केरल नन रेप केस: 83 गवाह भी नहीं आए काम, 13 बार रेप, अप्राकृतिक यौन संबंध के आरोपों से बिशप फ्रैंको बरी

Bishop Franco Mullakal
अभिनय आकाश । Jan 14 2022 6:31PM

मुलक्कल भारत के पहले कैथोलिक बिशप थे, जिन्हें नन का यौन शोषण करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। केरल की कोट्टायम पुलिस ने नन के दुष्कर्म मामले में आरोपित बिशप के खिलाफ 2018 में मुकदमा दर्ज किया था।

केरल की एक अदालत ने बहुचर्चित नन रेप केस में कैथोलिक चर्च के जालंधर सूबा के बिशप फ्रैंको मुलक्कल  को 14 जनवरी 2022 को निचली अदालत ने बरी कर दिया। कोट्टायम के अतिरिक्त जिला न्यायालय के न्यायाधीश जी गोपाकुमार ने फैसला सुनाया। मुलक्कल भारत के पहले कैथोलिक बिशप थे, जिन्हें नन का यौन शोषण करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। केरल की कोट्टायम पुलिस ने नन के दुष्कर्म मामले में आरोपित बिशप के खिलाफ 2018 में मुकदमा दर्ज किया था।

क्या है नन रेप केस?

आरोप था कि बिशप ने कथित तौर पर 2014 और 2016 के बीच अपने कॉन्वेंट में एक नन के साथ 13 बार बलात्कार किया। उन पर नन को गलत तरीके से कैद करने, बलात्कार, अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने और आपराधिक धमकी देने का आरोप लगाया गया था। प्राथमिकी दर्ज होने के कुछ ही समय बाद, सितंबर 2018 में, पीड़िता के करीबी ननों के एक समूह ने मुलक्कल की गिरफ्तारी की मांग को लेकर कोच्चि में केरल उच्च न्यायालय परिसर के सामने भूख हड़ताल शुरू की। पीड़िता ने 29 जून 2018 को शिकायत दर्ज कराई। उन्हें पुलिस ने 19 सितंबर 2018 को गिरफ्तार किया था। मुलक्कल को गिरफ्तार करने में तीन महीने लग गए। बिशप ने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ आरोप 'मनगढ़ंत' थे और एक महिला द्वारा की गई शिकायत के संबंध में उनके खिलाफ कार्रवाई करने के प्रतिशोध में थे। करीब एक महीने बाद वह जमानत पर छूटकर आया था। मुकदमा सितंबर 2020 में शुरू हुआ और भले ही मुलक्कल ने अपने खिलाफ आरोपों को रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, लेकिन अदालतों ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

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मुलक्कल पर क्या आरोप हैं?

मुलक्कल को कई आरोपों का सामना करना पड़ा, जिनमें नन को गलत तरीके से कैद करने, बलात्कार, अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने और आपराधिक धमकी देने का आरोप लगाया गया था।  नन ने आरोप लगाया था कि 2014 से 2016 के बीच बिशप ने उसके साथ 13 बार रेप किया था। बंद अदालत में 105 दिन तक चली सुनवाई के अंत में यह फैसला आया। सूची में 83 गवाह थे, जिनमें से 39 के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अभियोजन पक्ष के पक्ष में गवाही दी थी। बचाव पक्ष ने नौ गवाहों को पेश किया। गवाहों में सिरो-मालाबार चर्च के मेजर आर्कबिशप जॉर्ज एलेनचेरी, 11 पुजारी, 25 नन, गुप्त गवाही देने वाले सात मजिस्ट्रेट और मेडिकल परीक्षण करने वाले डॉक्टर सहित 4 बिशप शामिल हैं।

कौन हैं बिशप मुलक्कल?

मुलक्कल केरल के त्रिशूर जिले के म़ट्टम गांव के रहने वाले हैं। वे 1990 में पुजारी और 2009 में सहायक बिशप बने। 2013 में उन्हें जालंधर का बिशप बनाया गया। आरोप लगने के बाद 15 सितंबर, 2018 को उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया।

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क्यों अहम है यह मामला?

यह पहली बार है जब किसी कैथोलिक बिशप को भारत में बलात्कार और यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किया गया और उस पर मामला दर्ज किया गया। बलात्कार के मामले में पुलिस द्वारा आरोपित किए जाने के बाद मुलक्कल को जालंधर सूबा में आधिकारिक कर्तव्यों से मुक्त कर दिया गया था। इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को उसकी अनुमति के बिना मुकदमे से संबंधित कुछ भी प्रकाशित करने पर रोक लगा दी थी। मामले में अदालत का फैसला आते ही बिशप अदालत से बाहर चले गए। उन्होंने मीडिया द्वारा पूछे जा रहे सवालों का भी जवाब नहीं दिया। साथ ही हाथ जोड़ते हुए भगवान का शुक्रिया किया। इस मामले में करीब तीन साल पहले चार्जशीट दाखिल की गई थी। जिसमें 83 गवाहों के बयान दर्ज थे. साथ ही लैपटॉप फोन, समेत 30 सबूत जब्त किए गए थे।

मामले से जुड़े घटनाक्रम पर एक नजर

29 जून 2018: जालंधर सूबा के बिशप फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ नन की शिकायत के आधार पर कुराविलंग़ पुलिस ने मामला दर्ज किया। जिसके मुताबिक मिशनरीज ऑफ जीसस कॉन्वेंट में बिशप ने नन के साथ कई बार दुष्कर्म किया।

