आईईडी बनाने में माहिर जैश के टॉप कमांडर समेत दो आतंकवादी 'जहन्नुम' में भेजे गये

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आईजीपी विजय कुमार ने ट्वीट किया, ‘‘प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का कमांडर और आईईडी का जानकार यासिर पर्रे तथा विदेशी आतंकवादी फुरकान को मार गिराया गया। दोनों कई आतंकवादी मामलों में शामिल थे। यह एक बड़ी सफलता है।''

जम्मू-कश्मीर में बुधवार को सुरक्षा बलों को तब बड़ी कामयाबी मिली जब पुलवामा जिले में आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ में जैश-ए-मोहम्मद का आतंकवादी कमांडर यासिर पर्रे और एक विदेशी आतंकवादी मारा गया। बताया जा रहा है कि यह मुठभेड़ दक्षिण कश्मीर में स्थित पुलवामा जिले के कसबयार इलाके में हुई। कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) विजय कुमार ने इस बारे में बताया कि मारे गए आतंकवादियों में से एक यासिर पर्रे जैश-ए-मोहम्मद का कमांडर और आईईडी का जानकार था। आईजीपी विजय कुमार ने ट्वीट किया, ‘‘प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का कमांडर और आईईडी का जानकार यासिर पर्रे तथा विदेशी आतंकवादी फुरकान को मार गिराया गया। दोनों कई आतंकवादी मामलों में शामिल थे। यह एक बड़ी सफलता है।''

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बडगाम में मिली देवी दुर्गा की प्राचीन मूर्ति

दूसरी ओर जम्मू-कश्मीर में बडगाम पुलिस ने काले पत्थर से निर्मित देवी दुर्गा की सातवीं सदी की एक प्रतिमा बरामद की है। अधिकारियों ने बताया कि माना जा रहा है कि प्रतिमा 1300 साल पुरानी है और वह खाग इलाके से मिली है। एक अधिकारी ने बताया, ‘‘अभिलेखागार, पुरातत्व और संग्रहालय निदेशालय के अधिकारियों को प्रतिमा की परख करने के लिए बुलाया गया। इसकी पुष्टि हुई है कि देवी दुर्गा की प्रतिमा करीब सातवीं सदी की है।’’ अधिकारियों ने बताया, ‘‘देवी दुर्गा की यह प्रतिमा शेर पर सवार है, प्रतिमा का बायां हाथ कंधे के पास से नहीं है। प्रतिमा पर गांधार शैली का छाप है और दाहिने हाथ में कमल का फूल है।’’ बरामद प्रतिमा को अभिलेखागार, पुरातत्व और संग्रहालय निदेशालय उप निदेशक मुश्ताक अहमद बेग को सौंप दिया गया है।

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कश्मीरी युवक का कमाल

आइये अब आपको मिलवाते हैं कश्मीर की एक उभरती हुई प्रतिभा से। कश्मीरी युवक मोहम्मद उमर कुमार ने अपनी किस्मत खुद बनाने के लिए कड़ी मेहनत की और आज सफलता उनके कदम चूम रही है। उन्होंने मिट्टी के बर्तनों की लुप्त होती कला को तो पुनर्जीवित किया ही साथ ही इसे रोजगार के अच्छे अवसर के रूप में भी तब्दील कर दिया है। इस समय श्रीनगर में अपने चमकीले मिट्टी के बर्तनों की वजह से उनकी खूब चर्चा है। आइये जानते हैं कैसे मोहम्मद उमर इस कला की ओर आकर्षित हुए और कश्मीर घाटी के युवाओं को वह क्या संदेश दे रहे हैं। 

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