भगवान मुरुगन के मंदिरों तक BJP की यात्रा, क्यों हो रहा है विरोध?

vetrivel yatra
अभिनय आकाश । Nov 19 2020 3:23PM

तमिलनाडु में भाजपा की ‘वेल यात्रा’ से वहाँ की द्रविड़ पार्टियाँ भयभीत हो गई हैं। यहाँ तक कि राजग में उसकी सहयोगी पार्टी एआईएडीएमके ने भी इस मामले में भाजपा के खिलाफ रुख अख्तियार कर लिया है। एआईएडीएमके सरकार ने राज्य में धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए इस रैली की अनुमति देने से इनकार कर दिया है।

बिहार का चुनावी रण में रणवीर बनकर उभरने के बाद भारतीय जनता पार्टी की निगाहे अब तमिलनाडु पर है। दक्षिण के इस राज्य में चुनाव में तो अभी करबी करीब पांच-छह महीने का समय शेष है और सूबे में अगले वर्ष अप्रैल-मई के महीने में चुनाव हो सकते हैं। तमिलनाडु की राजनीति को देखें तो यहां वर्षों से करूणानिधि की डीएमके और एमजीआर की बनाई पार्टी एआईडीएमके जिसकी कमान जयललिता के हाथों में रही। लेकिन इन दोनों नेताओं के निधन के बाद राज्य की राजनीति में बने वैक्युम में देश की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की कवायद में लगी है। इसी कवायद में से एक है वेत्री वेल यात्रा। 

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तमिलनाडु में भाजपा की ‘वेल यात्रा’ से वहाँ की द्रविड़ पार्टियाँ भयभीत हो गई हैं। यहाँ तक कि राजग में उसकी सहयोगी पार्टी एआईएडीएमके ने भी इस मामले में भाजपा के खिलाफ रुख अख्तियार कर लिया है। एआईएडीएमके सरकार ने राज्य में धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए इस रैली की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। पार्टी ने कहा कि ‘भगवा झंडा लहराने वालों द्वारा धार्मिक घृणा फैलाने’ की अनुमति नहीं दी जाएगी। 

अपने मुखपत्र नमादु अम्मा के माध्यम से पार्टी ने कहा कि राज्य में जाति-धर्म के आधार पर लोगों को विभाजित करने वाली यात्रा नहीं निकालने दी जाएगी। उसने कहा कि सभी सम्बंधित लोगों को समझ लेना चाहिए कि तमिलनाडु के लोगों ने बार-बार साबित किया है कि द्रविड़ प्रदेश में धर्म मानवता के लिए दिशा-निर्देशक प्रकाश-पुँज हैं, न कि घृणा और विभाजन का माध्यम। उसने कहा कि सही मजहब शांति और प्यार का ही सन्देश देते हैं। 

एआईएडीएमके भाजपा की सहयोगी पार्टी है। भाजपा को भरोसा है कि एक माह तक चलने वाली यह धार्मिक यात्रा आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी को खासा राजनीतिक डिविडेंड देगी। भाजपा की यह यात्रा इस बात का भी साफ संकेत है कि शेष भारत में चला मर्यादा पुरूषोत्तम राम का भावनात्मक कार्ड तमिलनाडु में बेअसर है। तमिल राम को भगवान तो मानते हैं, पर उस रूप में नहीं, जिस रूप में वो भगवान मुरूगन को मानते हैं। 

पहले भगवान मुरूगन के बारे में बताते हैं। आप सभी जानते है। कि मुरुगन या कार्तिकेय भगवान शिव और पार्वती के दूसरे पुत्र हैं। तमिलनाडु में भगवान कार्तिकेय को भगवान मुरुगन के रूप में पूजा जाता है। ‘मुरुगन’ शब्द बना तमिल शब्द ‘मुरुकन’ से. इसका मतलब होता है ‘युवा’ तमिल साहित्य की सबसे पुरानी किताबों, जैसे ‘तोलकप्पियम’ में भी इनका वर्णन मिलता है। तमिलनाडु में मुरुगन के छह सबसे महत्वपूर्ण निवास स्थान हैं, जिन्हें अरु पदई विदु के नाम से जाना जाता है। यहाँ तमिलनाडु में सिक्कल सिंगारवेलन मंदिर के साथ भारत में सबसे प्रसिद्ध भगवान मुरुगन मंदिरों के बारे में भी बताया गया है। 

