देश भक्ति ओढ़ने की चीज़ है (व्यंग्य)

Patriotism is the thing to wear (satire)

हालांकि यह समझाया गया है कि देश भक्ति प्रमाणित करने या बाज़ू पर चिपका कर चलने की चीज़ नहीं है पर मैं ससम्मान नम्र अनुरोध करना चाहता हूँ कि देश भक्ति ओढ़ने की चीज़ है।

हालांकि यह समझाया गया है कि देश भक्ति प्रमाणित करने या बाज़ू पर चिपका कर चलने की चीज़ नहीं है पर मैं ससम्मान नम्र अनुरोध करना चाहता हूँ कि देश भक्ति ओढ़ने की चीज़ है। याद रहे लगभग 55 साल पहले, भारत चीन युद्ध के बाद सिनेमा में फिल्म के समापन पर राष्ट्रगान दिखाया गाया जाता था। तब देशभक्ति का जुनून होता था, फिर भी दर्शक फिल्म समाप्त होते ही हॉल से बाहर निकलने शुरू हो जाते थे। यह प्रवृति बढ़ती गई और राष्ट्रगान बंद हो गया। किसी को तकलीफ़ नहीं हुई यानी तब तक देशभक्ति खूब ओढ़ी जा चुकी थी।

देश का ‘तिरंगा’ यानि प्रबुद्ध नेता, ईमानदार अफसर व चुस्त ठेकेदार देश की ‘भक्ति’ ही तो कर रहे हैं। इतनी फुर्ती से कर रहे हैं कि सामने कोई ‘देशद्रोही’ आए तो चूरचूर हो जाए। सब देशभक्त हैं तभी तो देश इतना आगे बढ़ गया है। देश के कर्णधार इस पुण्य कार्य में तन मन धन से लगे हुए हैं, संजीदगी से एकजुट हैं तभी गरीबी, भुखमरी, गन्दगी, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, सम्प्रदायवाद व जातिवाद ने देश भक्ति को पूरी तरह से ओढ़ लिया है। देशवासियों के कर्तव्य समाप्त हो लिए इसलिए अधिकारों का हनन अपच पैदा करने लगा है।

बड़ी मुश्किल से फैसला हुआ था कि कम से कम फिल्म देखने से पहले तो देश भक्ति का इंजेक्शन लगा दो ठीक गौ भक्ति की तर्ज पर लेकिन देश भक्ति को ओढ़ने वाले वहां भी शॉर्ट्स पहने हुए  चिप्स, पॉप कॉर्न, कोला, कॉफ़ी, अपने प्रियतम सेल फोन के साथ मुश्किल से खड़े हो पाए। कितने ही दर्शक टाइम मैनेज कर राष्ट्रगान संपन्न होते ही प्रवेश करते दिखे ताकि उनकी मनपसंद महंगी मूवी का स्टार्ट मिस न हो। यहां फिर साबित होता रहा कि देश भक्ति ओढ़ने की चीज़ है।

प्रतिक्रिया के आधार पर पैदा हुई परिस्थिति के मद्देनज़र सर्वोच्च न्यायालय ने अपने ही फैसले को संशोधित किया। वैसे तो स्नेह वफ़ा दोस्ती प्रेम सब ओढ़ने की चीज़ें हो गई हैं। अमरीका में देश भक्ति पहनने की चीज़ भी है तभी तो नहाने के कपड़ों पर भी राष्ट्र ध्वज देख सकते हैं पर हम अभी इतने देशभक्त नहीं हुए हैं। तभी तो हर समस्या के समाधान के लिए हम न्यायालय की शरण में होते हैं। कहीं हमारे देश को वस्तुतः न्यायपालिका तो नहीं चला रही। देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है मगर है तो अभी नया। देश भक्ति आत्मसात करने में समय लगता है।

- संतोष उत्सुक

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