कितना घातक होता होगा वो समय (कविता)

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कवयित्री प्रतिभा तिवारी की ओर से रचित कविता ''कितना घातक होता होगा वो समय'' पुलवामा घटना के बाद देशवासियों के मन में जो शोक की लहर है, वह प्रकट होती है।

कवयित्री प्रतिभा तिवारी की ओर से रचित कविता 'कितना घातक होता होगा वो समय' पुलवामा घटना के बाद देशवासियों के मन में जो शोक की लहर है, वह प्रकट होती है।

कितना घातक होता होगा वो समय

जब विस्फोटक और बंदूक की नोंक पर  

आतंकवाद तांडव करता होगा छुपकर पीछे से 

हमले करता अपनी इस कायरता को अपनी ताकत कहता होगा हिम्मत है तो आकर 

ललकारो यूं चोरों सा ना वार करो क्यों घात लगाकर घुसते हो सामने आकर 

हुंकार भरो कितना घातक है ये समय जब हर तरफ आतंकवाद संक्रमित है

जब पूरी दुनिया आतंकवाद से लड़ रही ऐसे में कुछ लोग आज भी भ्रमित हैं

कभी उरी कभी पुलवामा करते रहते ये हंगामा

हर वार पे आग धधकती है सीने से आह निकलती है 

आतंकी हमलों की वेदी पर जाने कितनी मांग उजड़ती हैं, मां का आंचल सूना होता 

मासूमों की दुनिया लुटती जाने कितने पिता की लाठी छिनती है

ऐ पत्थर दिल पत्थरबाजों हम तुमसे भी आतंकित हैं कहीं तिरंगे का जलना कहीं देशद्रोह 

के नारे हैं जो पहन मुखौटा बैठे हो तुमसे भी देश कलंकित है

तुम जैसे नकाबपोशों पर हर देशभक्त अब शंकित है

जवानों की पहरेदारी से हम सभी आज सुरक्षित हैं सीमा पर वो गोली खाते इसीलिए हम ज़िंदा हैं 

नारेबाजों, पत्थरबाजों से हर देश भक्त शर्मिन्दा है जो डरकर, छुपकर वार करे

वो कायरता का पुलिंदा है शत् शत् नमन शहीदों को जिनसे आतंकवाद आतंकित है

तिरंगे के हर धागे में शहीदों और जवानों का नाम अमिटकाल तक अंकित है।

-प्रतिभा तिवारी

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