पलानी मुरुगन मंदिर, डिंडीगुल : पलानी मुरुगन मंदिर पलानी पहाड़ियों पर डिंडीगुल के पलानी शहर में स्थित है। पलानी का पहाड़ी मंदिर भारत में भगवान मुरुगन का सबसे पवित्र मंदिर है। 

स्वामीमलाई मुरूगन मंदिर, कुंभकोणम: स्वामीमलाई मुरूगन मंदिर कुंभकोणम के पास एक नदी के किनारे स्वामीमलाई में स्थित है। कुंभकोणम का स्वामीमलाई मंदिर तमिलनाडु में भगवान मुरुगन के छह पवित्र मंदिरों में से एक है। 

तिरुचेंदुर मुरुगन मंदिर, तूतीकोरिन: तिरुचेंदुर मुरुगन मंदिर दक्षिण भारत के सबसे बड़े मंदिर परिसरों में से एक है, जो तिरुचेंदूर में समुद्र के किनारे स्थित है। यह तमिलनाडु के चौथे हिंदू मंदिरों में से एक है। 

थिरुप्पुरमकुंरम मुरुगन मंदिर, तिरुप्पुरनकुमारम: थिरुप्पुरमुकुमारम मुरुगन मंदिर मदुरई शहर के पास स्थित है और ये मंदिर खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर में भगवान शिव और विष्णु जी की एक साथ मूर्ति राखी हुई है। 

थिरुथानी मुरुगन मंदिर, थिरुट्टानी: थिरुथानी मुरुगन मंदिर चेन्नई के पास थिरुट्टनी की पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर तमिल नाडु में भगवान मुरुगन के छह पवित्र मंदिरो में से एक है। 

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यात्रा के धार्मिक और राजनीतिक महत्व 

भगवान मुरूगन की 6 अधिष्ठानों (निवास) की यात्रा तमिलनाडु का महत्वपूर्ण धार्मिक इवेंट है। खासकर ओबीसी और दलितों में मुरूगन के प्रति अगाध श्रद्धा है। यकीनन इस यात्रा से बीजेपी का द्रविड पार्टियों के साथ विवाद बढ़ेगा। द्रविड पार्टियां भी भाजपा के इस नए ‘यात्रा कार्ड’ से चौकन्नी हो गई हैं। बीजेपी का ये दांव तमिलनाडु में राजनीतिक दृष्टि से कामयाब होता है या नहीं, देखने की बात है। द्रविड राजनीति की दृष्टि से भी भगवान मुरूगन का महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि डीएमके के दिग्गज नेता करूणानिधि ने 1982 में मदुराई से थिरूचेंदुर ( मुरूगन मंदिर) तक ऐसा ही लंबा मार्च एआईएडीएमके के तत्कालीन मुख्यमंत्री एमजी रामचंद्रन के जमाने में निकाला था। तब उसका मकसद थिरूचेंदूर मंदिर के एक अधिकारी की संदिग्ध मौत पर परिजनों को न्याय दिलाना तथा भगवान मुरूगन के भाले में जड़ा हीरा गायब होने की जांच की मांग करना था। भगवान शिव पु‍त्र कार्तिकेय जिनका तमिल नाम है मुरूगन न्हें तमिलभूमि का रक्षक भी माना जाता है। तमिलनाडु में हर साल तमिल पंचांग के थाई माह (जनवरी-फरवरी के बीच) में ‘अरूप्पदई वीरू यात्रा’ का आयोजन होता है। इसके तहत भक्त गण लाखों की संख्‍या में पैदल ही नंगे पैर भगवान मुरूगन के मंदिरों में दर्शन के लिए पहुंचते हैं। 

