श्रीनगर में जुमे की नमाज के लिए लगाए सभी प्रतिबंध हटे, जानें 90 दिन बाद कैसे हैं हालात

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[email protected] । Nov 2 2019 3:00PM

‘‘घाटी में आज लोगों की आवाजाही पर कोई रोक नहीं है। कश्मीर में जनजीवन थोड़ा सामान्य दिखा।’’ नौहट्टा क्षेत्र में ऐतिहासिक जामा मस्जिद में 13वें सप्ताह भी नमाज अदा करने की अनुमति नहीं दी गई। यहां स्थित नक्काशबंद साहिब मस्जिद खोज-ए-दिगार में भी जुमे की नमाज की अनुमति नहीं थी।

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाए जाने के बाद लगातार 90वें दिन भी जनजीवन पूरी तरह पटरी पर नहीं लौट पाया है। हालांकि शहर के अधिकतर हिस्सों से जुमे की नमाज के मद्देनजर लगाए गए प्रतिबंध हटा दिए गए हैं। पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘घाटी में आज लोगों की आवाजाही पर कोई रोक नहीं है। कश्मीर में जनजीवन थोड़ा सामान्य दिखा।’’ नौहट्टा क्षेत्र में ऐतिहासिक जामा मस्जिद में 13वें सप्ताह भी नमाज अदा करने की अनुमति नहीं दी गई। यहां स्थित नक्काशबंद साहिब मस्जिद खोज-ए-दिगार में भी जुमे की नमाज की अनुमति नहीं थी।

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अधिकारी ने बताया कि शहर के संवेदनशील इलाकों और घाटी में अन्य स्थानों पर कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। अधिकारी ने बताया कि घाटी में स्थिति अभी शांतिपूर्ण है। सड़कों पर निजी वाहनों और टैक्सियों की आवाजाही भी बढ़ी है। अधिकारी ने बताया कि मुख्य बाजार दिन में बंद रहे। शिक्षण संस्थान भी बंद रहे लेकिन दसवीं और बारहवीं कक्षा के लिए बोर्ड परिक्षाएं निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार हुईं। सरकार पिछले तीन महीने से स्कूलों को खोलने की कोशिश कर रही है लेकिन सुरक्षा चिंताओं के कारण माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजने को तैयार नहीं है। घाटी में लैंडलाइन और पोस्टपेड मोबाइल सेवा शुरू हो चुकी है लेकिन इंटरनेट सेवाएं पांच अगस्त से अब तक ठप्प हैं। 

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ज्यादातर शीर्ष स्तर के अलगाववादी नेताओं को एहतियात के तौर पर हिरासत में ले लिया गया है जबकि दो पूर्व मुख्यमंत्रियों -उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत मुख्यधारा के नेताओं को या तो हिरासत में लिया गया है या नजरबंद कर रखा गया है। अन्य पूर्व मुख्यमंत्री एवं श्रीनगर से लोकसभा के मौजूदा सांसद फारुक अब्दुल्ला को विवादित लोक सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया है। यह कानून फारुक के पिता एवं नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक शेख अब्दुल्ला ने 1978 में लागू किया था जब वह मुख्यमंत्री थे।

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