विवादित बयानों से चर्चा में बने रहे उत्तराखंड के 11 मुख्यमंत्री, कुछ ऐसा रहा कार्यकाल

11 cm of Uttarakhand
निधि अविनाश । Jan 15 2022 8:31PM

तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे के बाद उत्तराखंड के 11 वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और 4 जुलाई 2021 को पद ग्रहण किया। पुष्कर सिंह धामी ने पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी के राजनीतिक सलाहकार के रूप में भी काम किया है। वह 45 साल की उम्र में उत्तराखंड के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने।

उत्तराखंड को 20 साल के सफर में 11 मुख्यमंत्री मिले। इस समय उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी है। पुष्कर सिंह धामी एक भारतीय राजनीतिज्ञ और भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं, जो 11वें और उत्तराखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं। धामी उधम सिंह नगर जिले के खटीमा निर्वाचन क्षेत्र से उत्तराखंड विधानसभा के सदस्य हैं।

धामी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत साल 1990 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की थी। उन्होंने 2008 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा के राज्य अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। इस समय के दौरान, उन्हें राज्य के उद्योगों में स्थानीय युवाओं के लिए 70% अवसर आरक्षित करने के लिए राज्य सरकार पर जोर देने का श्रेय दिया गया। 3 जुलाई 2021 को, उन्होंने तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे के बाद उत्तराखंड के 11 वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और 4 जुलाई 2021 को पद ग्रहण किया।  पुष्कर सिंह धामी ने पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी के राजनीतिक सलाहकार के रूप में भी काम किया है। वह 45 साल की उम्र में उत्तराखंड के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने।

चर्चा में भी रहे धामी 

2021 में धामी के उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभालने के बाद, उनका 2015 का एक ट्वीट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें उन्होंने अखंड भारत का अपना काल्पनिक नक्शा साझा किया था, जिसमें पड़ोसी देश भी शामिल था, इस नक्शे में उन्होंने लद्दाख को छोड़ दिया था और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का नक्शा पेश किया था। उन्होंने इस नक्शे को शेयर करते हुए एक कैप्शन लिखा था कि, अखंड भारत - हर राष्ट्रभक्त की इच्छा"। 

एक नजर उत्तराखंड के अब तक के मुख्यमंत्री और उनका कार्यकाल पर

नित्यानंद स्वामी 

नित्यानंद स्वामी भारतीय राज्य उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे, उनके प्रशासन के दौरान उत्तराखंड को नाम उत्तरांचल दिया गया था। वह 9 नवंबर 2000 से 29 अक्टूबर 2001 तक सेवारत राज्य के पहले मुख्यमंत्री थे। पारदर्शी व्यक्तित्व वाले स्व. नित्यानंद स्वामी राजनिति के एक सच्चे पुरोहित थे। उन्होंने उत्तराखंड में अपराध और नशखोरी पर लगाम लगाई। जब उत्तराखंड में अपराध एक चरम सीमा पर थी तब मुख्यमंत्री द्वारा उठाए गए सख्त कदम से क्राइम का ग्राफ भी नीचे आ गया था। पूरा जीवन संघर्ष में बीता देने वाले नित्यानंद स्वामी का एक पैर रेल और दूसरा पैर जेल में रहता था। सुख-सुविधाओं को छोड़ पूर्व मुख्यमंत्री ने छोटे से ही घर ेमं रहना पसंद किया।नित्यानंद स्वामी ने 9 नवंबर, 2000 से 29 अक्टूबर, 2001 तक कार्यालय में कार्य करने के बाद इस्तीफा दे दिया।

भगत सिंह कोश्यारी

भगत सिंह कोश्यारी एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो 5 सितंबर 2019 से महाराष्ट्र के 22वें और वर्तमान राज्यपाल के रूप में कार्यरत हैं। आरएसएस के दिग्गज, कोश्यारी ने भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और उत्तराखंड के लिए पार्टी के पहले राज्य अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। उन्होंने 2001 से 2002 तक उत्तराखंड के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में भी कार्य किया और उसके बाद, वह 2002 से 2003 तक उत्तराखंड विधानसभा में विपक्ष के नेता थे। उन्होंने उत्तर प्रदेश विधान परिषद में एमएलसी के रूप में भी कार्य किया है। हमेशा सुर्खियों में बने रहे कोश्यारी ने पहले केंद्रीय नेतृत्व में 2007 में राज्यसभा में गए। उसके बाद साल 2014 में लोकसभा का टिकट देकर प्रदेश की राजनिति से अलग होते ही दिल्ली के लुटियंस के गलियारों में रहे। राजनिति में अस्थिर बने रहे कोश्यारी ने दिल्ली को भी अलविदा कर साल 2019 में महाराष्ट्र में राज्यपाल का पद संभाला।बता दें कि,  महाराष्ट्र सरकार और कोश्यारी के बीच तनातनी तब ज्यादा बढ़ी थी जब सीएम उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को उत्तराखंड जाने के लिए विमान देने से मना कर दिया था। राज भवन और मुख्यमंत्री कार्यालय एक-दूसरे की गलती होने की बात कर रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि सीएम और राज्यपाल के बीच छत्तीस का आंकड़ा सियासी वजह से हमेशा ही बना रहा। 