बीजेपी का यात्रा प्लान 

भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह नवंबर 21, 2020 को तमिलनाडु की यात्रा पर हैं, जहाँ भाजपा के नए विस्तार का बिगुल फूँका जाना है। तमिलनाडु में 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं। 1957 से लेकर 2018 तक 61 सालों में 13 विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव जीतने वाले एम करूणानिधि के निधन के बाद ये पहला चुनाव होगा। साथ ही 27 सालों में 6 विधानसभा क्षेत्रों से 9 चुनाव जीतने वाली जयललिता भी इस बार नहीं होंगी। ऐसे में दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के बिना हो रहे इस चुनाव में भाजपा अपनी पैठ बनाने के लिए संघर्ष कर रही है। 6 नवंबर को शुरू हुई यात्रा 6 दिसंबर को खत्म करने का प्लान है। यात्रा में तिरुत्तनी से शुरू होकर तिरुचेंदुर पर खत्म होगी। इस दौरान बीजेपी भगवान मुरुगन के मंदिरों से होकर गुजरेगी। इस दौरान तमिलनाडु बीजेपी के कई नेता यात्रा में मौजूद रहेंगे और लोगों से मिलते और संबोधित करते हुए आगे बढ़ेंगे.इस यात्रा के लिए बाकायदा यूट्यूब कैंपेन और एंथम सॉन्ग भी लॉन्च किया गया है. चूंकि ये पवित्र स्थान पूरे तमिलनाडु में फैले हैं, इस लिहाज से इसे इलेक्शन से पहले माहौल बनाने वाली यात्रा भी कहा जा रहा है। 

वेत्रीवेल यात्रा उस रथ यात्रा की तरह ही है जिसे बीजेपी देश के अन्य हिस्सों में समय-समय पर निकालती रही है। तमिलनाडु में भी बीजेपी यह प्रयोग अपना रही है। इस यात्रा के तहत बीजेपी तमिलनाडु के अलग-अलग जिलों और क्षेत्रों में अपना जनसंपर्क तेज करेगी। सत्तारूढ़ एआईएडीएमके सरकार की मनाही के बावजूद बीजेपी यह यात्रा निकाल रही है। सरकार का कहना है कि कोविड महामारी में ऐसी किसी गैदरिंग की इजाजत नहीं दी जा सकती, जबकि बीजेपी इसे भगवान मुरुगन का काम बता कर आगे बढ़ रही है। अमित शाह के दौरे के दौरान वेत्रीवेल यात्रा के और जोर पकड़ने की संभावना है। 6 नवंबर को उत्तरी तमिलनाडु स्थित तिरुतन्नी मंदिर से शुरू हुई यात्रा दक्षिणी तमिलनाडु के तिरुचेंदूर मंदिर में संपन्न होगी। 

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एआईएडीएमके क्यों है खिलाफ 

तमिलनाडु सरकार इस यात्रा को रोकने के पीछे कोविड 19 की समस्या बता रही है। उसका कहना है कि अब भी तमिनलाडु के कई इलाके कोविड के संकट से बचे हुए हैं। लेकिन अगर इस तरह से लंबी यात्राएं की गईं, तो एक जगह से दूसरी जगह संक्रमण फैलने का खतरा है। 

यात्रा के पीछे की राजनीति 

पिछले दो बार चुनावी नतीजों पर नजर डालें तो बीजेपी कोई खास प्रदर्शन नहीं कर पाई है। उसका वोट शेयर 2014 में 5.56 प्रतिशत रहा वहीं 2019 के चुनाव में वो गिरकर 3.66 प्रतिशत पर आ गया। 2016 के विधानसभा चुनाव में पार्टी 134 सीटों पर लड़ी थी, लेकिन वोट उसे मात्र 2.8 फीसदी ही मिले थे। ऐसे में अपने जनाधार को धार देने के लिए बीजेपी हिंदू वोटों को एकजुट करने का अच्छा मौका देख रही है। 

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