क्या है लुटियंस जोन के बंगलों की कहानी, किस मंत्री या सांसद को कौन सा बंगला होता है अलॉट

Lutyens Zone bungalows
अभिनय आकाश । Apr 5 2022 5:36PM

2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से इन विशेष बंगलों से पूर्व मंत्रियों और सांसदों को नियमति रूप से बेदखल करने का एक अभियान चलाया हुआ है। जिसकी जद में उनके अपने सांसद और पूर्व मंत्री भी आए। अपने पहले कार्याकल के साल में ही करीब 460 लोगों को लुटियंस क्षेत्र से बेदखल किया है।

दिल्ली से बाहर के लोग जो राजधानी के बारे में सोचते होंगे या उसके बारे में कल्पना उठती है वो इसी लुटियंस वाली दिल्ली की है। वीआईपी और रसूखदार लोगों की रिहाइश के लिए इस इलाके को जाना जाता है। नेताओं और सरकारी अफसरों का पसंदीदा ठिकाना। अफसर भी यहां छोटे-मोटे पदों वाले नहीं बल्कि बड़े-बड़े पदों वाले रहते हैं। इसलिए एक लंबी दौड़ यहां लगती है बंगला पाने के लिए। क्या नेता, क्या अफसर सरकारी बंगलों तक पहुंचने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं। पिछले एक हफ्ते में आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत संपदा निदेशालय (डीओई) की तरफ से पूर्व केंद्रीय मंत्रियों को उनके कार्यकाल के दौरान आवंटित बंगले खाली करने का नोटिस प्राप्त हुआ। इसने सांसद चिराग पासवान से दिवंगत पिता रामविलास पासवान, भाजपा सांसद रामशंकर कठेरिया को 7 मोती लाल नेहरू मार्ग, पूर्व केंद्रीय मंत्री पीसी सारंगी से 10 पंडित पंत मार्ग से और पूर्व शिक्षा मंत्री रमेश को आवंटित बंगले से खाली करा लिया गया है। ऐसे में आज आपको बताते हैं कि मंत्रियों को किस तरह से बंगले अलॉट किए जाते हैं, इसे खाली कराए जाने की क्या प्रक्रिया है और आखिर क्यों नेता बंगला नहीं छोड़ना चाहते हैं।

इसे भी पढ़ें: BJP Foundation Day Special: बीजेपी के बनने की दास्तां तो खूब सुनी अब जरा इसके बदलने की कहानी भी जान लें

कैसे अलॉट होता है बंगला

भारत सरकार की सम्पदाओं का प्रशासन और प्रबंधन करना संपदा निदेशालय के जिम्मे है। जिसमें देश भर में सरकारी आवासीय आवास और अन्य संपत्तियां शामिल हैं। केंद्र सरकार के बंगलों का आवंटन सामान्य पूल आवासीय आवास (जीपीआरए) अधिनियम के तहत किया जाता है। जीपीआरए दिल्ली में और दिल्ली के बाहर 39 स्थानों पर डीओई के प्रशासनिक नियंत्रण में केंद्र सरकार के आवासीय आवास को कवर करता है। केंद्र सरकार के कर्मचारी जीपीआरए पूल के तहत आवास के लिए आवेदन करने के पात्र हैं,और आवंटन आवेदक के वेतनमान, कार्यालय या स्थिति के अनुसार किया जाता है। केंद्रीय मंत्रियों की सेवा के लिए आवास डीओई द्वारा आवंटित किया जाता है। टाइप VII या टाइप VIII बंगला आवंटित करने की जिम्मेदारी हाउस कमेटी की होती है।

आधिकारिक  बंगलों में कौन सा राजनेता सबसे लंबे समय तक काबिज रहा?