नारायण दत्त तिवारी

नारायण दत्त तिवारी एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे। वह पहले प्रजा सोशलिस्ट पार्टी में थे और बाद में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए। वह तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे (1976-77, 1984-85, 1988-89) और एक बार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री (2002-2007) के रूप में कार्य किया। 1986 और 1988 के बीच, उन्होंने प्रधानमंत्री राजीव गांधी के मंत्रिमंडल में पहले विदेश मंत्री और फिर वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया। तिवारी तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। वे 1980 में 7वीं लोकसभा के लिए चुने गए। साल 1994 में तिवारी ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था और 1995 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अर्जुन सिंह के साथ अपनी अखिल भारतीय इंदिरा कांग्रेस (तिवारी) का गठन किया। जब सोनिया गांधी ने दो साल बाद पार्टी की कमान संभाली, और 1996 में आम चुनावों के दौरान नरसिम्हा राव के नेतृत्व में पार्टी की विनाशकारी हार हुई तो वह वापस पार्टी में शामिल हो गए।  तिवारी 1996 में 11वीं लोकसभा के लिए और फिर 1999 में 13वीं लोकसभा के लिए चुने गए। बाद में उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया, उन्होंने अपनी उम्र का हवाला देते हुए 5 मार्च 2006 को इस्तीफा दे दिया। अपना पूरा जीवन कांग्रेस पार्टी में झोकनें के बाद तिवारी ने राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए नरेंद्र मोदी और भाजपा को अपना आशीर्वाद और समर्थन दिया।

मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूरी

मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूरी एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वह 2007 से 2009 और 2011 से 2012 तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे। वे 16वीं लोकसभा में उत्तराखंड के गढ़वाल संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद थे और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ सदस्य हैं। खंडूरी को हमेशा से एक ईमानदार व्यक्ति के रूप में देखा गया है। जब उन्होंने उत्तराखंड राज्य सरकार की अध्यक्षता की, तो उन्होंने एक मजबूत लोकायुक्त विधेयक (सार्वजनिक लोकपाल), नागरिक चार्टर और राज्य के नियोक्ताओं के लिए एक पारदर्शी स्थानांतरण नीति के कार्यान्वयन पर जोर दिया। लोकायुक्त के पारित होने से अन्ना हजारे ने खंडूरी की प्रशंसा की थी। साल 2009 के आम चुनावों में जब भाजपा एक भी सीट जीत नहीं पाई तो खंडूरी ने नैतिक आधार पर जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। 10 सितंबर 2011 को रमेश पोखरियाल निशंक का स्थान लेते हुए खंडूरी ने दोबोरा सीएम का पद ग्रहण किया था।

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रमेश पोखरियाल

रमेश पोखरियाल अपने कलम नाम से जाने जाते हैं, निशंक एक भारतीय राजनेता हैं, जिन्हें 31 मई 201 9 को मानव संसाधन विकास मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था और जुलाई 2020 तक, मंत्रालय के नाम परिवर्तन के बाद, उनका शीर्षक बदलकर शिक्षा मंत्री कर दिया गया। निशंक चर्चे में तब आए जब 2010 में निशंक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने, उस दौरान वह एक भूमि घोटाले के लिए जांच के दायरे में आ गए थे। 2011 में, उन्होंने अपनी सरकार के खिलाफ होकर अपना इस्तीफा दे दिया था। साल 2014, पोखरियाल के लिए एक विवाद का कारण बना जब उन्होंने संसद में एक बयान दिया जिसमें दावा किया गया कि ज्योतिष को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा ज्योतिष सबसे बड़ा विज्ञान है। यह वास्तव में विज्ञान से ऊपर है। हमें इसे बढ़ावा देना चाहिए। 

