आप विधायकों ने कहा, उन्हें अयोग्य ठहराने का फैसला नैसर्गिक न्याय के खिलाफ
आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि कथित लाभ के पद को लेकर उन्हें अयोग्य घोषित करने का निर्वाचन आयोग का आदेश ‘‘पूरी तरह नैसर्गिक न्याय का उल्लंघन’’ है क्योंकि उन्हें उनका पक्ष रखने का अवसर प्रदान नहीं किया गया।
नयी दिल्ली। आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि कथित लाभ के पद को लेकर उन्हें अयोग्य घोषित करने का निर्वाचन आयोग का आदेश ‘‘पूरी तरह नैसर्गिक न्याय का उल्लंघन’’ है क्योंकि उन्हें उनका पक्ष रखने का अवसर प्रदान नहीं किया गया। विधायकों ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति चंद्रशेखर की पीठ से यह भी आग्रह किया कि उनका मामला इस निर्देश के साथ वापस निर्वाचन आयोग के पास भेजा जाना चाहिए कि इसकी सुनवाई नए सिरे से होगी। कुछ विधायकों की ओर से पेश वकील केवी विश्वनाथन ने कहा, ‘‘सुनवाई से पहले निर्वाचन आयोग ने हमसे (आप विधायकों से) कोई संवाद नहीं किया। यह नैसर्गिक न्याय का पूरी तरह उल्लंघन है।’’
अयोग्यता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर लगभग चार घंटे तक चली सुनवाई के दौरान विधायकों की तरफ से अभिवेदन आए।।विधायकों के वकील ने कहा कि निर्वाचन आयोग का आदेश ‘‘गलत’’ है तथा वह सांविधिक दायित्व निभाने में विफल रहा और ‘‘दुर्भाग्य से निष्पक्ष तरीके से काम नहीं किया।’’ पीठ से कहा गया, ‘‘वर्तमान मामले में दिल्ली विधानसभा के सदस्यों को पूर्ण जांच किए बिना हटा दिया गया और उन्हें यह स्पष्ट करने का अवसर भी नहीं दिया गया कि उनके पास कोई लाभ का पद है भी या नहीं।’’ विधायकों के वकील ने शिकायत करते हुए कहा कि केंद्र सरकार के वकील ने निर्वाचन आयोग के संदर्भ वाली फाइल तक प्रस्तुत नहीं की है जिस पर राष्ट्रपति ने उन्हें अयोग्य घोषित करने की सहमति दी थी। इस पर पीठ ने केंद्र के स्थाई अधिवक्ता अनिल सोनी से अदालत के समक्ष निर्वाचन आयोग के संदर्भ वाली फाइल पेश करने के बारे में कल तक दिशा-निर्देश लेने को कहा।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द द्वारा निर्वाचन आयोग की सिफारिश को मंजूर किए जाने के बाद विधायकों ने अपनी अयोग्यता को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। आप विधायकों की अयोग्यता पर राष्ट्रपति को भेजी गई अपनी सिफारिशों पर निर्वाचन आयोग ने कहा था कि संबंधित विधायक यह दावा नहीं कर सकते कि उनके पास लाभ का पद नहीं था। निर्वाचन आयोग के वकील ने कहा था कि संबंधित विधायक उन मंत्रियों के हर रोज के प्रशासनिक कार्यों में शामिल थे जिनके साथ उन्हें संबद्ध किया गया था। उन्हें मंत्रियों के अधिशासी कार्य देखने का अधिकार नहीं था। निर्वाचन आयोग और अन्य पक्षों की ओर से दलीलें अधूरी रहीं तथा यह कार्यवाही कल फिर शुरू होगी।
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