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार 10 जनपथ के बंगले में सोनिया गांधी पिछले तीन दशक से रह रही हैं। ये बंगला राजीव गांधी को 19 जनवरी 1990 को आवंटित हुआ था। राजीव गांधी की हत्या के बाद ये बंगला सोनिया गांधी को दे दिया गया था। सोनिया गांधी के अलावा रामविलास पासवान को 12 जनपथ 14 मार्च 1990 को मिला था। बीजेपी  के सीनियर नेता लाल कृष्ण आडवानी 30 पृथ्वीराज रोड पर 21 जनवरी 2002 से रहते आ रहे हैं। एनसीपी चीफ शरद पवार 6 जनपथ रोड पर 4 जून 2004 से रह रहे हैं। 

इसे भी पढ़ें: Matrubhoomi: भीकाजी कामा: विदेशी धरती पर पहली बार भारत का झंडा फहराने वाली बहादुर महिला की कहानी

किस मंत्री या सांसद को किस टाइप का बंगला होता है अलॉट 

टाइप-8 बंगले: यह सबसे बड़े बंगले माने जाते है। ये एक 3 एकड़ में फैले हुए है। इन बंगलों में 8 कमरे हैं। इनमें 5 बेडरूम एक  बड़ा हॉल, 1 डाइनिंग रूम और एक स्टडी रूम है। कैंपस में बैठने के लिए अलग से हॉल और लॉन हैं। ये बंगले कैबिनेट मिनिस्टर, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस, पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व उपराष्ट्रपति या उनकी जीवित पत्नियों को अलॉट किए जाते हैं। ये बंगले नई दिल्ली के जनपथ रोड, मोतीलाल नेहरू मार्ग, तुगलक रोड, सफदरजंग रोड, अकबर रोड, कृष्णमेनन मार्ग और त्यागराज मार्ग पर हैं।

टाइप-7 बंगले: ये बंगले एक एकड़ से लेकर सवा एकड़ तक में फैले हैं। इनमें 4 बेडरूम होते हैं। ये बंगले राज्य मंत्रियों, हाई कोर्ट के जस्टिस, कम से कम पांच बार के सांसदों को अलॉट किया जाता है। ऐसे बंगले अशोका रोड, लोदी स्टेट, कुशक रोड, तुगलक रोड और कैर्निंग लेन में है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी तुगलक लेन के टाइप 7 बंगले में ही रहते हैं। 

टाइप-6 और 5 बंगले: ये बंगले एक बार या उससे अधिक जीतकर आने वाले सांसदों और पहली बार जीतकर आने वाले सांसदों को मिल सकते हैं। ये 1 एकड़ से कम के बंगले हैं। टाइप-5 बंगले चार कैटगरी में होते हैं। पहली कैटेगरी में ए में एक बेडरूम और एक ड्राइिंग रूम होते हैं। जबकि दूसरी कैटगरी यानी बी में दो बेडरूम और एक ड्राइिंग रूम, सी में 3 बेडरूम और एक ड्राइिंग रूम और डी कैटेगरी में 4 बेडरूम और 1 ड्राइिंग रूम होता है। 

इसे भी पढ़ें: भारत का विभाजन, आनंदपुर साहिब प्रस्ताव, राजीव गांधी-लोंगोवाल समझौता, चंडीगढ़ को लेकर मचे खींचतान को इतिहास के आइने से समझें

हालिया कुछ वर्षों में इनसे खाली कराया गया आवास

चिराग पासवान: लोजपा सांसद चिराग पासवान से दिल्ली स्थित 12 जनपथ वाले घर को खाली कराया गया। चिराग ने कहा कि 29 तारीख को सपरिवार खुद घर से निकल कर जाने को तैयार था, पर जबरदस्ती फोर्स भिजवा कर सामान फेंका गया। रामविलास पासवान के निधन के बाद दिल्ली का 12 जनपथ बंगला खाली करने का आदेश जारी हुआ था।  

प्रियंका गांधी वाड्रा: 2020 में कांग्रेस महासचिव को 35, लोधी एस्टेट हाउस में आवंटित आवास को एक महीने के भीतर खाली करने के लिए नोटिस भेजा गया था।  एसपीजी सुरक्षा वापस लिए जाने के बाद वह आवासीय सुविधा पाने की हकदार नहीं हैं। उन्हें 21 फरवरी 1997 को एसपीजी सुरक्षा प्राप्त बंगला आवंटित किया गया था। लेकिन Z प्लस सुरक्षा में बंगला नहीं मिलता है।

