रंग सजा अरमानों में (कविता)

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कवयित्री प्रतिभा तिवारी की ओर से रचित कविता ''रंग सजा अरमानों में'' पुलवामा घटना के बाद देशवासियों के मन में जो शोक की लहर है, वह प्रकट होती है।

कवयित्री प्रतिभा तिवारी की ओर से रचित कविता 'रंग सजा अरमानों में' पुलवामा घटना के बाद देशवासियों के मन में जो शोक की लहर है, वह प्रकट होती है।

रंग सजा अरमानों में 

मैं रंग खेलने आऊंगा 

छोटी-सी गुड़िया से मिलने 

जल्दी ही घर आऊंगा 

भारत मां से आज्ञा ले

मां तुझसे मिलने आऊंगा 

सेहरा बुनकर रख ले तू 

अब दूल्हा बनने आऊंगा 

बहन तेरी बारात से पहले 

बिदा कराने आऊंगा 

इम्तिहान दे लो बेटा 

छुट्टी में मिलने आऊंगा 

बाबूजी थोड़ा दर्द और सह लो

मैं जल्दी ही घर आऊंगा 

सालों बाद मिली हैं खुशियां 

जल्दी ही घर जाऊंगा 

7 साल के सपनों को 

मैं पूरा करने आऊंगा 

नन्हीं परी से मिलकर आया हूं 

अब जब भी घर जाऊंगा 

पहली बार कहेगी पापा 

सुनकर मैं इतराऊंगा

कुमकुम, बिंदी, पायल, बिछुए 

सब लेकर घर आऊंगा 

इंतजार करना तुम मेरा 

हर श्रृंगार मैं लाऊंगा 

खबर मिली है पिता बनूंगा 

अब तभी ही मैं घर जाऊंगा 

पर सबसे पहले देश हमारा 

पहले ये फ़र्ज़ निभाऊंगा

गर मिली शहादत मुझको 

फिर भी इंतजार करना मेरा 

आन बान और शान से 

मैं तिरंगे में घर आऊंगा 

आंखों में गर्व और सम्मान लिए 

तब मुझसे मिलने आना तुम

आंखों में आंसू मायूसी 

देख नहीं मैं पाऊंगा 

गर्व और सम्मान से 

एक दिन घर जरूर मैं आऊंगा।

-प्रतिभा तिवारी

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