अगस्ताः सीबीआई की याचिका पर संजीव त्यागी को नोटिस

[email protected] । Jan 10 2017 4:46PM

दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज भारतीय वायु सेना के पूर्व प्रमुख एसपी त्यागी के रिश्तेदार संजीव त्यागी को मिली जमानत को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका पर उन्हें आज नोटिस जारी किया।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज भारतीय वायु सेना के पूर्व प्रमुख एसपी त्यागी के रिश्तेदार संजीव त्यागी को मिली जमानत को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका पर उन्हें आज नोटिस जारी किया। संजीव को अगस्तावेस्टलैंड हेलीकाप्टर घोटाला मामले में जमानत दी गयी थी। न्यायमूर्ति आईएस मेहता ने याचिका की अगली सुनवाई के लिए 18 जनवरी की तारीख तय की जब वह एसपी त्यागी के खिलाफ याचिका की सुनवाई करेंगे। त्यागी को भी निचली अदालत ने पिछले साल 26 दिसंबर को जमानत प्रदान की थी।

अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख तब तय की जब सीबीआई के वकील संजीव भंडारी ने अदालत को बताया कि पूर्व वायुसेना प्रमुख के खिलाफ याचिका की सुनवाई के दौरान भी इसी तरह की दलीलें दी गई थीं। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में शीघ्रता है लिहाजा अदालत को उसी तारीख पर सुनवाई करनी चाहिए। एजेंसी ने सुनवाई अदालत के चार जनवरी के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय की शरण ली है। सुनवाई अदालत ने संजीव त्यागी और वकील गौतम खतान को घोटाला मामले में यह कहते हुए जमानत दी थी कि उन्हें हिरासत में रखने से कोई मकसद हल नहीं होगा। एजेंसी ने अभी तक त्यागी बंधुओं के खिलाफ उच्च न्यायालय की शरण इस आधार पर ली है क्योंकि वे जांच को कथित रूप से बाधित कर सकते हैं।

सीबीआई ने 71 वर्षीय त्यागी को संजीव त्यागी एवं वकील गौतम खतान के साथ पिछले साल नौ दिसंबर को गिरफ्तार किया था। उन्हें संप्रग द्वितीय के कार्यकाल में ब्रिटेन स्थित अगस्तावेस्टलैंड से 12 वीवीआईपी हेलीकाप्टर की खरीद में कथित अनियमितता के मामले में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें पिछले साल 26 दिसंबर में एक निचली अदालत ने जमानत प्रदान की थी। इससे पूर्व हुई सुनवाई में एजेंसी ने अदालत में दावा किया था कि यदि एस पी त्यागी को जमानत दी जाती है तो वह अन्य संभावित आरोपियों को सतर्क कर सकते हैं।

एजेंसी ने यह भी कहा कि जांच बहु स्तरीय है क्योंकि यह विभिन्न देशों में फैली है चूंकि रिश्वत के धन का स्वरूप बदलने के लिए विभिन्न कंपनियों का इस्तेमाल किया गया। निचली अदालत ने पूर्व वायुसेना प्रमुख को यह कहते हुए जमानत दी थी कि सीबीआई कथित रिश्वत राशि और इसका कब भुगतान किया गया, यह बताने में विफल रही है। निचली अदालत ने यह भी कहा था कि तीनों आरोपियों को सलाखों के पीछे रखने से कोई मकसद हल नहीं होगा। सभी आरोपियों ने सीबीआई द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों से इंकार किया है।

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