इसे भी पढ़ें: PM मैटेरियल से उपराष्ट्रपति मैटेरियल तक, पार्टनर फिल्म के भास्कर की तरह किसी भी साइज के अंदर फिट होने वाले नेता हैं नीतीश कुमार

अधीर रंजन चौधरी: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से चौथी बार सांसद बने चौधरी, यूपीए सरकार के दौरान वर्ष 2012 में रेलवे राज्‍यमंत्री बनने के बाद चाणक्‍यपुरी के मोतीबाग हाउसिंग काम्‍पलेक्‍स स्थित बंगले में शिफ्ट हुए थे। लेकिन मंत्री पद से हटने के बाद सांसद होने के नाते उन्हें छोटा यानी टाइप 6 का ही बंगला दिया गया तो चौधरी ने उसे लेने से मना कर दिया। नौबत तो यहां तक आ गई थी कि बंगला ख़ाली कराने पहुंच अधिकारियों को उनका सामान बाहर निकाल कर रखना पड़ा। उनकी बिजली पहले ही काट दी गई। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था और कोर्ट को चौधरी को कहना पड़ा था कि  'आपको गरिमा का परिचय देना चाहिए'।

अंबिका सोनी और कुमारी शैलजा: 2015 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने कांग्रेस के दो राज्यसभा सांसदों को अपने मंत्री प्रकार के आठवें बंगले को खाली करने का आदेश दिया, जिस पर वे मंत्रियों के रूप में पद छोड़ने के बाद भी उस पर कब्जा जमा रखा था।  राज्यसभा सचिवालय ने अदालत को बताया कि उन्हें अब टाइप VII बंगले आवंटित किए गए हैं। इसके साथ ही प्रत्येक पर 25-25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था।

शरद यादव: पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री को 31 मई, 2022 तक एक सांसद के रूप में उन्हें आवंटित दिल्ली बंगला खाली करने का निर्देश दिया। यादव ने दिसंबर 2017 में राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य होने के बाद अदालत का दरवाजा खटखटाया था। दिल्ली उच्च न्यायालय के 15 दिनों में बंगला खाली करने के आदेश को चुनौती देते हुए शरद यादव ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था। 

पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और हर्षवर्धन को बंगला खाली करने के आदेश भेजे जा चुके हैं। अब टाइप VIII बंगले के लिए पात्र नहीं हैं। डीओई ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को नोटिस भेजकर चाणक्यपुरी में उसे आवंटित आवास खाली करने को कहा।

मोदी सरकार का बेदखली अभियान

2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से इन विशेष बंगलों से पूर्व मंत्रियों और सांसदों को नियमति रूप से बेदखल करने का एक अभियान चलाया हुआ है। जिसकी जद में उनके अपने सांसद और पूर्व मंत्री भी आए। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मोदी सरकार ने अपने पहले कार्याकल के साल में ही करीब 460 लोगों को लुटियंस बंगला क्षेत्र से बेदखल किया है। ये अपने आप में एक अनोखा रिकॉर्ड है। बेदखली की बड़ी वजह है कि घर सीमित हैं और नए मंत्रियों और अधिकारियों के लिए घर खोजना काफी मशक्कत का काम होता है। इसलिए ज्यादातर पुराने सांसदों, मंत्रियों से आवास खाली कराया गया। 2019 में संसद में सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत रहने वालों की बेदखली) संशोधन विधेयक 2019 पारित किया गया। जिसके तहत सरकारी आवासीय आवासों से अनिधिकृत रहने वालों को आसानी से और तीव्र गति से बेदखल करने की सुविधा है। कानून के अनुसार अधिक समय बिताने वालों को कठोर जुर्माना भरना पड़ेगा। यदि वे पांच महीने से अधिक समय तक रूकते हैं तो उन्हें 10 लाख रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ेगा। 

-अभिनय आकाश 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़