अमरावती में दो समुदायों के बीच भड़की सांप्रदायिक हिंसा में 188 आरोपी गिरफ्तार, राजनीति भी हुई शुरू

communal violence
रेनू तिवारी । Nov 17 2021 5:39PM

बांग्लादेश में दुर्गापूजा के दौरान हुई हिंसा के बाद त्रिपुरा में अल्पसंख्यकों के घरों को जला दिया गया। गुस्साई भीड़ के कारण त्रिपुरा में हिंसा हुई और इस हिंसा की आग कोसो दूर महाराष्ट्र तक फैल गयी।

बांग्लादेश में दुर्गापूजा के दौरान हुई हिंसा के बाद त्रिपुरा में अल्पसंख्यकों के घरों को जला दिया गया। गुस्साई भीड़ के कारण त्रिपुरा में हिंसा हुई और इस हिंसा की आग कोसो दूर महाराष्ट्र तक फैल गयी। पिछले दीवाली के बाद त्रिपुरा हिंसा के विरोध में भीड़ से जुलूस निकाला और जुलूस की आंड़ में लोगों के घरों पर पथराव किया और आगजनी की। महाराष्ट्र के अमरावती, नांदेड औग मालेगांव में हिंसा का सबसे ज्यादा असर देखने को मिला। यहां गुस्साई भीड़ ने पुलिस पर भी हमला किया। हिंसा वाले इलाके में एक हफ्ते के लिए कर्फ्यू वगा दिया गया था और हिंसा करने वालों की पुलिस ने तलाश जारी कर दी। अब तक इस मामले में 188 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी हैं। बाकियों की तलाश जारी हैं। सरकार ने महाराष्ट्र के अमरावती और मालेगांव में प्रदर्शन के दौरान फैली हिंसा के बाद लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की हैं। हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में अभी भी सख्ती जारी है।

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हिंसा फैलाने वालें 188 आरोपी गिरफ्तार 

महाराष्ट्र के अमरावती में अगले सप्ताह तक ढील के साथ कर्फ्यू जारी रहेगा तथा इंटरनेट सेवाओं पर दो और दिनों तक रोक लगी रहेगी। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि हिंसक घटनाओं के सिलसिले में मंगलवार पूर्वाह्न तक कुल 188 आरोपी गिरफ्तार किये गये। शहर में 12 और 13 नवंबर को एक के बाद एक कई हिंसक घटनाएं हुई थीं लेकिन अब स्थिति धीरे धीरे सामान्य हो रही है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राजेंद्र सिंह ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि छूट के साथ पाबंदियां जारी रहेंगी। 

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अमरावती में दो समुदायों के बीच भड़की थी सांप्रदायिक हिंसा

अमरावती पुलिस ने शनिवार को चार दिनों के लिए कर्फ्यू लगा दिया था। उससे पहले भाजपा द्वारा आहूत बंद के दौरान दुकानों पर पथराव किया गया था। इसके एक दिन पहले भी एक मुस्लिम संगठन की रैली के दौरान पथराव किया गया था। मुस्लिम संगठन ने त्रिपुरा में कथित सांप्रदायिक हिंसा के विरोध में रैली निकाली थी। सिंह ने कहा, ‘‘ हम कर्फ्यू में ढील दे रहे हैं लेकिन फिलहाल इसे पूरी तरह से हटाने का प्रश्न ही नहीं है। यह अगले सप्ताह तक जारी रहेगा। ’’ हालांकि उन्होंने इस बारे में कोई निश्चित तारीख नहीं बतायी कि कब तक लोगों की आवाजाही पर पाबंदी रहेगी। पुलिस अधिकारी ने कहा कि इंटरनेट सेवाओं पर रोक और दिन रहेगी। 

