सभी प्राथमिकी तीन जनवरी की घटनाओं के मुताबिक, तथ्यों में कोई चूक नहीं: जेएनयू
जेएनयू प्रशासन ने दोहराया कि तीन जनवरी को नकाबपोश छात्र सीआईएस डेटा सेंटर परिसर में आए, उन्होंने तकनीकी कर्मियों को वहां से जबरन हटाया, बिजली आपूर्ति को ठप किया, परिसरों पर ताला लगाया और सीआईएस डेटा सेंटर के मुख्य द्वार के सामने पालथी मारकर बैठ गए, उन्होंने सेंटर में प्रवेश को बाधित किया।
नयी दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने बुधवार को कहा कि पुलिस में दर्ज करवाई गई सभी प्राथमिकी और अन्य शिकायतें तीन जनवरी को हुई घटनाओं के मुताबिक हैं और तथ्यों में कोई चूक नहीं है। दरअसल एक आरटीआई के आधार पर यह दावा किया गया था कि सर्वर रूम में तोड़फोड़ को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन के दावों में विसंगतियां हैं। विश्वविद्यालय ने कहा कि आरटीआई आवेदन का जो जवाब उसने दिया है, वह आवेदक के सवालों और विशेष स्थान से संबंधित हैं। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया कि चार जनवरी को सर्वर को उपद्रवियों के एक समूह ने क्षतिग्रस्त किया था।
Jawaharlal Nehru University VC M Jagadesh Kumar: Nearly 88 per cent of total number of students have cleared their hostel dues. The university is functioning and academic activities are going very well. pic.twitter.com/tvPEJ0JUsU
— ANI (@ANI) January 22, 2020
विश्वविद्यालय ने कहा, ‘‘प्रशासन की ओर से सेंटर फॉर इंफर्मेशन सिस्टम (सीआईएस) डेटा सेंटर में हुई घटना के सिलसिले में तीन जनवरी 2020 को दर्ज करवाई गई शिकायत के मुताबिक जेएनयू ने यह दावा नहीं किया कि सर्वरों को उस दिन नुकसान पहुंचाया गया था। आरटीआई में दिए गए जवाब सही हैं और जो पूछा गया है उसी के जवाब दिए गए हैं।’’ इसमें कहा गया कि आरटीआई के जवाब में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सर्वर सीआईएस कार्यालय में नहीं बल्कि सीआईएस डेटा सेंटर में हैं और ऐसा लगता है कि मीडिया में इस मामले को उठाते वक्त इसे जानबूझकर नजरअंदाज किया गया। विश्वविद्यालय ने कहा, ‘‘पुलिस में दर्ज करवाई गईं सभी प्राथमिकी और अन्य शिकायतें वास्तविक घटनाओं के मुताबिक हैं, वे घटनाएं जो तीन जनवरी को घटित हुई। ये वास्तविक तथ्यों से अलग नहीं हैं।’’
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जेएनयू प्रशासन ने दोहराया कि तीन जनवरी को नकाबपोश छात्र सीआईएस डेटा सेंटर परिसर में आए, उन्होंने तकनीकी कर्मियों को वहां से जबरन हटाया, बिजली आपूर्ति को ठप किया, परिसरों पर ताला लगाया और सीआईएस डेटा सेंटर के मुख्य द्वार के सामने पालथी मारकर बैठ गए, उन्होंने सेंटर में प्रवेश को बाधित किया। इसमें कहा गया कि तकनीकी कर्मियों को सेंटर से निकालने से पहले नकाबपोश छात्रों ने उन्हें सिस्टम को ठप करवाया। प्रशासन ने आगे कहा, ‘‘इसके चलते शीतकालीन सत्र पंजीकरण की प्रक्रिया रूक गई और विश्वविद्यालय के हजारों छात्र प्रभावित हुए। जब सीआईएस के तकनीकी कर्मी सुरक्षा कर्मियों की मदद से चार जनवरी की सुबह सीआईएस डेटा सेंटर में पहुंचे तो सीआईएस की पूरी प्रणाली को बहाल करने में उन्हें चार घंटे से भी अधिक वक्त लगा।’’
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