आकाश मंडल में 400 साल बाद होगी सबसे बड़ी खगोलीय घटना, साल की सबसे लंबी रात को होगा गुरु-शनि का मिलन

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दिनेश शुक्ल । Dec 4 2020 11:51AM

भोपाल की नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि दो बड़े ग्रहों के पास दिखने की यह खगोलीय घटना ग्रेट कंजक्शन कहलाती है। पूर्णिमा का चंद्रमा जितना बड़ा दिखता है, उसके पांचवें भाग के बराबर इन दोनों ग्रहों के बीच की दूरी रह जाएगी।

भोपाल। सूरज के ढलते ही रिंग वाला सुंदर ग्रह सेटर्न (शनि) और सबसे विशाल ग्रह जुपिटर (गुरु-बृहस्पति) को जोड़ी बनाते इस समय पश्चिमी आकाश में देखा जा सकता है। दोनों ग्रह मिलन को आतुर है। आने वाली हर शाम को यह नजदीकियां बढ़ती नजर आएंगी। आगामी 21 दिसम्बर को जबकि इस कोरोना साल की सबसे लंबी रात होगी तब ये दोनों ग्रह 0.1 डिग्री की दूरी पर दिखते हुये एक दूसरे में मिलते से दिखेंगे। यानी साल की सबसे लम्बी रात को आसमान में गुरु-शनि का मिलन होगा। यह सबसे बड़ी खगोलीय घटना 400 साल बाद देखने का मौका मिलेगा।

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भोपाल की नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि दो बड़े ग्रहों के पास दिखने की यह खगोलीय घटना ग्रेट कंजक्शन कहलाती है। पूर्णिमा का चंद्रमा जितना बड़ा दिखता है, उसके पांचवें भाग के बराबर इन दोनों ग्रहों के बीच की दूरी रह जाएगी। सारिका ने बताया कि गैलीलियों द्वारा उसका पहला टेलिस्कोप बनाये जाने के 14 साल बाद 1623 में यह दोनों ग्रह इतनी नजदीक आये थे, उसके बाद इतना नजदीकी कंजक्शन अब 21 दिसम्बर 2020 को दिखने जा रहा है। आने वाले समय में इतनी नजदीकियां 15 मार्च 2080 को होने वाले कंजक्शन में देखी जा सकेंगी। सारिका ने बताया कि वैसे तो गुरु और शनि का यह मिलन हर 20 साल बाद होता है, लेकिन इतनी नजदीकियां बहुत कम होती है। पिछला कंजक्शन वर्ष 2000 में हुआ था, लेकिन वे दोनों सूर्य के पास थे, इसलिये इन्हें देखना मुश्किल था।

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क्यों होता है ग्रेट कंजक्शन  

सारिका ने बताया कि सौर मंडल का पांचवां ग्रह जुपिटर और छटवा ग्रह सेटर्न निरंतर सूर्य की परिक्रमा करते रहते हैं। जुपिटर की एक परिक्रमा लगभग लगभग 11.86 साल में हो पाती है तो सेटर्न को लगभग 29.5 साल लग जाते हैं। परिक्रमा समय के इस अंतर के कारण लगभग हर 19.6 साल में ये दोनों ग्रह आकाश में साथ दिखने लगते हैं, जिसे ग्रेट कंजक्शन कहा जाता है।

 

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कैसे पहचानें

सारिका ने जानकारी दी कि सूरज के ढलने पर दक्षिण की ओर चेहरा करके खड़े होकर अपनी नजर पश्चिमी आकाश की तरफ करेंगे तो दोनों ग्रह एक दूसरे से जोड़ी बनाते नजर आएंगे। इनमें से बड़ा चमकदार जुपिटर है तो उसके साथ का ग्रह थोड़ा कम चमकदार शनि ग्रह है। लगभग 8 बजे ये जोड़ी अस्त हो जायेगी। इसलिये देर न करें और हर शाम इनके मिलन के गवाह बनें। उन्होंने बताया कि पिछला कंजक्शन 31 मई 2000 को हुआ था, लेकिन सूर्य के नजदीक होने के कारण इसे ठीक से देखा न जा सका। अब अगले कंजक्शन 5 नवम्बर 2040, उसके बाद 10 अप्रैल 2060 और 15 मार्च 2080 होंगे। इनमें 2080 वाला कंजक्शन 21 दिसम्बर 2020 को होने वाले कंजक्शन के समान होगा।

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