Sri Lanka presidential elections: तख्तापलट के बाद पहला चुनाव, राजपक्षे परिवार की होगी वापसी? जानें कौन है प्रमुख दावेदार, नतीजें भारत के लिए क्यों हैं महत्वपूर्ण
श्रीलंका में इस वक्त करीब दो करोड़ वोटर हैं, जिसमें से 10 लाख के करीब पहली बार वोट करने वाले लोग हैं।
श्रीलंका में राष्ट्रपति पद के लिए 21 सितंबर को वोटिंग होनी है। पिछली बार इस तरह से सीधे राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 2019 में हुए थे। श्रीलंका में सरकार के खिलाफ लोगों के उठ खड़े होने के बाद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनके भाई महिंद्रा राजपक्षे को सत्ता से उखाड़ फेंकने के बाद ये पहला चुनाव है। इसलिए इसे काफी बारिकी से देखा जा रहा है। इस चुनाव में मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे चुने जाने की उम्मीद कर रहे हैं। इसके लिए वो पूरे जी-जान से जुटे हैं। लेकिन उनके सामने कई और उम्मीदवार भी मैदान में है। श्रीलंका में इस वक्त करीब दो करोड़ वोटर हैं, जिसमें से 10 लाख के करीब पहली बार वोट करने वाले लोग हैं।
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विक्रमसिंघे के सामने 37 उम्मीदवार
राष्ट्रपति पद के लिए कुल 38 उम्मीदवार मैदान में हैं। लेकिन राष्ट्रपति विक्रमसिंघे को चार प्रमुख उम्मीदवारों विपक्षी नेता सजीथ प्रेमदासा, मार्क्सवादी विचारधारा वाले राजनीतिज्ञ अनुरा कुमारा दिसानायके, राजपक्षे परिवार के वंशज नमल राजपक्षे और नुवान बोपेज से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। इस बार ये भी माना जा रहा है कि जो चुनाव होगा वो धर्म या कौन किस मूल का है इस आधार पर नहीं होगा, बल्कि आर्थिक मुद्दों पर ही केंद्रित होगा। ऐसा होना स्वभाविक भी है। जिस तरह 2019 में आर्थिक मोर्चे पर देश बिखर गया था। जो मुश्किलें उनके सामने आई थी कि गैस के लिए लंबी लाइन लग रही थी, पेट्रोल के लिए लंबी कतारें देखने को मिल रही थी। लोग इससे बेहद परेशान और मुश्किल में थे। जिसके बाद सरकार के खिलाफ लोग वहां पर उठ खड़े हुए थे और इनको निकाल फेंका था। स्वास्थ्य नीति संस्थान (आईएचपी) की तरफ से किए श्रीलंका ओपिनियन ट्रैकर के सर्वे में इंडिपेंडेंट कैंडिडेट के रूप में चुनाव लड़ रहे विक्रमसिंघे तीसरे स्थान पर नजर आ रहे हैं। दिसानायके प्रमुख उम्मीदवार हैं और मध्यमार्गी, अधिक वामपंथी समागी जन बालावेगया (एसजेबी) पार्टी के प्रेमदासा दूसरे स्थान पर हैं। संसद में केवल तीन सीटें होने के बावजूद, दिसानायके के भ्रष्टाचार विरोधी सख्त उपायों और गरीब समर्थक नीतियों के वादे ने उन्हें खासा लोकप्रिय बना दिया है।
विक्रमसिंघे को राजपक्षे की पार्टी का भी समर्थन
रानिल विक्रमसिंघे भले ही चुने हुए राष्ट्रपति न हो। लेकिन पिछले दो सालों में उन्होंने काफी स्थिरता श्रीलंका में लाई। उन्होंने मुश्किल वक्त में कमान संभाला है। लेकिन उनकी लोकप्रिय छवि पर ऊंचे टैक्स जो कि कोशिश है इस बात की कि मुश्किलों और बदहाली के दौर से निकला जाए। इसके अलावा 37 बिलियन का जो कर्ज का भी साया है। हालांकि उन्होंने इंटरनेशनल मॉनिट्री फंड यानी आईएमएफ से मदद के लिए पैसे और अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों से भी मदद हासिल करने में काफी सफलता पाई है। लेकिन तब भी उनके चुने जाने पर कई किंतु परंतु है। इसकी एक मुख्य वजह विक्रमसिंघे को महिंद्रा राजपक्षे की पार्टी एसएलपीपी का भी समर्थन है। ये उनके खिलाफ जा सकता है। राजपक्षे परिवार को श्रीलंका की जनता से हटा दिया था।
श्रीलंका के चुनाव पर भारत की भी नजर
भारत ने लगातार श्रीलंका का बुरे वक्त में साथ दिया है। चाहे वो जरूरत का सामान मुहैया कराना हो या आईएमएफ से मदद के लिए निगोशिएशन करना हो। भारत ने 4 बिलियन डॉलर की सहायता दी है। ये रकम आईएमएफ के बेल आउट पैकेज से एक बिलियन डॉलर ज्यादा है। मानवीय सहायता देने के अलावा लाइन ऑफ क्रेडिट जिसमें 700 मिलियन डॉलर की लागत का पेट्रोलियम भी दिया जा रहा है। कोविड के दौरान भारत ने पांच लाख वैक्सीन श्रीलंका को दी थी। 150 टन ऑक्सीजन भी मुहैया कराई गई थी।
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चुनाव में उम्मीदवार जनता से क्या वादें कर रहे?
श्रीलंका के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों ने चुनाव से 48 घंटे पहले बुधवार को अपना प्रचार अभियान समाप्त कर लिया और द्वीप देश की बीमार अर्थव्यवस्था को सुधारने का वादा किया। विक्रमसिंघे ने 17 अगस्त को ऐतिहासिक शहर अनुराधापुरा में अपनी पहली रैली की, जो उनकी लगभग 100 रैलियों में से पहली थी। उनके प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों ने भी लगभग एक दर्जन रैलियाँ कीं। विक्रमसिंघे ने अंतिम चरण में अपनी नीतिगत जीत और ऋण पुनर्गठन प्रयासों को दोहराते हुए कहा कि उन्हें गुरुवार को बॉन्डधारकों के साथ बातचीत पूरी करने की उम्मीद है। दिसानायके ने मतदाताओं से गरीबी कम करने और भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए उनका समर्थन करने का आह्वान किया। प्रेमदासा ने श्रीलंकाई लोगों के लिए जीवन यापन की लागत को कम करने और पर्यटन और कृषि निर्यात को बढ़ावा देने का वादा किया।
वोटिंग के बाद रिजल्ट आने में कितना वक्त लगेगा
वोटिंग समाप्त होने के बाद सरकारी कर्मचारियों द्वारा वोटों की गिनती की जाएगी। इसकी मॉनिटरिंग चुनाव आयोग के अधिकारी, चुनाव पर्यवेक्षक और उम्मीदवारों के प्रतिनिधि द्वारा की जाएगी। चुनाव आयोग औपचारिक रूप से विनर की घोषणा संभवतः रविवार को करेगा। विजेता फिर राष्ट्रपति पद की शपथ लेगा। आमतौर पर उसी दिन, और मंत्रियों की एक नई कैबिनेट नियुक्त करेगा। चुनाव जीतने वाले को यह सुनिश्चित करना होगा कि श्रीलंका अपने सार्वजनिक वित्त को व्यवस्थित करे, विदेशी ऋणदाताओं को चुकाना शुरू करे, निवेश आकर्षित करे और चार साल का आईएमएफ कार्यक्रम पूरा करे।
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