संसद: रेलवे का कभी नहीं होगा निजीकरण, देशद्रोह को लेकर कांग्रेस और सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप

Parliament
अंकित सिंह । Mar 16 2021 8:32PM

लोकसभा में सोमवार को प्रश्नकाल के दौरान देशद्रोह के मामलों के मुद्दे पर कांग्रेस और सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति देखने को मिली जहां विपक्षी पार्टी ने सरकार पर देशद्रोह से जुड़े कानूनों का दुरूपयोग करने का आरोप लगाया।

नयी दिल्ली। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि रेलवे भारत की संपत्ति है और उसका कभी निजीकरण नहीं होगा। उन्होंने साथ ही कहा कि यात्रियों को अच्छी सुविधाएं मिलें, रेलवे के जरिये अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले...ऐसे कार्यो के लिये निजी क्षेत्र का निवेश देशहित में होगा। लोकसभा में वर्ष 2021-22 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए पीयूष गोयल ने कहा, ‘‘ दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि कई सांसद निजीकरण और कॉर्पोरेटाइजेशन का आरोप लगाते हैं। भारतीय रेल का कभी निजीकरण नहीं होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मैं विश्वास दिलाता हूं कि रेलवे भारत की संपत्ति है उसका कभी निजीकरण नहीं होगा। ’’ गौरतलब है कि सोमवार को चर्चा के दौरान कांग्रेस के जसबीर सिंह गिल, आईयूएमएल के ई टी मोहम्मद बशीर सहित कुछ अन्य सदस्यों ने रेलवे का निजीकरण करने का प्रयास किये जाने संबंधी टिप्पणी की थीं। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों को मंजूरी दे दी। रेल मंत्री ने कहा कि सड़कें भी सरकार ने बनाई है तो क्या कोई कहता है कि इस पर केवल सरकारी गाड़ियां चलेंगी। उन्होंने कहा कि सड़कों पर सभी तरह के वाहन चलते हैं तभी प्रगति होती है और तभी सभी को सुविधाएं मिलेंगी। गोयल ने कहा कि तो क्या रेलवे में ऐसा नहीं होना चाहिए? क्या यात्रियों को अच्छी सुविधाएं नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मालवाहक ट्रेनें चलें और इसके लिए अगर निजी क्षेत्र निवेश करता है तो क्या इस पर विचार नहीं होना चाहिए। मंत्री ने कहा कि पिछले सात वर्षों में रेलवे में लिफ्ट, एस्केलेटर एवं सुविधाओं के विस्तार की दिशा में अभूतपूर्व काम किये गए। उन्होंने कहा, ‘‘यदि हमें अत्याधुनिक विश्वस्तरीय रेलवे बनाना है तो बहुत धन की आवश्यकता होगी।’’ 

इसे भी पढ़ें: भारत ने आतंकवाद और विस्तारवाद के खिलाफ स्पष्ट नीति व्यक्त की है: लोकसभा अध्यक्ष

रेल मंत्री ने कहा, ‘‘ अगर निजी निवेश भी आए तो देश हित में, यात्रियों के हित में है। निजी क्षेत्र जो सेवाएं देगा, वे भारतीय नागरिकों को मिलेंगी। रोजगार मिलेंगे। देश की अर्थव्यवस्था बढ़ेगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ सरकार और निजी क्षेत्र जब मिलकर काम करेंगे, तभी देश का उज्ज्वल भविष्य बनाने में सफल होंगे।’’ पीयूष गोयल ने कहा कि अमृतसर के लिए 230 करोड़ रुपये के निवेश के साथ योजना बनाई गयी है। उन्होंने कहा कि ऐसे 50 स्टेशनों का मॉडल डिजाइन तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन के सौंदर्यीकरण और आधुनिकीकरण के लिए व्यापक निवेश किया जा रहा है। गोयल ने कहा कि पिछले साल सितंबर से इस साल फरवरी तक छह महीने में देश में रेलवे ने हर महीने जितनी माल ढुलाई की है, वह भारतीय रेल के इतिहास में सर्वाधिक है। गोयल ने कहा कि अगर राज्य सरकारें सहयोग करें तो हर रेल परियोजना को समय पर पूरा किया जा सकता है। गोयल ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में रेल परियोजना के लिए धनराशि देने के बावजूद जमीन नहीं मिली। अब पैसे वापस लेने की कोशिश हो रही है। यह हर परियोजना के साथ हो रहा है। उन्होंने सदन को बताया कि 2009-10 और 2010-11 में पश्चिम बंगाल के लिए कई रेल परियोजनाओं की घोषणा की गईं, लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए रेलवे को सहयोग नहीं मिल रहा है। रेल मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि अगर राज्य सरकारें सहयोग करें और जमीन समय पर मिल जाए तो परियोजनाओं को जल्द पूरा किया जा सकता है। गोयल ने मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना का उल्लेख करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में जमीन सिर्फ 24 फीसदी उपलब्ध हुई। 

