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ओडिशा में कोरोना के 378 नए मामले, पांच और लोगों की मौत
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- दिसंबर 1, 2020 14:06
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राज्य के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि नए मामलों में से 219 मामले पृथक केन्द्रों में सामने आए। वहीं अन्य 159 लोग पहले से संक्रमित लोगों के सम्पर्क के आए लोगों की पहचान करते समय संक्रमित पाए गए।
भुवनेश्वर। ओडिशा में एक दिन में कोविड-19 के 378 नए मामले सामने आने के बाद राज्य में संक्रमण के मामले बढ़कर मंगलवार को 3,19,103 हो गए। वहीं पांच और लोगों की मौत के बाद मृतक संख्या बढ़कर 1,744 हो गई। राज्य के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि नए मामलों में से 219 मामले पृथक केन्द्रों में सामने आए। वहीं अन्य 159 लोग पहले से संक्रमित लोगों के सम्पर्क के आए लोगों की पहचान करते समय संक्रमित पाए गए।
अधिकारी ने बताया कि अंगुल जिले में सबसे अधिक 38 मामले सामने आए। इसके बाद खुर्दा में 37 और मयूरभंज में 34 मामले सामने आए। उन्होंने बताया कि पुरी में वायरस से तीन लोगों की मौत हुई। वहीं खुर्दा और जगतसिंहपुर में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई। ओडिशा में अभी 5,241 लोगों का कोरोना वायरस संक्रमण का इलाज चल रहा है और 3,12,065 लोग संक्रमण मुक्त हो चुके हैं। अधिकारी ने बताया कि राज्य में नमूनों के संक्रमित आने की दर 5.37 प्रतिशत है। यहां अभी तक कुल 59.4 लाख नमूनों का कोविड-19 का परीक्षण किया गया है।Regret to inform the demise of five numbers of Covid positive patients while under treatment in hospitals.
1.A 39-year-old male of Jagatsinghpur district.
2.A 68-year-old male of Khordha district.
3.A 36-year-old male of Puri district.— H & FW Dept Odisha (@HFWOdisha) December 1, 2020
उपराज्यपाल बैजल ने जख्मी पुलिसकर्मियों से की मुलाकात, बोले- जो हुआ बहुत गलत हुआ
- अनुराग गुप्ता
- जनवरी 28, 2021 15:16
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जख्मी पुलिसकर्मियों से मिलने के लिए उपराज्यपाल अनिल बैजल ने गुरुवार को अस्पताल का दौरा किया और उनसे बातचीत की। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक उपराज्यपाल ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा में घायल पुलिस कर्मियों से मिलने के लिए ट्रॉमा सेंटर पहुंचे।
नयी दिल्ली। गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों की ट्रैक्टर परेड हिंसक हो गई। लाल किले की प्राचीर पर जहां प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रध्वज फहराते हैं, वहां पर निशान साहिब का झंडा लहराया गया। इस घटनाक्रम के कई वीडियो भी सामने आए। इस बीच पुलिस और किसानों की झड़प भी हुई। अलग-अलग जगह हुए हिंसक प्रदर्शन में 394 पुलिसकर्मी जख्मी हो गए।
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जख्मी पुलिसकर्मियों से मिलने के लिए उपराज्यपाल अनिल बैजल ने गुरुवार को अस्पताल का दौरा किया और उनसे बातचीत की। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक उपराज्यपाल ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा में घायल पुलिस कर्मियों से मिलने के लिए ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। जहां पर उन्होंने कहा कि जो हुआ बहुत गलत हुआ, सरकार कार्रवाई कर रही है। दोनों पुलिसकर्मियों की हालत ठीक है उन्होंने मुझ से बात की।
जो हुआ बहुत गलत हुआ, सरकार कार्रवाई कर रही है। दोनों पुलिसकर्मियों की हालत ठीक है उन्होंने मुझ से बात कीः सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर में घायल पुलिस कर्मियों से मिलने के बाद दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल https://t.co/AtvCRKFBuz pic.twitter.com/pXkDkp0Bq7
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 28, 2021
पं. बृजलाल द्विवेदी स्मृति अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान से अलंकृत किए जाएंगे देवेन्द्र कुमार बहल
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 28, 2021 15:02
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वर्ष 2012 से संकल्पसिद्ध शिक्षार्थी भाव से हिन्दी जगत् को ‘अभिनव इमरोज़’ एवं ‘साहित्य नंदिनी’ जैसे दो महत्वपूर्ण पत्रिकाएं देकर अपनी सेवा भाव का प्रत्यक्ष प्रमाण दे रहे हैं।
