उपयुक्त घोड़े की उचित नाल

kale ghode ki naal
संतोष उत्सुक । Nov 29 2021 5:33PM

आजकल गधे ज़्यादा होने लगे हैं, घोड़े कहां होते हैं पहले यह पता करना था। कुछ दिन बाद सहीराम की पत्नी की खोजी प्रवृति ने सब्ज़ी मण्डी के साथ लगते बाज़ार में मिस्त्री की दुकान में बोर्ड पढ़ा ‘ घोड़े की नालें यहां मिलती हैं’। बांछे खिल गई सामने नालें देख, बोली एक नाल चाहिए।

घोड़े की तरह काम खींचने वाले सही राम का व्यवसाय बदले हुए माहौल में बकरी की तरह मिमियाने लगा। कई जतन किए मगर बात नहीं बनी। मसला फिसलकर पत्नी के पाले में जा पहुंचा तो उच्च स्तरीय मंत्रणा शुरू हुई। उनकी एक ख़ास शुभचिंतक ने समझाया आजकल बड़ी-बड़ी तोपें ज्योतिष और वास्तुसलाह से चल रही हैं किसी सही उपाय बताऊ बंदे से पूछो। पत्नी की खास सखी ने कहा, हमारे पति के निकट मित्र प्रसिद्ध ज्योतिषी, वास्तुशास्त्री व नेता भी हैं। वे कुछ संजीदा करें तो बिगड़ी बात बन सकती है। पत्नी ने देर नहीं की वास्तुशास्त्री से सम्पर्क किया तो पता चला कि दुकान की बिल्डिंग गलत तरीके से बनाई गई है, तोड़ कर संशोधन करना होगा।

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इस गलत सलाह पर सही राम ने खुद वास्तुशास्त्री से मिलकर कहा कि बिल्डिंग सत्तर साल पुरानी है अभी तक बिजनेस उसमें ही बढ़िया चल रहा था। वास्तुशास्त्री ने फिर गहन मंत्रणा कर आसान इलाज बताया ‘काले घोडे की अगले दाहिने पैर में लगी नाल जो शनिवार या मगंलवार के दिन स्वयं गिर गई हो, शनिवार को नाल की शुद्धि करवाकर दुकान के प्रवेश द्वार पर वी आकृति में कीलों से लगाएं’। सब ठीक हो जाएगा। सही राम ने सही सोचा अगर लोहे के एक टुकड़े से सब ठीक हो जाए तो क्या हर्ज़ है ।

आजकल गधे ज़्यादा होने लगे हैं, घोड़े कहां होते हैं पहले यह पता करना था। कुछ दिन बाद सहीराम की पत्नी की खोजी प्रवृति ने सब्ज़ी मण्डी के साथ लगते बाज़ार में मिस्त्री की दुकान में बोर्ड पढ़ा ‘घोड़े की नालें यहां मिलती हैं’। बांछे खिल गई सामने नालें देख, बोली एक नाल चाहिए। दुकानदार बोला शनिवार या मंगलवार को अपने आप गिरी हुई चाहिए न ?। उन्होंने तत्काल सवाल किया, आपको कैसे पता कि अपने आप गिरी हुई चाहिए। मिस्त्री बोला, मैडम हमें भी पता रखना पड़ता है कि आजकल क्या बिकता है। रोटी तो हमने भी खानी है। नाल के इलावा यह भी देखिए लोहे, तांबे व अष्टधातु के छल्ले। बडे सुंदर बनाए हैं आपने यह । फैशन का ज़माना है मैडम, ग्राहक को हर चीज़ में ठसक चमक दमक चाहिए।

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यह लिजीए, ख़ास आपके लिए ‘विक्ट्री नाल’। क्या यह शनिवार या मंगलवार को अपने आप गिरी हुई है, सहीपत्नी ने नाल को हाथ से उठाते हुए पूछा। बिल्कुल। सबूत है आपके पास। मैडम, आस्था और विश्वास सबूत नहीं मांगते। दुनिया पत्थर में भगवान मानती है क्या वे वहां वाकई होते हैं? सही राम की पत्नी चुप। उसने वहां रखी कई नालों की तरफ देखते हुए हाथ में पकड़ी हुई नाल को घुमाते हुए पूछा क्या इसका असर होगा। असर तो सोच और विश्वास से होता है मैडम। कितने पैसे दूं इसके। एक हज़ार रूपए। इतने से लोहे के इतने ज़्यादा पैसे, कुछ कम कर लो। हर चीज़ महंगी होती जा रही है मैडम। मैडम ने नाल खरीद ली, उन्होंने वक्त जो बदलना था। कुछ कदम चल फिर लौट कर आई बोली, सच बताना क्या यह असली है। मिस्त्री बोला, मैडम, मुझे इसे असली ही बताना पड़ेगा, तभी बिकेगी और आपको मानना भी पड़ेगा तभी तो इसमें आपकी दुआओं का असर आएगा। सही राम की पत्नी आत्मविश्वास भरे कदमों से घर लौट रही थी। 

- संतोष उत्सुक

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