ऐसे कैसे भ्रष्टाचार मिटा देंगे...(व्यंग्य)

How to erase corruption ... (satire)
विजय कुमार । Nov 9 2017 2:08PM

आजकल शादी-विवाह का सीजन है। देवोत्थान एकादशी कुछ दिन पहले ही थी। चार महीने बाद गहरी नींद से देवता जगे और बाकी सारे काम छोड़कर शादियों में व्यस्त हो गये।

आजकल शादी-विवाह का सीजन है। देवोत्थान एकादशी कुछ दिन पहले ही थी। चार महीने बाद गहरी नींद से देवता जगे और बाकी सारे काम छोड़कर शादियों में व्यस्त हो गये। मेरी रिश्तेदारी में भी दो शादियां थीं। उन्हें निबटाकर लौटा, तो एक दिन सामान व्यवस्थित करने में लगा। इसके बाद अपने मित्रों से मिलने की सुध आयी।

सबसे पहले मेरे मन में शर्मा जी का नाम आया। इतने दिन से उनसे न भेंट हुई और न ही फोन। मैं ये सोच ही रहा था कि उनके घर से फोन आ गया। भाभी जी मुझे जल्दी वहां आने को कह रही थीं। मैं वहां गया, तो माहौल बड़ा उदासी भरा था। ऐसा लग रहा था, मानो शर्मा जी ‘उदासीन सम्प्रदाय’ में शामिल हो गये हों। वे अपनी कुर्सी पर ऐसे बैठे थे, जैसे तथागत बुद्ध समाधि अवस्था में विराजे हों।

मैंने शर्मा जी को हिलाया-डुलाया, तो उन्होंने आंखें खोलकर फिर बंद कर लीं। भाभी जी ने बताया कि सुबह से इनका यही हाल है। न जाने क्या खबर पढ़ी है कि मुंह पर ताला जैसा लग गया है। मैंने उनके सामने रखा अखबार देखा, तो उसमें ‘नीति आयोग’ के मुखिया का वक्तव्य बड़े-बड़े अक्षरों में छपा था कि 2022 तक भारत भ्रष्टाचार मुक्त हो जाएगा। शर्मा जी ने उसे मोटे पेन से गोलाकार घेर दिया था। मैं उनकी उदासी का कारण समझ गया।  

मैंने शर्मा जी के कान में मुंह लगाकर जोर से कहा, ‘‘शर्मा जी, उठिये। बुरा दौर बीत गया है। आपके अच्छे दिन फिर शुरू होने वाले हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने नीति आयोग को उसकी गलत नीतियों के कारण भंग कर दिया है।’’ इतना सुनते ही शर्मा जी की आंखें खुल गयीं। मैंने भाभी जी को दो कप कड़क चाय लाने को कहा। चाय पीकर शर्मा जी की चेतना लौट आयी। 

- वर्मा, क्या सचमुच मोदी ने नीति आयोग को भंग कर दिया है ?

- कैसी बात कर रहे हैं शर्मा जी, मोदी ने तो योजना आयोग को समाप्त कर नीति आयोग बनाया है। वे अपनी बनायी हुई संस्था को कैसे भंग कर सकते हैं ?

- लेकिन ये बात तो तुमने ही कही थी कि.. ?

- ये तो आपकी उदासी तोड़ने के लिए फेंकी गयी एक ‘गुगली’ थी शर्मा जी। 

- यानि तुमने झूठ बोला ? तुम्हें पाप लगेगा वर्मा।

- शर्मा जी, दूसरों के हित के लिए बोले गये झूठ से पाप नहीं लगता; लेकिन आप ये बताइये कि नीति आयोग की किस बात से आपके दिल को चोट लगी ?

- तुम दिल मत जलाओ वर्मा। खुदा नीति आयोग वालों का बेड़ा गर्क करे। वे कह रहे हैं कि 2022 तक भारत से भ्रष्टाचार मिटा देंगे।

- तो इसमें बुरा क्या है; यदि भ्रष्टाचार समाप्त हो गया, तो सबका भला ही होगा ?

- भाड़ में जाएं सब। यदि भ्रष्टाचार मिट गया, तो सरकारी दफ्तरों में उल्लू बोलने लगेंगे। कई सरकारी कर्मचारी तो दफ्तर में आते ही इसीलिए हैं। भ्रष्टाचार के रास्ते खुले हैं, इसीलिए सरकारें चल रही हैं। रिश्वत का तेल न मिले, तो फाइलें बीच रास्ते में ही दम तोड़ दें। जो लोग भारत से भ्रष्टाचार मिटाना चाहते हैं, वे चीन और पाकिस्तान के हाथों में खेल रहे हैं। वे चाहते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो जाए। ऐसे लोग देश के दुश्मन हैं।

- लेकिन शर्मा जी, अब तो आप रिटायर हो गये हैं। आपने अपने समय में खूब कमाया और खाया। अब यदि भ्रष्टाचार समाप्त हो जाए, तो आपको क्या अंतर पड़ेगा ?

- बहुत अंतर पड़ेगा। मैंने जहां 40 साल बिताये हैं, वहां की रग-रग को जानता और पहचानता हूं। आज भी बहुत से लोग अपने काम के लिए मेरे पास आते हैं। मेरे एक फोन से उनकी फाइल मंजिल पर पहुंच जाती है। इसीलिए तो मुझे अपनी गाड़ी और रसोई के ईंधन में पैसे नहीं खर्चने पड़ते। मेरे बिजली और पानी के बिल अपने आप ही जमा हो जाते हैं। मैं नीति आयोग की इन बेहूदी नीतियों का घोर विरोधी हूं। 

- लेकिन मोदी बहुत सख्त आदमी है शर्मा जी। अगर वो आगे भी प्रधानमंत्री बने रहे, तो भ्रष्टाचार को मिटा कर रहेंगे।

- वर्मा जी, भ्रष्टाचार भारत की नसों में दौड़ने वाले खून की तरह है। इसे मिटाने की कोशिश करने वाले मिट जाएंगे; पर ये सदा रहेगा। इसलिए जाकर मोदी से कह दो कि भ्रष्टाचार से न लड़े। जो इससे टकरायेगा, चूर-चूर हो जाएगा।

इतना कहते-कहते शर्मा जी का चेहरा अंगारे की तरह लाल हो गया। सांसें धौंकनी की तरह चलने लगीं। उन्होंने गुस्से में चाय का कप दीवार पर दे मारा और उस अखबार को फाड़कर चिंदी-चिंदी कर दिया, जिसमें नीति आयोग के अध्यक्ष का वक्तव्य छपा था।

- विजय कुमार

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