पूरी दुनिया को हिन्दुस्तानियों पर है सबसे ज्यादा भरोसा, भारत की GDP से भी ज्यादा वैल्यू की कंपनियों को संभाल रहे इंडियावाले
पराग अग्रवाल के ट्विटर का पद संभालते ही दुनिया के बड़ी टेक कंपनियों में सर्वोच्च पद से एक और भारतीय का नाम जुड़ गया। पराग से पहले सुंदर पिचाई, सत्या नडेला, शांतनु नारायण, अरविंद कृष्णा ये कारनामा कर चुके हैं।
दुनिया के दिग्गज सोशल नेटवर्किंग साइट में शुमार ट्विटर की कमान अब एक भारतीय के हाथों में है। पराग अग्रवाल को ट्विटर का नया मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया गया है। पराग अग्रवाल ट्विटर के सह-संस्थापक जैक डोर्सी की जगह लेंगे। ट्विटर के को-फाउंडर जैक डोर्सी के कंपनी के सीईओ के पद से इस्तीफा देने की खबर ने खूब सुर्खियां बटोरी। डोर्सी की जगह पराग अग्रवाल को कंपनी का नया सीईओ बनाया गया। पराग अग्रवाल के ट्विटर का पद संभालते ही दुनिया के बड़ी टेक कंपनियों में सर्वोच्च पद एक और भारतीय का नाम जुड़ गया। पराग से पहले सुंदर पिचाई, सत्या नडेला, शांतनु नारायण, अरविंद कृष्णा ये कारनामा कर चुके हैं। पराग अग्रवाल का नाम भारतीय मूल के उन नागरिकों की लिस्ट में शामिल हो गया है जो दुनिया के दिग्गज टेक कंपनियों के सीईओ के पद पर काबिज हैं। इससे दुनिया में भारत का कद और मजबूत हो रहा है। पराग के साथ ही दुनिया में कई और भारतीय दिग्गज हैं जो टॉप टेक कंपनियों की कमान संभाल रहे हैं। भारतीय जिन अमेरिकी टेक कंपनियों को संभाल रहे हैं उनकी संयुक्त बाजार मूल्य 5 ट्रिलियन डॉलर के करीब है। इसमें गौर करने वाली बात ये है कि भारत की जीडीपी फिलहाल 2.7 ट्रिलियन डॉलर है। यानी ये भारतीय अर्थव्यवस्था से लगभग दोगुनी है। आइए आपको दुनिया की बड़ी कंपनियों के भारतीय सीईओ के बारे में बताते हैं।
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पराग अग्रवाल, सीईओ (ट्विटर)
ट्विटर के सीईओ बनाए गए पराग अग्रवाल अब तक कंपनी में चीफ टेक्नोलॉजी आफीसर के पद पर तैनात थे। उन्होंने दस साल पहले कंपनी ज्वाइन की थी। 37 वर्षीय पराग ने इसे सम्मान की बात बताया है। पराग अब दुनिया के टॉप 500 कंपनी के सबसे युवा सीईओ बन गए हैं। ट्विटर ने उनकी डेट ऑफ बर्थ जारी नहीं की है लेकिन ये बताया गया है कि उनका जन्म 1984 में हुआ था और उनका जन्मदिन फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग के जन्मदिन 14 मई के बाद आता है। 2005 में मुंबई के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान से कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री लेने के बाद अग्रवाल ने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। सीटीओ के रूप में वह कंपनी की तकनीकी रणनीति और कंपनी में मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की देखरेख के लिए जिम्मेदार हैं। 2011 में ट्विटर से जुड़ने के बाद से उन्होंने ट्विटर विज्ञापन सिस्टम को बढ़ाने के प्रयासों के साथ-साथ होम टाइमलाइन प्रासंगिकता में सुधार करके उपयोगकर्ता वृद्धि को फिर से तेज करने के प्रयासों का नेतृत्व किया है। ट्विटर ज्वाइन करने से पहले अग्रवाल माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च, याहू , और एटी एंड टी लैब्स के साथ भी काम कर चुके हैं।
जैक डोर्सी ने क्यों दिया इस्तीफा?
ट्विटर के कर्मचारियों को एक मेल में डोर्सी ने लिखा: ""संस्थापक के नेतृत्व वाली" कंपनी "गंभीर रूप से सीमित और विफलता का एक बिंदु" है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने "यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत की है कि यह कंपनी अपने संस्थापकों से अलग हो सकती है", और यह कि उनका रिप्लेसमेंट "[उनके] प्रभाव या दिशा से मुक्त" होगा। माइक्रोब्लॉगिंग साइट के लिए पूर्णकालिक सीईओ प्राप्त करने के प्रयास में, ट्विटर के निदेशक मंडल पिछले एक साल से डोरसी के प्रतिस्थापन की तलाश में थे। ट्विटर के 45 वर्षीय सह-संस्थापक एक वित्तीय भुगतान कंपनी स्क्वायर के भी सीईओ हैं। स्क्वायर की स्थापना उन्होंने ही की है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्विटर का बोर्ड पिछले एक साल से सोशल मीडिया कंपनी के लिए पूर्णकालिक सीईओ की तलाश कर रहा था। डोरसी ने 2006 में ट्विटर की सह-स्थापना की, और 2008 तक सीईओ के रूप में कार्य किया, इससे पहले कि उन्हें अपनी भूमिका से हटा दिया गया। 2015 में जब डिक कोस्टोलो ने पद छोड़ा तो वह दोबारा 2015 में ट्विटर के सीईओ बनकर कंपनी में लौट आए।
कई सारे विवादों में भी लगातार रहे
इस कहानी के पीछे दूसरे पहलू की भी जमकर चर्चा हो रही है। जिसे मोदी सरकार के खौफ से जोड़कर भी देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि पराग ने जिन जैक डौर्सी की जगह ली है उन्हें भारत से टकराने की कीमत चुकानी पड़ी है। बता दें कि जैक डोर्सी के ट्विटर सीईओ रहने के दौरान इस सोशल नेटवर्किंग साइट का भारत के साथ लंबे समय से विवाद रहा था। केंद्र सरकार की तरफ से नए आईटी एक्ट को लागू किया गया। जिसे लेकर ट्विटर और सरकार के बीच टकराव हुआ था। अपने कार्यकाल के दौरान, डोर्सी ने ऐसे समय को देखा जब अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया साइटों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया था, जिसे उन्होंने रूढ़िवादी विचारों को सीमित करने के रूप में माना।
5 ट्रिलियन वैल्यू की कंपनियों की कमान भारतीयों के पास
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार इन टॉप कंपनियों की मार्केट वैल्यू लगभग 5 ट्रिलियन (5 लाख करोड़) डॉलर है। टेक के अलावा भी दूसरी बड़ी कंपनियों में भारतीय मूल के व्यक्ति बड़े पद पर काम कर रहे हैं। मास्टरकार्ड के सीईओ रह चुके और वर्तमान में एग्जीक्यूटिव चेयरमैन की भूमिका में काम कर रहे अजयपाल सिंह बंगा और लगभग 12 सालों तक इंदिरा नूई पेप्सीको में टॉप लीडिंग पोजीशन संभाल चुकीं हैं।
-अभिनय आकाश
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