Aircel-maxis Case: ED का खुलासा, कार्ति चिदंबरम को मिले 1.16 करोड़ के घूस

Aircel-Maxis Case: ED  disclosure, Karti Chidambaram receives 1.16 crore bribe
[email protected] । Jun 13 2018 8:36PM

पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम की दो कंपनियों को एयरसेल-मैक्सिस मनी लांड्रिंग मामले में 1.16 करोड़ रुपये के घूस मिले थे। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली की एक अदालत में आज दायर आरोप-पत्र में यह दावा किया है।

नयी दिल्ली। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम की दो कंपनियों को एयरसेल-मैक्सिस मनी लांड्रिंग मामले में 1.16 करोड़ रुपये के घूस मिले थे। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली की एक अदालत में आज दायर आरोप-पत्र में यह दावा किया है। हालांकि इस आरोप-पत्र में पी.चिदंबरम का नाम नहीं है। अदालत इस आरोप-पत्र पर चार जुलाई को विचार करेगी। चिदंबरम से आईएनएक्स मीडिया और एयरसेल-मैक्सिस मामलों में सीबीआई और ईडी ने पूछताछ की थी।ईडी ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रूबी अल्का गुप्ता की अदालत में यह आरोप-पत्र दायर किया ताकि नामजद आरोपियों को समन जारी कर उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सके। 

ईडी ने कहा है कि एयरसेल टेलीवेंचर्स लिमिटेड और मैक्सिस एवं उसकी सहयोगी कंपनियों ने क्रमश: एडवांटेज स्ट्रेटजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड (एएससीपीएल) को 26 लाख रुपये और चेस मैनेजमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (सीएमएसपीएल) को 90 लाख रुपये घूस मिले थे। विशेष सार्वजनिक वकील नीतेश राणा और एन.के.मट्टा ने आरोप-पत्र की सामग्री का जिक्र करते हुए कहा कि 1.16 करोड़ रुपये घूस पाने वाली कंपनियों एएससीपीएल और सीएमएसपीएल पर कार्ति का पूरा नियंत्रण था। ईडी ने यह भी स्पष्ट किया कि वह इस मामले में पूरक आरोप-पत्र भी दायर कर सकती है जिसका मतलब है कि इसमें कुछ अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया जा सकता है। ईडी ने आरोप-पत्र में कार्ति के अलावा एएससीपीएल एवं इसके निदेशकों पद्म भाष्करमन और रवि विश्वनाथन, सीएमएसपीएल एवं इसके निदेशक अन्नामलाई पलानीयप्पा का भी नाम शामिल किया है।

ईडी ने आरोप-पत्र में कहा है, ‘‘एएससीपीएल को कार्ति चिदंबरम के निर्देश पर बनाया गया था और कार्ति के पास ही सारा नियंत्रण था।’’ उसने कहा कि कंपनी बनाने के लिए पैसे का प्रबंध भी कार्ति ने ही किया था।उसने कहा कि एएससीपीएल के सारे मामलों पर कार्ति का नियंत्रण था और आंतरिक ईमेल से पता चलता है कि कंपनी के कारोबार के हर पहलु पर उसका नियंत्रण था।ईडी ने दावा किया कि मैक्सिस को शेयर बेचने वाली भारतीय कंपनी एयरसेल टेलीवेंचर लिमिटेड से एएससीपीएल को 26 लाख रुपये मिले थे। ईडी की ओर से दायर आरोप-पत्र में यह दर्शाने का प्रयास है कि यह भुगतान ‘परस्पर फायदे’ के लिए किया गया। आरोप पत्र में कहा गया है, ‘‘यह भुगतान इस मामले में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के तुरंत बाद किया गया।’’ आरोप-पत्र में सौदे के बारे में कहा गया कि मैक्सिस ने एफडीआई के तौर पर 80 करोड़ डॉलर यानी करीब 3,565.91 करोड़ रुपये निवेश किया। 

वित्तमंत्री के पास तब महज 600 करोड़ रुपये तक के एफडीआई को मंजूरी देने का अधिकार था। इससे अधिक के एफडीआई को मंजूरी देने का अधिकार आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति के पास था।ईडी ने कहा, ‘‘इस मामले में बताया गया कि एफडीआई 180 करोड़ रुपये का होगा जो कि मैक्सिस द्वारा अधिग्रहीत शेयरों के सममूल्य के बराबर था। हालांकि यह एफडीआई वास्तव में 3,565.91 करोड़ रुपये का था।’’ ईडी ने कहा कि आरोप-पत्र में नामित एक अन्य कंपनी चेस मैनेजमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ऐसी कंपनी है जिसका कार्ति प्रवर्तक था। इसे मैक्सिस एवं सहयोगी मलेशियाई कंपनियों से कथित सॉफ्टवेयर सेवाओं के लिए 90 लाख रुपये मिले थे। हालांकि 90 लाख रुपये के बदले दिये गये सॉफ्टवेयर मलेशियाई कंपनी के किसी काम के नहीं थे।ईडी ने इस मामले में कम से कम दो बार कार्ति चिदंबरम से पूछताछ की है। ईडी ने इस मामले में पी. चिदंबरम से भी कल दूसरी बार पूछताछ की।

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