माकपा ने सरकार से की मांग, J&K से सभी प्रकार के प्रतिबंध हटाई जाएं
माकपा ने जम्मूकश्मीर में इंटरनेट सेवाओं पर उच्चतम न्यायालय की टिप्पणियों का हवाला देते हुए सरकार से राज्य में सभी प्रकार के प्रतिबंध हटाए जाने की मांग की है। पार्टी ने कहा कि केन्द्र सरकार ने गुरुवार को भी अपने इस दावे को सही ठहराने की कोशिश की और विदेशी राजनयिकों को जम्मू कश्मीर के सीमित दौरे पर भेजा।
नयी दिल्ली। माकपा ने जम्मू कश्मीर में इंटरनेट सेवाओं पर उच्चतम न्यायालय की शुक्रवार की टिप्पणियों का हवाला देते हुए सरकार से राज्य में सभी प्रकार के प्रतिबंध हटाए जाने की मांग की है। माकपा पोलित ब्यूरो ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि उच्चतम न्यायालय ने जम्मू कश्मीर में नागरिक अधिकारों की कटौती पर उल्लेखनीय टिप्पणी की है जिससे राज्य में सामान्य जनजीवन की बहाली के बारे में केन्द्र सरकार के गलत दावे का खुलासा हुआ है।
इसे भी पढ़ें: प्रतिबंध लगाने के सभी आदेशों की एक हफ्ते में समीक्षा करे जम्मू कश्मीर प्रशासन: SC
पार्टी ने कहा कि केन्द्र सरकार ने गुरुवार को भी अपने इस दावे को सही ठहराने की कोशिश की और विदेशी राजनयिकों को जम्मू कश्मीर के सीमित दौरे पर भेजा। पोलित ब्यूरो ने कहा कि जम्मू कश्मीर में राजनयिकों को सरकार जो दिखाना चाहती है, उन्हें उसी का जायजा लेने की अनुमति दी गई है। यही वजह है कि राजनयिकों को राज्य के तीन नजरबंद पूर्व मुख्यमंत्रियों से मिलने की इजाजत नहीं दी गई है।
पार्टी ने कहा कि पांच महीने बाद भी देश की जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले राजनीतिक दलों और उनके नेताओं तथा सांसदों के लिए अगर जम्मू कश्मीर का दौरा करना प्रतिबंधित हो तो ऐसे में विदेशी राजनयिकों का दौरा भारतीय संसद का अपमान है। उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने जम्मू कश्मीर में इंटरनेट सेवाओं पर अनिश्चितकाल तक रोक की आलोचना करते हुए कहा कि इंटरनेट का इस्तेमाल एक संवैधानिक अधिकार है और विचार अभिव्यक्ति की मौलिक स्वतंत्रता का भी अभिन्न हिस्सा है।
इसे भी पढ़ें: इंटरनेट पर SC के फैसले से घाटी के लोग खुश, बोले- अब जल्द ही बहाल हो जाएंगी सेवाएं
माकपा पोलित ब्यूरो ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने विपरीत विचारों को दबाने के लिए बार-बार धारा 144 के इस्तेमाल पर भी सवाल उठाते हुए कहा है कि सरकार इसका इस्तेमाल हथियार के रूप में नहीं कर सकती है। पार्टी पोलित ब्यूरो ने सरकार से जम्मू कश्मीर में इंटरनेट सेवा बहाल करने, धारा 144 हटाने और राज्य के लोगों के विचार अभिव्यक्ति सहित सभी लोकतांत्रिक अधिकार बहाल करने की मांग की।
Supreme Court while delivering verdict on petitions on situation in J&K after abrogation of Article 370: It is no doubt that freedom of speech is an essential tool in a democratic set up.Freedom of Internet access is a fundamental right under Article 19(1)(a) of free speech https://t.co/NcuCbeMxih
— ANI (@ANI) January 10, 2020
अन्य न्यूज़