देशद्रोह के मामलों को लेकर कांग्रेस और सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप

लोकसभा में सोमवार को प्रश्नकाल के दौरान देशद्रोह के मामलों के मुद्दे पर कांग्रेस और सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति देखने को मिली जहां विपक्षी पार्टी ने सरकार पर देशद्रोह से जुड़े कानूनों का दुरूपयोग करने का आरोप लगाया। सरकार की ओर से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा रखरखाव अधिनियम (मीसा) का पत्रकारों, मजदूर संगठनों के नेताओं, राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के खिलाफ इस्तेमाल करने वाली कांग्रेस को इस मुद्दे पर ‘उपदेश’ देने का कोई अधिकार नहीं है। प्रश्नकाल के दौरान तेलंगाना से कांग्रेस सदस्य अनुमुला रेवंथ रेड्डी ने सरकार से जानना चाहा कि पिछले 10 वर्ष में देशभर में देशद्रोह के अपराध से जुड़े कितने मामले दर्ज किये गए हैं और इनकी तेजी से सुनवाई के लिये क्या कदम उठाये गए हैं। उनका पूरक प्रश्न जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि की गिरफ्तारी पर केंद्रित रहा जिन्हें किसानों के प्रदर्शन संबंधी टूलकिट मामले में गिरफ्तार किया गया था और बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया था। इस पर जी किशन रेड्डी ने कहा कि 2014 में देशद्रोह के 47 मामले, 2015 में 30 मामले, 2016 में 35 मामले, 2017 में 51 मामले, 2018 में 70 मामले और 2019 में 93 मामले दर्ज किये गए। 

इसे भी पढ़ें: राज्यसभा में उठा प्रयागराज रिफाइनरी अब तक स्थापित न होने का मुद्दा

गृह राज्य मंत्री ने कहा, ‘‘देशद्रोह के मामलों में केंद्र परोक्ष रूप से जुड़ा नहीं होता है।’’ हालांकि कांग्रेस सदस्य अनुमुला रेड्डी मंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं दिखे। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी एवं कुछ अन्य नेताओं ने भी ऐसे ही सवाल उठाये। कांग्रेस सदस्य ने कहा कि उन्होंने 10 वर्षों का आंकड़ा मांगा था लेकिन सरकार 2014 से 19 तक की जानकारी दे रही है और आधी-अधूरी जानकारी देना गलत दिशा में ले जाने के समान है। अनुमुला ने कहा कि 2019 में दोषसिद्धी की दर (देशद्रोह के मामलों में) 3.3 प्रतिशत थी, इसका अर्थ है कि ये राजनीति रूप से प्रेरित मामले थे। अगर किसी युवा पर देशद्रोह का मुकदमा चलता है और यह 4-5 वर्ष तक चलता है तब उसे नौकरी, पासपोर्ट, वीजा नहीं मिलता है। ऐसे ही आरोप दिशा रवि पर हैं लेकिन अदालत में साबित नहीं हो पा रहे हैं। उन्होंने यह भी पूछा कि ‘‘क्या किसान नेताओं के खिलाफ लगाये गए गलत आरोपों के वापस लेने का कोई प्रस्ताव है?’’ इस पर गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा, ‘‘ सदस्य पूछ रहे हैं कि 2014 से पहले देशद्रोह के मामलों का कोई आंकड़ा क्यों नहीं दिया गया। यह आंकड़ा इसलिये नहीं दिया जा सका क्योंकि जब कांग्रेस सत्ता में थी तब इन मामलों का पृथक आंकड़ा नहीं रखा जाता था और इन्हें भारतीय दंड संहिता के मामलों के साथ जोड़ दिया जाता था।’’


कांग्रेस का बजट में शिक्षा को नजरंदाज करने का आरोप, भाजपा का विश्वगुरू बनाने का दावा

कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने सरकार पर शिक्षा मंत्रालय के लिए बजटीय आवंटन में कटौती करने का आरोप लगाया और कहा कि पर्याप्त आवंटन के बिना नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लक्ष्यों को हासिल करना संभव नहीं होगा। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बजटीय आवंटन में कटौती से स्पष्ट होता है कि शिक्षा वर्तमान सरकार की प्राथमिकता में नहीं है। वहीं, भाजपा ने कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों पर देश में शिक्षा के क्षेत्र में कोई सकारात्मक बदलाव लाने में विफल रहने का आरोप लगाया। सत्तारूढ़ पार्टी ने कहा कि नई शिक्षा नीति का लक्ष्य बुनियादी शिक्षा से अनुसंधान एवं पेटेंट तक आमूलचूल बदलाव लाकर भारत को विश्वगुरू बनाने का है और सरकार इसके प्रति गंभीर है। लोकसभा में वर्ष 2021-22 के लिए शिक्षा मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के शशि थरूर ने कहा , ‘‘ नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लक्ष्य एवं बजटीय आवंटन जमीनी सच्चाई से दूर है और स्तब्धकारी है।’’ उन्होंने कहा कि जब तक पर्याप्त बजटीय आवंटन नहीं होगा तब तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति को ठीक ढंग से लागू नहीं किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि नयी नीति में शिक्षा पर खर्च को जीडीपी का 6 प्रतिशत रखा गया है लेकिन अभी यह 2.7 प्रतिशत के करीब है। 

इसे भी पढ़ें: निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में कहा- 2019-20 के लिए एमपीलैड राशि को मंजूरी दी गयी

थरूर ने कहा कि स्कूली शिक्षा में बजटीय आवंटन को 59 हजार करोड़ रूपये से घटाकर वर्तमान में 54 हजार करोड़ रूपये किया गया है। इस प्रकार से 5 हजार करोड़ रूपये की कटौती की गई है। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘ ऐसे समय में जब कोविड महामारी के कारण बच्चे प्रभावित हुए हैं, स्कूल बंद हैं, बच्चों के बीच में पढ़ाई छोड़ने की दर बढ़ी है, तब ऑनलाइन शिक्षा के लिये शिक्षकों को प्रशिक्षित किये जाने की जरूरत है। इस परिस्थिति में शिक्षा क्षेत्र में आवंटन में कटौती चिंताजनक है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्कूली शिक्षा मिशन, समग्र शिक्षा अभियान, माध्यमिक शिक्षा अभियान सहित कई योजनाओं में आवंटन को नजरंदाज करने का काम किया गया है। उन्होंने कहा कि यह इस सरकार की मंशा को स्पष्ट करता है कि शिक्षा इसकी प्राथमिकता में नहीं है। चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा के संजय जायसवाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति का लक्ष्य बुनियादी शिक्षा से अनुसंधान एवं पेटेंट तक आमूलचूल बदलाव लाकर भारत को विश्वगुरू बनाने का है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नीत राजग से पहले रहीं कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारें इस दिशा में कुछ नहीं कर पाईं। जायसवाल ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने पुरानी चली आ रही शिक्षा में बदलाव के लिए कुछ नहीं किया बल्कि भारत के विद्वानों और साहित्यकारों को पीछे रखने का प्रयास किया। जायसवाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति की रूपरेखा दूरगामी और अच्छे परिणाम देने वाली होगी।

गर्भपात की ऊपरी सीमा बढ़ाकर 24 सप्ताह करने के प्रावधान वाला विधेयक राज्यसभा से पारित

राज्यसभा ने मंगलवार को गर्भ का चिकित्सकीय समापन संशोधन विधेयक 2020 पारित कर दिया जिसमें गर्भपात की मंजूर सीमा को वर्तमान 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह करने का प्रावधान किया गया है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने सदन में विधेयक पर हुयी चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इसे व्यापक विचार विमर्श कर तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न मंत्रालयों के अलावा राज्य सरकारों, विभिन्न पक्षों, गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ), डॉक्टरों और महिला डॉक्टरों के संगठनों से भी इस पर विचार विमर्श किया गया। उन्होंने कहा कि इस संबंध में चर्चा के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के नेतृत्व में मंत्रियों का एक समूह (जीओएम) भी गठित किया गया था।


एक साथ चुनाव होने से मतदाताओं की मतदान के प्रति उदासीनता कम होगी: संसदीय समिति

देश में एक साथ चुनाव कराने की वकालत करते हुए संसद की एक समिति ने मंगलवार को कहा कि ऐसा होने से सरकारी खजाने पर बोझ कम पड़ेगा, राजनीतिक दलों का खर्च कम होगा और मानव संसाधन का अधिकतम उपयोग किया जा सकेगा। विधि एवं न्याय और कार्मिक मंत्रालयों पर विभाग संबंधी स्थायी समिति ने विधि मंत्रालय के लिए अनुदान की मांगों पर अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘समिति का यह भी मानना है कि एक साथ चुनाव होने से बार-बार चुनावों को लेकर मतदाता में पैदा हुई उदासीनता को कम किया जा सकेगा एवं आम जनता को, खासतौर पर मतदाताओं को चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा।’’

