केजरीवाल का माफी एप (व्यंग्य)

Kejriwal sorry app
विजय कुमार । Mar 22 2018 4:35PM

मैंने बहुत मना किया, पर शर्मा जी चुनाव लड़ ही गये। अब चुनाव में तो कई तरह की झूठी-सच्ची बातें कहनी पड़ती हैं। शर्मा जी भी सुबह से शाम तक मुंह फाड़कर मन की भड़ास और दिमागी गंदगी बाहर निकालते रहे।

मैंने बहुत मना किया, पर शर्मा जी चुनाव लड़ ही गये। अब चुनाव में तो कई तरह की झूठी-सच्ची बातें कहनी पड़ती हैं। शर्मा जी भी सुबह से शाम तक मुंह फाड़कर मन की भड़ास और दिमागी गंदगी बाहर निकालते रहे। उनकी एक पहचान तो गंदे मफलर से थी, दूसरी इन बेसिर पैर की बातों से हो गयी। ऐसा कहते हैं कि शराबी और जुआरी भीड़ में भी अपने जैसे लोगों को ढूंढ लेते हैं। शर्मा जी को भी ऐसे बड़बोले लोग मिल गये और उन्होंने पूरा चुनावी वातावरण ख़राब कर दिया।

लेकिन शर्मा जी ने जिनके खिलाफ बेहूदे बयान दिये थे, उन्होंने चुनाव के बाद साफ कह दिया कि या तो शर्मा जी माफी मांगें, अन्यथा वे कोर्ट में चले जाएंगे। शर्मा जी ठहरे अकड़ूखां। उन्होंने माफी मांगने से इनकार कर दिया। इतना ही नहीं, अपने कुछ मुंहफट साथियों से भी ऐसे ही बयान दिलवा दिये। 

लेकिन इससे आग में घी पड़ गया। शर्मा जी और उनके साथियों ने जिनके खिलाफ बकवास की थी, वे सब न्यायालय में चले गये। शर्मा जी के पास प्रमाण तो थे नहीं। वे तो चुनाव में हवा बनाने के लिए ये सब बोल रहे थे। उन्हें क्या पता था कि लेने के देने पड़ जाएंगे। 

अब हाल ये है कि शर्मा जी का हर दूसरा दिन कोर्ट में बीतता है। उन्हें ठीक से याद भी नहीं कि उन्होंने किस पर क्या आरोप लगाये थे ? इस चक्कर में रिश्तेदारों के यहां सुख-दुख में जाना बंद हो गया। पैसे की कमी तो उन्हें कभी रही नहीं। उनके मित्र भी खूब थे; पर अब वे भी हाथ खींचने लगे। गाली बकते समय तो शर्मा जी ने उनसे पूछा नहीं था, तो फिर अब वे उनका साथ क्यों दें ? शर्मा जी का हाल ‘‘न खुदा ही मिला न बिसाल ए सनम, न इधर के रहे न उधर के रहे’’ जैसा हो गया।

इस कारण शर्मा जी की हालत आजकल खराब है। वे किसी से मिलने जाएं या कोई उनसे मिलने आये, थोड़ी ही देर में बात मुकदमों की चल पड़ती है। शर्मा जी चाहते हैं कि थूकना पड़े या चाटना; पर अब बात निबटे। कल शर्मा जी मेरे घर आये, तो अपनी व्यथा का डिब्बा खोल कर बैठ गये। मेरा भतीजा राघव बंगलौर की एक बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करता है। वह आया हुआ था। शर्मा जी की बात सुनकर उसके दिमाग की बत्ती जलने लगी। उसने शर्मा जी से पूछा- चाचा जी, इस काम में अगर आधुनिक तकनीक का सहारा लें, तो आपको कोई आपत्ति तो नहीं है ?

- नहीं, मुझे क्या आपत्ति हो सकती है; पर ये होगा कैसे ?

- उसकी चिन्ता आप न करें। आप ये बताएं कि ऐसे माफी मांगने वाले आप अकेले हैं या और लोग भी हैं ?

- होंगे तो बहुत सारे, पर मुझे सिद्धू सिंह के बारे में पक्का पता है। वे भी आजकल माफी मांगते फिर रहे हैं।

- ठीक है, मैं एक सॉफ्टवेयर बना देता हूं। उससे आप घर बैठे बिना किसी खर्च के माफी मांग सकते हैं। कुछ लोगों को व्यक्ति और संस्थाओं पर झूठे आरोप लगाने की खानदानी बीमारी है। ऐसे सब लोगों का इससे भला होगा।

- उस सॉफ्टवेयर में क्या होगा ?

- उसमें कुछ कॉलम होंगे। आरोप भरते ही उनकी धाराएं और उसके लिए सजा, उस क्षेत्र का थाना और कोर्ट भी दिखाई देने लगेगा। ये वो व्यक्ति भरेगा, जिस पर आपने आरोप लगाये हैं। फिर ‘क्लिक’ करने पर आप उससे माफी मांगते दिखाई देंगे। उसके कहने पर आप हाथ जोड़ेंगे, कान पकड़ेंगे, पैर छुएंगे और अगर वो चाहे, तो मुर्गा भी बनेंगे।

- पर बेटा, इससे तो बहुत बदनामी होगी ?

- ये तो आपको सोचना है चाचा जी। आपने बिना प्रमाण जिन लोगों की बदनामी की है, उनसे बचने का ये सरल तरीका है। चौराहे पर मुर्गा बनने से अच्छा कम्प्यूटर पर मुर्गा बनना है। जो कम्प्यूटर खोलेगा, वही तो इसे देखेगा। वरना कोर्ट और जेल का रास्ता तो है ही। 

ये सुनते ही शर्मा जी को बिच्छू का डंक जैसा लगा। उन्होंने मन मारकर स्वीकृति दे दी। राघव रात भर लैपटॉप पर बैठकर काम करता रहा। सुबह जब मैं उठा, तो उसके चेहरे पर थकान के साथ ही सफलता की मुस्कान भी थी। मेरे पूछने पर उसने उस सॉफ्टवेयर का नाम ‘‘केजरी-सिद्धू-माफीएप’’ बताया।

सुना है शर्मा जी जैसे सैकड़ों झूठावतारों ने इसे डाउनलोड कर लिया है। आपको भी किसी से माफी मांगनी या मंगवानी हो, तो इसे प्रयोग करके देखें। एक महीने तक यह फ्री है। उसके बाद पैसे लगेंगे।

-विजय कुमार

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़