भारत में कोरोना के कहर के 100 दिन पूरे, जानिए केरल ने कैसे संक्रमण पर पाया काबू
केरल के स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा खुद ही बताती है कि कोरोना हो या कोई अन्य बीमारी, अच्छी योजना बनाकर हम किसी से भी मुकाबला कर सकते है। यही फार्मूला केरल में निपाह और इबोला वायरस के मामले में भी अपनाया था। केरल के लिए एक अच्छी बात यह भी है कि वहां साक्षरता दर अच्छी है।
पूरा विश्व इस वक्त कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहा है। इस महामारी के वायरस की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई थी। दुनिया के विभिन्न देशों के लगभग 15 लाख लोगों को यह वायरस अपना शिकार बना चुका है। भारत में भी कोरोनावायरस का कहर जारी है। लगभग 6500 लोग इस वक्त इस वायरस के शिकार हो गए हैं जबकि 200 लोगों की मौत हई है। भारत में कोरोनावायरस के 100 दिन पूरे हो गए है। भारत में पहला केस केरल में आया था। कोरोना के 100 दिन पूरे होने पर मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बताया कि आखिर उन्होंने कोरोना को केरल में किस तरीके से कंट्रोल किया। शुक्रवार की सुबह केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने ट्वीट कर जानकारी दी कि राज्या में कोरोना के आने के बाद से उन्होंने किस तरीके के कार्य किए हैं। उन्होंने अपने एक्शन प्लान की भी जानकारी दी। पी विजयन ने बताया कि राज्य में अब हालात काबू में है। विजयन के अनुसार केरल में कोरोना के कुल मामले 357 है जिनमें से अब तक 97 लोगों को ठीक किया जा चुका है। अभी भी 258 मामले एक्टिव है जबकि 2 व्यक्तियों की मौत हुई है।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि अब तक 12710 लोगों के टेस्ट किए गए है। केरल में ऐसा नहीं है कि अब कोरोना के मामले नहीं आ रहे है लेकिन वह पहले से काफी कम है। उसका ग्राफ नीचे आ जा रहा है और कहीं ना कहीं यह केरल और भारत के लिए अच्छा संकेत है। मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीट में यह भी बताया कि उन्होंने और उनकी राज्य सरकार ने किस तरीके से कोरोना और लॉक टाउन से निपटने के लिए काम किया। केरल में कोरोना के पहला मामला आने से पहले ही मुख्यमंत्री ने संक्रमण पर चर्चा करके 24 जनवरी को ही सभी जिलों में कंट्रोल रूम बनाने का निर्णय ले लिया था। आपको बता दें कि केरल में कोरोना का पहला मामला 30 जनवरी को आया था जब चीन के वुहान से लौटे एक छात्र को पॉजिटिव पाया गया था। उसके बाद दो-तीन दिनों के भीतर और मामले बढ़े। 4 फरवरी को केरल में कोरोना की स्थिति को गंभीरता से देखते हुए राज्य में आपदा घोषित कर दिया गया था। उसी दौरान राज्य के लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग, सहयोग पर अमल और यात्रा की डिटेल साझा करने की अपील की गई थी। साथ ही साथ कोरोना से निपटने के लिए पीसीआर आधारित रैपिड टेस्ट किट का ऑर्डर भी पुणे के निजी लैब में कर दिया गया था।100 Days of #COVID19 | Kerala Story
— Pinarayi Vijayan (@vijayanpinarayi) April 10, 2020
It's been 100 days since the first case was reported.
258 active cases
97 recovered
Total confirmed: 357
Deaths: 2
12710 samples tested
Special COVID Hospital
1251 Community Kitchens
2808650 Individuals Served
3676 Destitutes Rehabilitated
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केरल के स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा खुद ही बताती है कि कोरोना हो या कोई अन्य बीमारी, अच्छी योजना बनाकर हम किसी से भी मुकाबला कर सकते है। यही फार्मूला केरल में निपाह और इबोला वायरस के मामले में भी अपनाया था। केरल के लिए एक अच्छी बात यह भी है कि वहां साक्षरता दर अच्छी है। वहां मेडिकल और पैरामेडिकल, विज्ञान और तकनीक से जुड़े लोगों की तादाद भी अच्छी है। अतः कोरोना से निपटने के लिए लोगों तक जागरूकता फैलाने में भी राज्य सरकार को ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी। केरल के लोग खाड़ी देश, चीन समेत दुनिया के विभिन्न हिस्सों में रहते हैं। केरल सरकार को पता था कि उसके लोग अब कोरोना के बढ़ते महामारी के बीच राज्य में वापस लौटेंगे। अतः सरकार ने अनुभव के आधार पर संक्रमितओं की पहचान करने, उनके इलाज के लिए योजना और चिकित्सा विभाग को ट्रेनिंग देने की भी शुरुआत कर दी थी।
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केरल के स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से कोरोना का पता लगाने के लिए रैपिड टेस्टिंग, स्क्रीन टेस्टिंग समेत सभी उपायों को अपनाया। वहां की स्वास्थ्य मंत्री ने साफ तौर पर कहा था कि यदि आप अपने यात्रा की हिस्ट्री को छुपाते हैं तो यह अपराध होगा। वर्तमान में विशेषज्ञ यह मान भी रहे हैं कि कोरोना से खिलाफ लड़ाई में केरल मॉडल को अपनाना चाहिए। केरल ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए शुरू से ही जो सतर्कता बरती उसे भारत के किसी और राज्य में नहीं सोचा। केरल ऐसा पहला राज्य था जहां पर राहत पैकेज की घोषणा की गई थी। मजदूर वर्ग हो या फिर गरीब परिवार हो, सभी को ध्यान में रखा गया था। राज्य में किसी को दिक्कत ना हो इसलिए 1251 कम्युनिटी किचन बनाए गए थे जिससे 28 लाख से भी ज्यादा लोग खाना खाया। 3000 से अधिक शेल्टर होम बनाए गए थे।
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