अमरावती में दी गयी कर्फ्यू में ढील 

मंगलवार को पुलिस ने अपराह्न दो बजे से चार बजे तक कर्फ्यू में ढील दी। यह ढील मंगलवार को भी दो या चार घंटे के लिए जारी रह सकती है। सिंह ने हिंसा की जांच के संदर्भ में कहा कि पुलिस 12-13 नवंबर की घटनाओं के सिलसिले में आरोपियों की पहचान एवं उनकी गिरफ्तारी में लगी है। उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘‘ हम विभिन्न पहलुओं से जांच कर रहे हैं। हम साजिश के दृष्टिकोण से भी जांच कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि 12 नवंबर की हिंसा के सिलसिले में 11 तथा 13 नवंबर की हिंसा के सिलसिले में 24 अपराध दर्ज किये गये हैं तथा मंगलवार पूर्वाह्न तक कुल 188 लोग गिरफ्तार किये गये। पुलिस ने सोमवार को महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री एवं भाजपा नेता अनिल बोंडे एवं 13 अन्य को 13 नवंबर की हिंसा के संबंध में गिरफ्तार किया था। बोंडे के अलावा अमरावती भाजपा की अध्यक्ष निवेदिता चौधरी, शहर के महापौर चेतन गवांडे और भाजपा प्रवक्ता शिवराय कुलकर्णी को गिरफ्तार किया गया। उन सभी को अदालत में पेश किया गया और अदालत ने उन्हें जमानत दे दी।

अमरावती और मालेगांव हिंसा पर शुरू हुई राजनीति

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को आरोप लगाया कि पिछले सप्ताह महाराष्ट्र के अमरावती और मालेगांव में प्रदर्शन के दौरान जो हिंसा फैली , उसकी योजना पहले ही बन गयी थी और राज्य सरकार ने अतिरिक्त पुलिस बल उपलब्ध होने के बाद भी उसका इस्तेमाल नहीं किया। यहां भाजपा की प्रदेश इकाई के पदाधिकारियों एवं विधायकों की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने कहा कि हिंसा का मकसद समाज का ध्रुवीकरण करना था। उन्होंने कहा, ’’ अमरावती एवं मालेगांव जैसे शहरों में नजर आयी हिंसा समाज को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की ओर धकेलने की योजनाबद्ध रणनीति का हिस्सा थी। यह लोगों की जवाबी कार्रवाई को परखने का प्रयोग था। हमें आने वाले दिनों में इसको लेकर सावधान रहना होगा। ’’ विधानसभा में विपक्ष के नेता ने सवाल किया , ‘‘ जिस दिन हिंसा भड़की, उस दिन अमरावती में राज्य रिजर्व पुलिस बल की सात कंपनियां थीं। लेकिन उनका इस्तेमाल नहीं किया गया।

राज्य सरकार ने इन कंपनियों के लिए आदेश क्यों नहीं जारी किया?’’ उन्होंने यह भी कहा कि त्रिपुरा में हिंसक घटनाओं,जिनके विरूद्ध विरोध मार्च निकाले गये, को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया एवं अफवाहें फैलायी गयीं। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘ त्रिपुरा पुलिस ने अफवाह फैलाने की साजिश बेनकाब की है। लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आठ नवंबर को उसके बारे में ट्वीट किया तथा यहां यह प्रयोग शुरू किया गया। यह राज्य प्रायोजित हिंसा है। ’’ वरिष्ठ भाजपा नेता ने अमरावती एवं मालेगांव की घटनाओं की 2012 में मुंबई के आजाद मैदान में मुस्लिम संगठनों द्वारा निकाली गयी रैली से की जो हिंसक हो गयी थी। उन्होंने कहा, ‘‘ जिस तरह आजाद मैदान हिंसा की योजना बनायी गयी और उसे अंजाम दिया गया, वैसा ही अमरावती एवं मालेगांव में नजर आया। ’’ 

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा, ‘‘ स्थानीय पुलिस ने इस बात की पुष्टि की कि उसने 200-300 लोगों की रैली की अनुमति दी थी लेकिन 20,000 से अधिक लोग सड़कों पर उतर आये और फिर कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पैदा हो गयी। क्या यह खुफिया विफलता थी?’’ पाटिल ने कहा कि जब अगले दिन हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन किया तब सरकार ने भाजपा को जिम्मेदार ठहराया एवं अमरावती में उसके नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। शुक्रवार को अमरावती, मालेगांव एवं महाराष्ट्र के कुछ अन्य शहरों में मुस्लिम संगठनों के प्रदर्शन के दौरान पथराव किया गया। इन संगठनों ने त्रिपुरा की कथित सांप्रदायिक हिंसा के विरूद्ध प्रदर्शन किया था। शनिवार को भाजपा के प्रदर्शन के दौरान भी पथराव किया गया।

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