रास नहीं आया अखिलेश को महागठबंधन, उत्तर प्रदेश में बुआ- भतीजे की जोड़ी पस्त
जब पत्रकारों ने उनसे पूछा था कि वह बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती का प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी के रूप में समर्थन करेंगे इस पर उन्होंने गोल मोल जवाब देते हुये कहा कि सभी विकल्प पूरी तरह से खुले हुये हैं।
लखनऊ। अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती के गठबधंन को भले ही उप्र में भाजपा की भारी जीत के कारण मनमुताबिक परिणाम नहीं मिले हैं लेकिन समाजवादी पार्टी अध्यक्ष को उनके एकजुटता के प्रयासों के लिये पूरे नंबर मिलेंगे ।
भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला करने के लिये बनाये गये सपा-बसपा गठबंधन के खातिर यादव ने अपना अंहकार एक किनारे रखा और भतीजा-बुआ (मायावती) मिलकर मैदान में उतरे। इसमें उनकी पत्नी डिंपल ने भी मदद की जब उन्होंने वरिष्ठ नेता मायावती के भीड़ भरी जनसभा में सबके सामने पैर छुये।
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जब पत्रकारों ने उनसे पूछा था कि वह बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती का प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी के रूप में समर्थन करेंगे इस पर उन्होंने गोल मोल जवाब देते हुये कहा कि सभी विकल्प पूरी तरह से खुले हुये हैं। अखिलेश ने बड़ा दिल दिखाते हुये गठबंधन के एक अन्य सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल को अपने समाजवादी पार्टी के कोटे से एक और सीट दे दी। सपा और बसपा के बीच मुलायम सिंह यादव के पार्टी प्रमुख होने के दौरान पैदा हुई खटास को दूर करने का काम अखिलेश ने किया ताकि भाजपा को चुनाव के मैदान में मात दी जा सके। 1995 में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने लखनऊ के एक गेस्ट हाउस में बसपा प्रमुख के साथ दुर्व्यवहार किया था।
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अखिलेश यादव ने 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से हाथ मिलाया था, तब इन दोनों को यूपी के लड़के के नाम से पुकारा गया था। लेकिन इस गठबंधन ने काम नहीं किया और प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से उप्र में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी। 2012 में अपने पिता मुलायम सिंह यादव की मदद से अखिलेश 38 की साल की उम्र में उप्र के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने । शुरुआती दिनों में उन्होंने अपने पिता की विरासत तो संभाली ही साथ ही डीपी यादव, अमर सिंह और आजम खान जैसे घाघ राजनीतिज्ञों को भी बखूबी संभाला। अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी में माफिया डान मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल को उनकी मर्जी के बिना पार्टी में शामिल किया। इस समय उनके दूसरे चाचा राम गोपाल यादव उनके पीछे चट्टान की मानिंद खड़े रहे । 2017 चुनाव के पहले अखिलेश ने पार्टी का सम्मेलन बुलाया और पिता मुलायम सिंह को अध्यक्ष पद से हटा दिया।
उनके इस कदम के बाद भाजपा ने उन्हें औरंगजेब का खिताब दिया जिसने अपने पिता को गद्दी से हटा दिया। एक जुलाई 1973 को इटावा के सैफेई में जन्मे अखिलेश ने अपनी पढ़ाई राजस्थान के धौलपुर सैन्य स्कूल में की। बाद में उन्होंने पर्यावरण इंजीनियरिंग में मैसूर विश्वविदयालय से डिग्री हासिल की। फिर उन्होंने आस्ट्रेलिया के सिडनी से परास्नातक की डिग्री हासिल की। सन 2000 में उन्होंने कन्नौज के लोकसभा उपचुनाव से राजनीति में अपना पहला कदम रखा और जीत हासिल की । वह 2004 और 2009 में भी कन्नौज से चुनाव जीते। अखिलेश यादव और डिंपल की तीन संताने है, अदिति,अर्जुन और टीना।
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