सट्टे को मान्यता (व्यंग्य)

legal betting (satire)
संतोष उत्सुक । Jul 28 2018 4:34PM

विश्वगुरु व विश्वशक्ति बनने जा रहे देश के समझदार लोग जब कहें कि समाज में अवैध रूप से चल रही ‘बुराइयों’ को वैध कर देना चाहिए तो उनकी बात पर आँखें खोल कर गौर किया जाना लाज़मी हो जाता है।

विश्वगुरु व विश्वशक्ति बनने जा रहे देश के समझदार लोग जब कहें कि समाज में अवैध रूप से चल रही ‘बुराइयों’ को वैध कर देना चाहिए तो उनकी बात पर आँखें खोल कर गौर किया जाना लाज़मी हो जाता है।  सही वक़्त आ गया है अब हमारे सभ्य समाज में किसी भी किस्म की बुराई नहीं रहनी चाहिए। पिछले दिनों छपी खबरें पढ़वाती हैं कि विधि आयोग ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में सट्टे को वैधानिक बनाने की सिफ़ारिश की है। क्यूंकि सट्टे पर पूर्ण प्रतिबंध लगभग नाकाम रहा है और सट्टेबाजी धड़ल्ले से जारी है।

आयोग ने लाटरी, क्रिकेट और चुनाव में पैन कार्ड या आधार के जरिए कैशलेस लेनदेन की सिफ़ारिश की है। सुझाव बिलकुल सामयिक और सही है, यह लेनदेन भी डिजिटल हो जाएगा तो फ्रॉड से भी बचेंगे। विधि आयोग की तर्ज पर माननीय सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत जज ने वेश्यावृति को कानूनी दर्जा देने की सिफ़ारिश की है। उनके अनुसार कानूनी दर्जा देने से वेश्यावृति पर नियंत्रण रखना आसान हो जाएगा। यह सलाह पहले भी कई लोगों द्वारा दी जा चुकी है। अब देश में सरकार है तो कानून है, कानून है तो अनुशासन है, अनुशासन है तो सभ्य समाज है, सभ्य समाज है तो बेहतर और आनंदित जीवन है। काफी अच्छी अच्छी सकारात्मक बातें हो रही हैं तो बताना चाहता हूं कि मेरे तुच्छ मगर शानदार दिखने वाले दिमाग में कई सालों से अनेक उच्च विचार उगे हुए हैं। दिल चाहता है कि इन्हें भी कानूनी वैधता उपलब्ध करा दी जाए।

सबसे पहले कर चोरी के मामले में, वैसे तो कर चोरी काफी कम हो गई है फिर भी बचे खुचे क्षेत्रों में कानूनी प्रावधान किया जाए कि फलां व्यवसाय में फलां सीमा तक कर चोरी कर सकते हैं। कुछ ऐसे सरकारी प्रसिद्ध विभाग जहां कुछ सीटस पर पोस्टिंग के लिए व्यक्तिगत, राजनीतिक या आर्थिक जद्दोजहद करनी पड़ती है, प्रावधान होना चाहिए कि कर्मचारी या पार्टी वेल्फेयर फंड में स्थायी प्रतिशत राशि हर माह जमा कराते रहने पर पोस्टिंग वैध तरीके से मानी जाने लगेगी। राजनीति, धर्म या समाजसेवा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में जो ‘दागी’ अपनी लोकप्रियता के सहारे सफल होकर उच्च पद प्राप्त कर लें उन पर चल रहे किसी भी किस्म के कोर्ट केस, वैध रूप से निरस्त कर दिए जाएं क्यूंकि वैध रूप से वैसे भी ऐसे मामलों में कुछ ‘होने’ की संभावना नैसर्गिक रूप से क्षीण हो जाती है।

हमारे देश में किसी काम को छोटा नहीं माना जाता इसलिए किसी भी क्षेत्र में राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नाम कमा चुके ‘प्रसिद्ध’ व ‘महान’ व्यक्तियों पर किसी भी तरह के मामले में कानूनी कारवाई न करना वैध माना जाना चाहिए। ईमानदारी से देखा जाए तो इससे पूरे देश की हजारों अदालतों के एक दो नहीं दर्जनों साल बच सकते हैं। आजकल सड़क पर इतना ट्रेफिक बढ़ गया है कि ज़रा सी बात पर मार कुटाई शुरू  हो जाती है। ज़िंदगी का भी यही हाल है हम एक दूसरे को मारने पीटने को तत्पर रहने लगे हैं। कानूनन प्रावधान ऐसा होना चाहिए कि परिस्थिति अनुसार कुछ थप्पड़, घूंसे लातें या डंडे मारना सामान्य व्यवहार माना जाए। किसी भी समय कोई भी, किसी से भी, कहीं भी एक सीमा तक गुब्बार निकालु व्यवहार कर सकता है, यह वैध माना जाएगा। एक छोटा-सा परिवर्तन और बाइक पर तीन या चार सवारी बैठा सकने का कानूनी प्रावधान होना चाहिए। इन अच्छे संशोधनों से कर प्राप्ति बढ़ेगी, शारीरिक संतुष्टि आसान होगी, नेता आराम से देश सेवा करेंगे और आमजन भी संतुष्ट रहेगा।

-संतोष उत्सुक

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