अयोध्या पर एक नया अध्याय खोलने वाले AIMPLB के जांच की उठी मांग

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अभिनय आकाश । Nov 18 2019 12:22PM

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के इस फैसले पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने तंज कसते हुए उन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने सवाल पूछा कि क्या प्रतिबंधित संगठन सिमी के सदस्य अब पर्सनल लॉ बोर्ड जैसे वैध मुस्लिम संगठनों के प्रमुख सदस्य बन गए हैं? गृह मंत्रालय को जांच करनी होगी।

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के आखिरी फैसले में खामियों को बता कर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड चुनौती देने जा रही है। अयोध्या के फैसले पर लॉ बोर्ड शरियत को भी बीच में लेकर आ रहे हैं। इसके अलावा पांच एकड़ जमीन को भी नहीं लेने की बात कर रहे हैं जो सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में मुस्लिम पक्ष को देने की बात कही थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले सभी मुसलमान यही कह रहे थे कि उन्हें कोई भी फैसला स्वीकार होगा। वे तब भी संतृष्ट होंगे जब फैसला उनके पक्ष में नहीं आता है। इस तरह की घोषणा से संदेश तो यही दिखता प्रतीत हो रहा था कि मुसलमानों ने इस विवाद पर सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा जताया है। लेकिन अयोध्या का विवाद इतनी आसानी से खत्म नहीं होगा। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे सच साबित कर दिया। मनमाफिक फैसला न आने पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कोर्ट को ही कोसने में लग गया। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फ़ैसले को त्रुटिपूर्ण करार दिया। बोर्ड की तरफ से बयान देते हुए कासिम रसूल इलियास ने कहा कि बाबरी मस्जिद की ज़मीन न्यायहित में मुस्लिम पक्ष को दी जानी चाहिए, क्योंकि कही अन्यत्र मस्जिद को स्वीकार नहीं किया जाएगा। इस बैठक में मुस्लिम पक्ष के 45 सदस्य शामिल हुए। सभी ने एक सुर में कहा कि वो किसी अन्य जगह पर मस्जिद लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट नहीं गए थे बल्कि विवादित स्थल रहे ज़मीन पर ही मस्जिद की माँग लेकर गए थे। 

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अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनने का ऐतिहासिक निर्णय सुप्रीम कोर्ट ने सुना दिया है। लेकिन इस सबके बीच नए चीफ जस्टिस एस.ए. बोबडे ने आज शपथ लिया और उनके सामने अयोध्या मुद्दा फिर से उठेगा। पूर्व CJI रंजन गोगोई के उत्तराधिकारी के रुप में एस.ए. बोबडे का भी अयोध्या विवाद से सामना होगा।

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अयोध्या मामले पर फैसले से पहले और बाद में शांति और सदभाव के संदेश आए, इकबाल अंसारी जैसे पक्षकारों ने कहा कि कोर्ट का जो भी फैसला आया है वो स्वीकार है। ऐसे में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड एक ऐसी सोच के साथ सामने आया है जिससे कड़वाहट कम होने की बजाए बढ़ने का अंदेशा जताया जा रहा है। वैसे तो किसी भी फैसले पर पक्षकार को पुनर्विचार दाखिल करने का अधिकार है। लेकिन सुन्नी वक्फ बोर्ड मुख्य पक्षकार है और उसने पुनर्विचार के लिए ना कह दिया, फिर मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड को क्या पड़ी है कि याचिका के लिए सुप्रीम कोर्ट जाए। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के इस फैसले पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने तंज कसते हुए उन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने सवाल पूछा कि क्या प्रतिबंधित संगठन सिमी के सदस्य अब पर्सनल लॉ बोर्ड जैसे वैध मुस्लिम संगठनों के प्रमुख सदस्य बन गए हैं? गृह मंत्रालय को जांच करनी होगी।

इसके अलावा अयोध्या में भगवान श्रीराम का मंदिर बनाने के लिए 51 हजार रुपये का सहयोग देने वाले शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने भी आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर करारा हमला बोला है। रिजवी ने कहा कि यह सही वक्त है ओवैसी और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर प्रतिबंध लगने का। उन्होंने अयोध्या पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सर्वश्रेष्ठ निर्णय बताया और कहा कि मैंने अपने जीवन में इससे बेहतर फैसला नहीं देखा। इस फैसले से सब खुश हैं, बस, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और ओवैसी इस फैसले से संतुष्ट नहीं है, ऐसे में ओवैसी और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।'

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