लीबिया में फंसे केरल के 16 व्यक्ति स्वदेश लौटकर आये
युद्धप्रभावित लीबिया में फंसे केरल निवासी 16 व्यक्ति आज सुबह यहां पहुंच गए। लीबिया से लौटने वालों में बच्चे भी शामिल हैं। इन सभी के चेहरों पर राहत साफ झलक रही थी।
कोच्चि। युद्धप्रभावित लीबिया में फंसे केरल निवासी 16 व्यक्ति आज सुबह यहां पहुंच गए। लीबिया से लौटने वालों में बच्चे भी शामिल हैं। इन सभी के चेहरों पर राहत साफ झलक रही थी। डेढ़ वर्ष से दो वर्ष की आयु वाले बच्चों और एक गर्भवती नर्स सहित 29 भारतीयों को लीबिया से बचाया गया था। इनमें से नौ परिवार केरल और तीन तमिलनाडु के थे। ये लोग पूर्वाह्न साढ़े दस बजे जब नेंदुम्बासेरी हवाई अड्डे से बाहर निकले तो उनके परिजनों ने नम आंखों से उन्हें गले लगा लगा लिया। वह अत्यंत ही भावुक क्षण था। 16 व्यक्तियों को लेकर विमान यहां सुबह साढ़े आठ बजे हवाई अड्डे पर उतरा। इन लोगों ने उसके बाद आव्रजन औपचारिताएं पूरी की। बचाये गए भारतीयों के रिश्तेदार सुबह से ही उनका बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। इन लोगों ने अपने रिश्तेदारों को जैसे ही देखा वे खुशी से रोने लगे।
केरल की नर्स सुनु सत्यन और उसका डेढ़ वर्ष का पुत्र प्रणव लीबिया में हिंसा प्रभावित जाविया शहर में गत 25 मार्च को एक राकेट हमले में मारे गए थे। इसके बाद अस्पताल में काम करने वाली अन्य नर्सों ने भी क्षेत्र छोड़ने का फैसला कर लिया। समूह में शामिल अब्राहम नाम के एक व्यक्ति ने कहा, ‘‘मैं उसी अस्पताल में था। घटना के बाद हम लीबियाई के स्वामित्व वाले आश्रय में चले गए।’’ अधिकतर नर्सों ने दावा किया कि यद्यपि उन्होंने विदेश मंत्री के कार्यालय और मुख्यमंत्री ओमन चांडी के कार्यालय से सम्पर्क किया लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिली। उनमें से एक ने कहा, ‘‘कई वादे तो किये गए लेकिन कोई मदद नहीं मिली।’’ उसने कहा कि टिकट खरीदने के लिए उन्हें करीब नौ लाख रूपये का भुगतान करना पड़ा।
एक अन्य नर्स ने कहा, ‘‘पिछले एक महीने से हमारा वहां रहना दूभर हो गया था। भोजन और दवाइयों की परेशानी थी।’’ कोझेनचेरी की रहने वाली एक नर्स ने कहा कि वह और उसके परिवार के तीन सदस्य लीबिया में पिछले पांच वर्षों से थे। उसने संवाददाताओं से कहा, ‘‘वहां स्थिति के चलते हम बैंक से नकदी नहीं निकाल पा रहे थे। मुख्यमंत्री ने हमें फोन करके हमारी परेशानी के बारे में जानकारी ली।’’ अनिवासी केरलवासियों के मामलों (एनआरकेए) के सीईओ आरएस कन्नन ने कहा कि इन लोगों ने टिकट खरीदने के लिए जो राशि खर्च की है उसका भुगतान किया जाएगा। कन्नन ने कहा कि फंसे यात्री बुधवार को त्रिपोली पहुंचे थे और एनआरकेए लीबिया में भारतीय राजदूत असार एच खान से सम्पर्क में था। खान वर्तमान में माल्टा में स्थित है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे अनुरोध के तहत राजदूत ने अस्पताल, लिबियाई बैंक और विदेश मामलों के प्रोटोकॉल अधिकारी से सम्पर्क किया ताकि फंसे भारतीयों का बकाये का भुगतान कराया जा सके।’’
फंसे भारतीय लीबिया के शहर त्रिपोली से उड़ान से इस्तांबुल गए, फिर वहां से दुबई और फिर कोच्चि के लिए आये। कन्नन ने कहा कि कुल 11 बच्चे हैं जिसमें से पांच की आयु डेढ़ वर्ष से दो वर्ष के बीच है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के तीन परिवार दुबई से चेन्नई गए। उनमें से अधिकतर एर्णाकुलम, त्रिशूर और पतानामतिट्टा जिलों के हैं। बचाये गए लोगों में एक गर्भवती नर्स भी है।
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