2019 लोकसभा चुनाव: सोशल मीडिया पर पार्टियों में होगी बड़ी प्रतिस्पर्धा

2019-lok-sabha-elections-says-big-competition-will-be-held-in-the-social-media
[email protected] । Sep 16 2018 2:54PM

आगामी आम चुनाव में सभी पार्टियों के बीच सत्ता के लिए पहले जैसी ही प्रतिस्पर्धा और खींचतान होगी लेकिन 2019 चुनावों में एक अंतर होगा।

नयी दिल्ली। आगामी आम चुनाव में सभी पार्टियों के बीच सत्ता के लिए पहले जैसी ही प्रतिस्पर्धा और खींचतान होगी लेकिन 2019 चुनावों में एक अंतर होगा। यह पहला मौका होगा जब आभासी दुनिया में वास्तविक दुनिया ही जैसी जोरदार सियासी रस्साकशी होगी और पार्टियों ने इसके लिए कमर भी कस ली है।  पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता दिलाने में सोशल मीडिया बेहद महत्वपूर्ण भूमिका रही है। लेकिन 2019 में यह एक नया आयाम ग्रहण करने वाला है क्योंकि विपक्षी कांग्रेस ने सत्तारूढ़ दल की साइबर आर्मी के मुकाबले के लिए अपना तरकश को तैयार कर लिया है।

चुनावी समर के पहले ना केवल भाजपा और कांग्रेस, बल्कि विभिन्न पार्टियों ने डिजीटल प्लेटफार्म के जरिये डेटा विश्लेषण और संचार के लिए अपने-अपने ‘वार रूम’ तैयार किए हैं और हजारों स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसमें आम आदमी पार्टी (आप) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी भी शामिल हैं। ऐसा लगता है कि कांग्रेस ने 2014 के चुनावों से सबक सीखा है और भाजपा को चुनौती देने के लिए अपने अभियान को मजबूत बनाया है जो भग़वा दल का किला माना जाता रहा है। 

कांग्रेस के सोशल मीडिया विभाग की प्रमुख दिव्या स्पंदना ने बताया कि वह लंबे समय से सोशल मीडिया में पार्टी की उपस्थिति की प्रक्रिया पर काम कर रहीं थी और हर राज्य में ‘वार रूम’ बनाया गया है। स्पंदना ने बताया, ‘‘हर प्रदेश में हमारी एक सोशल मीडिया इकाई है और अब हम जिला स्तर पर काम कर हैं। जब से डिजीटल हुआ है तब से सभी लोग जुड़ गये हैं। हर किसी के फोन पर डेटा है और इसका प्रबंधन प्रदेश की टीम कर रही है।’’ 

पिछले हफ्ते कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने फेसबुक पर एक पोस्ट करके लोगों को आमंत्रित किया था कि पार्टी के संचार को सुधार कर कैसे अनुकूल बनाया जा सकता है। पार्टी ने एक व्हाट्सअप नंबर शेयर किया था और उपयोगकर्ताओं से इससे जुड़ने को कहा था। भाजपा पहली पार्टी थी जिसने सोशल मीडिया की क्षमता को समझा था और विरोधी पार्टियों को चुनौती देने के लिए संगठन ने डिजीटल क्षेत्र का उपयोग किया था। 

भाजपा के राष्ट्रीय सूचना एवं तकनीकी प्रभारी अमित मालवीय ने बताया कि इसमें तकरीबन 12 लाख स्वयंसेवक जुड़े हैं और इस संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। मालवीय ने बताया कि भाजपा की सोशल मीडिया रणनीति को प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं ने पहचाना जिन्होंने राजनीतिक संचार का उपयोग करने के लिए इस माध्यम को अपनाया। माकपा के सोशल मीडिया समन्वयक प्रांजल ने कहा कि उनकी पार्टी थोड़ी देर से सोशल मीडिया में आई। वास्तव में 2014 में इसकी जरूरत महसूस की गई और इसे साकार करने की शुरूआत की गई। पिछले दो सालों में हमने बड़े क्षेत्र तक पहुंच बनायी है। वहीं, आप के सोशल मीडिया विश्लेषक अंकित लाल ने कहा कि वह भाजपा के तरीके से काम नहीं करते हैं, लेकिन उसके पास बड़ी संख्या में स्वयंसेवक हैं। 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़