्मों की ओर भी आकर्षित हुए। बेहद सादगी पंसद रचनाकार और दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य के प्रोफेसर साहनी को पद्म भूषण, साहित्य अकादमी पुरस्कार और सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया। समाज के अंतिम व्यक्ति की आवाज उठाने वाले इस लेखक का निधन 11 जुलाई 2003 को दिल्ली में हुआ।
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