नई दिल्ली। मासिक साहित्यिक पत्रिका ‘अभिनव इमरोज़’ (नई दिल्ली) के संपादक देवेन्द्र कुमार बहल को इस वर्ष का पंडित बृजलाल द्विवेदी स्मृति अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान दिया जाएगा। 7 फरवरी को ऑनलाइन आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम में उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। देवेन्द्र कुमार बहल हिंदी प्रेम और अपने गुरु स्वर्गीय डॉ. त्रिलोक तुलसी की प्रेरणा से 70 वर्ष की आयु में संपादन-प्रकाशन की दुनिया में खींचे चले आए। वर्ष 2012 से संकल्पसिद्ध शिक्षार्थी भाव से हिन्दी जगत् को ‘अभिनव इमरोज़’ एवं ‘साहित्य नंदिनी’ जैसे दो महत्वपूर्ण पत्रिकाएं देकर अपनी सेवा भाव का प्रत्यक्ष प्रमाण दे रहे हैं।
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त्रैमासिक पत्रिका ‘मीडिया विमर्श’ के कार्यकारी संपादक प्रो संजय द्विवेदी ने बताया कि यह पुरस्कार प्रतिवर्ष हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता को सम्मानित करने के लिए दिया जाता है। इस अवॉर्ड का यह 13वां वर्ष है। ‘मीडिया विमर्श’ द्वारा शुरू किए गए इस अवॉर्ड के तहत ग्यारह हजार रुपए, शॉल, श्रीफल, प्रतीक चिन्ह और सम्मान पत्र दिया जाता है। पुरस्कार के निर्णायक मंडल में नवभारत टाइम्स, मुंबई के पूर्व संपादक विश्वनाथ सचदेव, छत्तीसगढ़ ग्रंथ अकादमी, रायपुर के पूर्व निदेशक रमेश नैयर तथा इंदिरा गांधी कला केंद्र, दिल्ली के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी शामिल हैं।
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इससे पूर्व यह सम्मान वीणा (इंदौर) के संपादक स्व. श्यामसुंदर व्यास, दस्तावेज (गोरखपुर) के संपादक डॉ. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, कथादेश (दिल्ली) के संपादक हरिनारायण, अक्सर (जयपुर) के संपादक डॉ. हेतु भारद्वाज, सद्भावना दर्पण (रायपुर) के संपादक गिरीश पंकज, व्यंग्य यात्रा (दिल्ली) के संपादक डॉ. प्रेम जनमेजय, कला समय (भोपाल) के संपादक विनय उपाध्याय, संवेद (दिल्ली) के संपादक किशन कालजयी, अक्षरा (भोपाल) के संपादक कैलाशचंद्र पंत, अलाव (दिल्ली) के संपादक रामकुमार कृषक, प्रेरणा (भोपाल) के संपादक अरुण तिवारी और युगतेवर (सुल्तानपुर) के संपादक कमल नयन पाण्डेय को दिया जा चुका है।
जानिए कौन है लाल किले पर धार्मिक झंडा लगाने वाला जुगराज, परिवार पर है चार लाख का कर्ज
- अंकित सिंह
- जनवरी 28, 2021 14:53
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पुलिस का शिकंजा कसता देख गांव में भगदड़ सी मच गई है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक झंडा लगाने वाले जुगराज सिंह का परिवार फ़िलहाल गायब हो गया है। पुलिस लगातार छानबीन कर रही है।
26 जनवरी को दिल्ली में हुए किसान परेड के दौरान लाल किले पर खालसा झंडा लगाने वाला युवक जुगराज सिंह बताया जा रहा है। जुगराज पंजाब के तरनतारन के गांव तारा सिंह का रहने वाला है। जुगराज सिंह मध्यमवर्गीय परिवार से आता था और ढाई वर्ष पहले चेन्नई में वह निजी काम करने चला गया था। हालांकि 5 महीने पहले ही वह पंजाब लौटा था और खेती किसानी का काम करने लगा था। इन सब के बीच जैसे ही किसान आंदोलन शुरू हुआ, जुगराज सिंह उसमें सक्रिय हो गया।
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ग्रामीणों का दावा है कि जुगराज सिंह सिर्फ मैट्रिक पास है। गांव वालों ने ही टीवी पर खबर देखने के बाद यह दावा किया था कि लाल किले पर झंडा लगाने वाला युवक उसी के गांव का जुगराज सिंह है। 26 जनवरी के दिन पुलिस युवराज के घर भी पहुंची थी और परिवार वालों से पूछताछ भी किया था। जुगराज सिंह के दादा मेहल सिंह ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि लाल किले पर झंडा लगाने वाला उन्हीं का पोता है। हालांकि, उन्होंने यह भी दावा किया कि उनका परिवार या उसका कोई सदस्य कभी भी किसी गैर सामाजिक गतिविधि में शामिल नहीं रहा है।
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जुगराज के दादा ने बताया कि परिवार के पास 2 एकड़ जमीन है। 3 भैंस और एक गाय भी है। परिवार पर चार लाख का कर्ज भी है। वहीं, दादी ने बताया कि जुगराज गांव के गुरुद्वारे में निशान साहिब पर चोला चढ़ाने का सेवा करता था। गांववालों ने दावा किया कि जोश में आकर वह लाल किले पर चढ़ गया होगा और झंडा चढ़ा दिया होगा। गांव वालों ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। लगातार जुगराज के घर पर पुलिस दबिश दे रही है। गांव वाले दावा कर रहे हैं कि ऐसी कोई योजना थी ही नहीं लेकिन उसने जो किया वह गलत था। पुलिस का शिकंजा कसता देख गांव में भगदड़ सी मच गई है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक झंडा लगाने वाले जुगराज सिंह का परिवार फ़िलहाल गायब हो गया है। पुलिस लगातार छानबीन कर रही है।