विजय बहुगुणा

विजय बहुगुणा एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जिन्होंने उत्तराखंड के 6वें मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। वह हेमवती नंदन बहुगुणा के सबसे बड़े बेटे हैं, जो एक स्वतंत्रता कार्यकर्ता और प्रख्यात राजनीतिज्ञ हैं, और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भी हैं। विजय बहुगुणा भारत की 14वीं और 15वीं लोकसभा के सदस्य थे। उन्होंने उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं। विजय बहुगुणा ने 31 जनवरी 2014 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में अपना इस्तीफा सौंप दिया था। जून, 2013 में बाढ़ के मद्देनजर बचाव कार्यों को संभालने के लिए विजय सरकार की व्यापक आलोचना हुई थी। 

हरीश सिंह रावत

हरीश सिंह रावत एक भारतीय राजनेता हैं जो 2014 से 2017 तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे। पांच बार संसद सदस्य रहे रावत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के नेता हैं। 15वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में, रावत ने 2012 से 2014 तक प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह की कैबिनेट में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री के रूप में कार्य किया।हरीश रावत को विवादित बयानों के लिए भी जाना जाता है। हरीश रावत के पंज प्यार टिप्पणी से काफी विवाद हुआ था। दरअसल रावत ने रावत ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिद्धू और कार्यकारी अध्यक्षों के लिए पंज प्यारे शब्द का इस्तेमाल किया था। जिसके बाद विवाद और तेज हो गया था और विपक्षी दलों ने रावत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। हालांकि, उन्होंने अपने इस बयान के लिए बाद में माफी भी मांगी ली थी। 

त्रिवेंद्र सिंह रावत

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 2017 और 2021 के बीच उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। रावत 1979 से 2002 तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य थे और 2000 में राज्य के गठन के बाद उत्तराखंड क्षेत्र और बाद में उत्तराखंड राज्य के आयोजन सचिव के पद पर रहे। 27 जुलाई 2017 के उनके एक ट्वीट ने विवाद खड़ा कर दिया था और उन पर कुमाऊंनी भाषा पर गढ़वाली भाषा को तरजीह देने का आरोप लगाया गया।  जुलाई 2019 में, रावत ने कहा कि गाय एकमात्र ऐसा जानवर है जो ऑक्सीजन छोड़ती है और गायों के करीब रहने से tuberculosis का इलाज हो सकता है।त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस अवैज्ञानिक बयान ने एक विवाद को जन्म दिया था।9मार्च 2021 को रावत ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। विवादों में रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मई 2021 में कहा कि कोरोना वायरस भी एक जीवित जीव है जिसे इंसानों की तरह जीने का अधिकार है। यह वायरस लगातार अपना रूप बदल रहा है। विपक्ष ने उनकी आलोचना की थी और कहा कि उनका बयान मूर्खतापूर्ण और बकवास है, और उन्होंने अपना दिमाग खो दिया है।

तीरथ सिंह रावत

तीरथ सिंह रावत वर्तमान सांसद और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हैं। वह भारतीय जनता पार्टी के सदस्य के रूप में 2019 के भारतीय आम चुनाव में गढ़वाल निर्वाचन क्षेत्र से 17वीं लोकसभा के लिए चुने गए। वह 9 फरवरी 2013 से 31 दिसंबर 2015 तक भारतीय जनता पार्टी उत्तराखंड के पार्टी प्रमुख और 2012 से 2017 तक चौबट्टाखल निर्वाचन क्षेत्र से उत्तराखंड विधान सभा के पूर्व सदस्य रहे। तीरथ सिंह रावत ने भी ऐसे-ऐसे बयान दिए है जिससे वह एक मजाक का पात्र बने रहे। उन्होंने मार्च 2021 में पीएम मोदी को राम और कृष्ण का अवतार बता दिया था। इसको लेकर कांग्रेस के विपक्षी दल के नेताओं ने दावा किया कि यह चाटुकारिता है और उनकी टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना की थी। इसके अलावा उन्होंने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि महिला को रिप्ड जींस नहीं पहनना चाहिए और कहा था कि कि ये कैसे संस्कार हैं। इसको लेकर प्रियंका गांधी ने रावत की टिप्पणी पर उनकी आलोचना की और सफेद शर्ट और खाकी शॉर्ट्स में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की तस्वीरें भी पोस्ट कीं थी। रावत ने बाद में अपनी विवादास्पद टिप्पणी के लिए माफी मांगी और कहा कि उन्हें जींस से कोई समस्या नहीं है। लेकिन उन्होंने रिप्ड जींस पर यह कहा कि फटी हुई जींस पहनना सही नहीं है।

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