1 जुलाई, 2018: एर्नाकुलम आर्चडीओसीज़ में भक्तों की बिरादरी, आर्चडियोसेसन मूवमेंट फॉर ट्रांसपेरेंसी (एएमटी) के संयोजक जॉन जैकब ने कार्डिनल मार जॉर्ज अलंचेरी के खिलाफ शिकायत दर्ज की। उन्होंने कार्डिनल पर नन के बलात्कार के आरोप के बारे में पुलिस को सूचित करने में विफल रहने का आरोप लगाया।

05 जुलाई, 2018: चांगनचेरी में प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट ने नन का बयान दर्ज किया। यह मामले में विशेष जाँच दल (एसआईटी) द्वारा दिए गए अनुरोध के आधार पर कैमरे में किया जाता है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने जाँच में तेजी लाने की माँग की है।

12 जुलाई, 2018: जांच दल ने कन्नूर जिले के परियाराम और पनाप्पुझा में मठों से आगंतुकों के रजिस्टर को जब्त कर लिया, जब यह पाया गया कि बिशप ने नन द्वारा बताए गए समय के दौरान कॉन्वेंट का दौरा किया था।

24 जुलाई, 2018: कई महिला संगठनों ने दिल्ली में वेटिकन के राजदूत गिआम्बतिस्ता डिक्वाट्रो के साथ एक ज्ञापन सौंपा। उन्होंने उनसे अनुरोध किया कि वह पोप को बिशप को उनके पद से बर्खास्त करने की सलाह दें।

25 जुलाई, 2018: नन के एक रिश्तेदार ने आरोप लगाया कि उन्हें एक दोस्त के जरिए केस वापस लेने का बड़ा ऑफर मिला है। कुछ दिनों के बाद, पादरी एक नन को बुलाता है जो पीड़ित नन के साथ खड़ी होती है और उसे शिकायत वापस लेने की सलाह देती है। कॉल मीडिया में उजागर हो गया है। पुलिस ने नन का बयान दर्ज किया।

30 जुलाई, 2018: कुराविलंगड पुलिस ने फोन करने वाले पादरी फादर जेम्स एर्थायिल के खिलाफ मामला दर्ज किया। सबूत जुटाने के लिए जाँच टीम दिल्ली पहुँची। उन्होंने उज्जैन के बिशप मार सेबेस्टियन वडक्कल का बयान दर्ज किया। उसी दिन कुराविलंगड एसआई का तबादला हो जाता है।

8 अगस्त 2018: जाँच दल बिशप मुलक्कल से पूछताछ करने जालंधर पहुँचा। वे सिस्टर रेजिना, मिशनरीज ऑफ जीसस की मदर जनरल, सिस्टर्स अमला और मारिया के बयान दर्ज करते हैं जो मिशन के कार्यालय में काम करते हैं।

13 अगस्त, 2018: बिशप का निजी सुरक्षा गार्ड मीडियाकर्मियों से भिड़ जाता है और कैमरों और अन्य उपकरणों को तोड़ देता है। वे मीडियाकर्मियों को बिशप के घर के अंदर बंद करने का भी प्रयास करते हैं। इसी दिन अदालत ने बिशप के खिलाफ आरोप तय किए।

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30 अगस्त, 2018: संयुक्त ईसाई परिषद (जेसीसी) ने बिशप मुलक्कल की गिरफ्तारी की माँग को लेकर कोच्चि में भूख हड़ताल शुरू की।

11 सितंबर, 2018: पीड़ित नन ने भारत में वेटिकन के राजदूत को पत्र लिखा। उसने अपने लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए वेटिकन के हस्तक्षेप की माँग की। बिशप ने पीड़िता पर आरोप लगाया कि उसे चर्च विरोधी लोगों द्वारा स्पॉन्सर किया गया था।

12 सितंबर, 2018: मिशनरीज ऑफ जीसस ने बिशप मुलक्कल की गिरफ्तारी की माँग को लेकर आंदोलन कर रही ननों के खिलाफ जाँच शुरू की। पीड़ित नन भी पूछताछ के तहत छह नन में से एक है।

17 सितंबर, 2018: बिशप मुलक्कल ने पोप को पत्र लिखा। उन्होंने पोप से अस्थायी रूप से कर्तव्यों से दूर रहने की अनुमति माँगी क्योंकि उन्हें मामले पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

19 सितंबर, 2018: जाँच दल ने फ्रेंको मुलक्कल से थ्रिप्पुनिथुरा में सात घंटे तक पूछताछ की। तीन दिन बाद पुलिस ने मुलक्कल को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

9 अप्रैल, 2019: जाँच अधिकारी वैकोम डीएसपी के सुभाष ने मामले में पाला में एक मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष आरोप पत्र प्रस्तुत किया।

5 अगस्त 2020: सुप्रीम कोर्ट ने आरोपित बिशप फ्रैंको मुलक्कल की आरोप मुक्त करने की याचिका बुधवार को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने उन्हें मुकदमे का सामना करने का निर्देश दिया।

7 जुलाई 2020: केरल हाई कोर्ट ने नन रेप मामले में आरोपित बिशप फ्रैंको मुलक्कल की जमानत याचिका को खारिज कर दिया।

7 अगस्त, 2020: बिशप मुलक्कल को दूसरी बार जमानत मिली। उनकी जमानत रद्द होने के बाद उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया था।

13 अगस्त 2020: कोट्टायम अदालत ने आरोपित बिशप के खिलाफ आरोप तय किए।

सितंबर 2020: अतिरिक्त सत्र न्यायालय, कोट्टायम में सुनवाई शुरू।

14 जनवरी, 2022: नन रेप मामले में कोर्ट ने आरोपित बिशप मुलक्कल को बरी कर दिया।

-अभिनय आकाश

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