भारत की संसदीय परम्परा से जुड़ना हम सभी के लिए है सौभाग्य का विषय: राजनाथ
17वीं लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सिंह ने सदस्यों को यह सलाह दी कि उन्हें संसदीय नियमों और प्रक्रियाओं, भारत के संविधान के प्रावधानों, संविधान सभा के वाद-विवादों की जानकारी होनी चाहिए और साथ ही उन्हें सुविख्यात राजनेताओं के भाषणों/लेखों का भी उद्देश्यपरक अध्ययन करना चाहिए।
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सत्रहवीं लोकसभा के नव-निर्वाचित सदस्यों से कहा कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के जन प्रतिनिधियों के रूप में सदस्यों को यह याद रखना चाहिए कि अलग-अलग पार्टियों से जुड़े होने के बावजूद वे एक राष्ट्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। 17वीं लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सिंह ने सदस्यों को यह सलाह दी कि उन्हें संसदीय नियमों और प्रक्रियाओं, भारत के संविधान के प्रावधानों, संविधान सभा के वाद-विवादों की जानकारी होनी चाहिए और साथ ही उन्हें सुविख्यात राजनेताओं के भाषणों/लेखों का भी उद्देश्यपरक अध्ययन करना चाहिए।
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सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि सदस्यों को हमेशा इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि जनता ने उन्हें अपना प्रतिनिधित्व करने का अवसर देकर उनका कद ऊँचा किया है और अब जनता के लिए ईमानदारी से काम करना उनका कर्त्तव्य है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस अवसर पर नए सदस्यों से आग्रह किया कि वे अधिकतम समय संसद में व्यतीत करें जिससे कि उन्हें वरिष्ठ सदस्यों का मार्गदर्शन मिले। उन्होंने कहा कि नए सांसद अपने क्षेत्र और मतदाताओं की आशाओं और आकांक्षाओं को वाणी देना चाहते हैं और संसद से अधिक सशक्त मंच उपलब्ध नहीं है।
आज सत्रहवीं लोकसभा के नवनिर्वाचित सांसदों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम में हमारी संसदीय परम्पराओं और सांसद के रूप में हमारी क्या भूमिका होनी चाहिए इस बारे में चर्चा करने का सुअवसर प्राप्त हुआ।
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) July 3, 2019
भारत की संसदीय परम्परा से जुड़ना हम सभी के लिये सौभाग्य का विषय है। pic.twitter.com/K2WVX5ONCh
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महिला सांसदों को बोलने के अधिक अवसरों की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही में उनके भाग लेने से लोकतंत्र सुदृढ़ होगा। सांसदों से सदन में हंगामे और आसन के समक्ष आने की प्रवृत्ति से बचने का आग्रह करते हुए बिरला ने कहा कि सांसदों का प्रयास यह रहना चाहिए कि वे संसदीय परम्पराओं का सम्मान करें। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि विपक्ष के बिना लोकतंत्र नहीं बचेगा। विपक्ष संतुलन का काम करता है। अगर सरकार अपने दायरे के बाहर जायेगी तो संविधान हमारे साथ है। हमें संविधान का सम्मान करना चाहिए।
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