RRTS परियोजना पर सैद्धांतिक रूप से सहमत, लेकिन कोष की समस्या: दिल्ली सरकार

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[email protected] । Dec 4 2018 10:05AM

दिल्ली सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को जानकारी दी कि वह दिल्ली-मेरठ और दिल्ली-पानीपत के बीच रेल कॉरिडोर के ‘रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम’ (आरआरटीएस) पर ‘‘सैद्धांतिक रूप से’’ सहमत है लेकिन इसके लिए कोष की समस्या है।

नयी दिल्ली। दिल्ली सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को जानकारी दी कि वह दिल्ली-मेरठ और दिल्ली-पानीपत के बीच रेल कॉरिडोर के ‘रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम’ (आरआरटीएस) पर ‘‘सैद्धांतिक रूप से’’ सहमत है लेकिन इसके लिए कोष की समस्या है। राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ से कहा कि वह तीन सप्ताह के भीतर अदालत के सामने हलफनामा दायर करके आरआरटीएस से जुड़े मुद्दों को बताएगी।

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अगस्त में, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कोष की कमी का हवाला देते हुए केन्द्र से दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ के बीच प्रस्तावित 82.15 किलोमीटर लंबी रैपिड ट्रांजिट परियोजना की लागत के दिल्ली वाले हिस्से का वहन करने का अनुरोध किया था। सोमवार को सुनवाई के दौरान, इस मामले में शीर्ष अदालत की न्यायमित्र के रूप में मदद कर रहीं अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने कहा कि दिल्ली सरकार आरआरटीएस सहित महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय नहीं कर रही है। आरआरटीएस परियोजना का उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी की भीड़भाड़ में कमी लाना है।

केन्द्र की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसीटर जनरल (एएसजी) ए एन एस नाडकर्णी ने पीठ को बताया कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा ने आरआरटीएस पर सहमति जताई है लेकिन दिल्ली सरकार ने जवाब नहीं दिया है। दिल्ली सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता वसीम ए कादरी ने कहा, ‘दिल्ली सरकार सैद्धांतिक रूप से इस (आरआरटीएस) पर सहमत है। केवल समस्या कोष की है। हम विस्तृत हलफनामा दायर करेंगे।’ 

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उन्होंने कहा कि पहले प्रस्ताव यहां सराय काले खां पर भूमिगत स्टेशन बनाने का था लेकिन अब कहा जा रहा है कि यह जमीन से ऊपर होगा और यह भी एक समस्या है। न्याय मित्र ने पीठ से कहा कि मेट्रो के 602 डिब्बे बढाने का भी प्रस्ताव है लेकिन दिल्ली सरकार इस फाइल पर भी ‘बैठी’ है। कादरी ने कहा कि वह इस मुद्दे पर भी हलफनामा दायर करेंगे। दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से संबंधित एक मामले में सुनवाई के दौरान अदालत में यह मुद्दा उठा।

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