इसे भी पढ़ें: संसद: PM केयर्स फंड पर कांग्रेस और सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप, रेलवे बजट पर हुई चर्चा

नायडू ने राज्यसभा सदस्यों से टीबी नियंत्रण प्रयासों में सहयोग करने का आह्वान किया

राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को उच्च सदन के सदस्यों से आह्वान किया वे अपने अपने राज्यों में टीबी नियंत्रण प्रयासों में सहयोग करें तथा बीमारी के खिलाफ लड़ाई में सहायक प्रणालियों को मजबूत बनाने के लिए उत्प्रेरक के रूप में काम करें ताकि 2025 तक इसे देश से मिटाया जा सके। नायडू ने सदन में कहा कि 2030 के वैश्विक सतत विकास लक्ष्यों से पांच साल पहले, 2025 तक देश से तपेदिक (टीबी) को खत्म करने के लिए भारत ने एक महत्वाकांक्षी प्रयास शुरू किया है। 

देश में 157 चिकित्सा महाविद्यालय क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में: हर्षवर्धन

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने मंगलवार को बताया कि देश के विभिन्न हिस्सों में 157 चिकित्सा महाविद्यालय क्रियान्वयन के अलग-अलग चरणों में हैं। उन्होंने बताया कि इनमें से 58 महाविद्यालय पहले चरण के तहत, 24 दूसरे और 75 तीसरे चरण के तहत क्रियान्वित होने हैं। राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए हर्षवर्धन ने कहा, ‘‘वर्ष 2014 के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में 157 चिकित्सा महाविद्यालय विकसित होने के विभिन्न चरणों में हैं। इनमें पहले चरण के 58, दूसरे चरण के 24 और तीसरे चरण के 75 चिकित्सा महाविद्यालय शामिल हैं। अंतिम चरण के 75 महाविद्यालयों की घोषणा हाल ही में की गई थी।’’ केंद्रीय मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग भी इस बात का आकलन कर रहा है कि देश में कितने चिकित्सा महाविद्यालयों और सीटों की आवश्यकता है।

निजीकरण के खिलाफ बैंक कर्मचारियों की हड़ताल का मुद्दा राज्यसभा में गूंजा

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के खिलाफ दो दिवसीय हड़ताल का मुद्दा मंगलवार को संसद में गूंजा। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस मुद्दे को उठाते हुए समस्या के समाधान के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से बयान देने की मांग की। उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए खड़गे ने कहा कि कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से बैंकों का कामकाज ठप्प पड़ गया है और आम जनता से लेकर कोराबारी तक इससे परेशान हैं। उन्होंने कहा, ‘‘देश भर में लगभग 12 राष्ट्रीयकृत बैंक हैं और इनकी एक लाख शाखाएं हैं। इनमें करीब 13 लाख लोग काम करते हैं और 75 करोड़ से ज्यादा खातेदार हैं। ये खातेदार भी बैंक के हितधारक हैं और उनके पूछे बगैर सरकार ने निजीकरण का फैसला कर लिया।’’ 

इसे भी पढ़ें: नौ साल बाद जदयू में शामिल हुए उपेंद्र कुशवाहा, नीतीश कुमार ने दी बड़ी जिम्मेदारी

राज्यसभा ने राष्ट्रीय सहबद्ध और स्वास्थ्य देखरेख वृत्ति आयोग विधेयक को दी मंजूरी

राज्यसभा ने मंगलवार को राष्ट्रीय सहबद्ध और स्वास्थ्य देखरेख वृत्ति आयोग, विधेयक 2020 को ध्वनि मत से मंजूरी दे दी। यह विधेयक इस क्षेत्र के पेशेवरों की शिक्षा और सेवाओं के मानकों का विनियमन करने के उद्देश्य से लाया गया है। विधेयक पर चली चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान चिकित्सकों और नर्सों के अलावा स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े कई कर्मियों को अपनी जान गंवानी पड़ी और यह विधेयक उन्हें श्रद्धांजलि होगी। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सहित लगभग सभी विपक्षी दलों ने इस विधेयक का समर्थन किया। मंत्री के जवाब के बाद विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई। इससे पहले, विधेयक पेश करते हुए हर्षवर्धन ने कहा कि यह विधेयक सहबद्ध और स्वास्थ्य देखरेख करने वाले पेशेवरों के लिए मील का पत्थर साबित होगा। 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़