इतिहास और राजनीति का संगम है इलाहाबाद का कॉफी हाउस
सिविल लाइंस इलाके में स्थित यह एक ‘‘सुरक्षित स्थान’’ है जहां विचारों को खुलकर व्यक्त किया जा सकता है। उत्तरप्रदेश बिजली निगम से सेवानिवृत्त अशोक यादव ने कहा, ‘‘यहां लोगों में मतभेद हो सकता है, मनभेद नहीं।’’
इलाहाबाद। इलाहाबाद का कॉफी हाउस वह स्थान है जहां पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और वी. पी. सिंह समय बिताना पसंद करते थे और अमिताभ बच्चन अपनी जवानी के दिनों में कॉफी पीना पसंद करते थे। छह दशक बाद इंडियन कॉफी हाउस में एक बार फिर इतिहास और राजनीति का संगम जारी है जहां हर घटना पर बहस चलती है। पहली नजर में यह कॉफी हाउस के बजाए गिरिजाघर प्रतीत होता है जिसकी छतें काफी ऊंची हैं और प्रवेश द्वार मेहराबदार हैं। बहरहाल, अंदर कॉफी की चुस्कियों पर बहस जारी है और बुजुर्ग बताते हैं कि यह वह स्थान है जहां अलग मत रखने वाले भी खुलकर बोल सकते हैं।
चुनाव के इस मौसम में यह काफी संख्या में ग्राहकों को आकर्षित कर रहा है जो यहां घंटों बैठकर राजनीति पर चर्चा करते हैं। चुनावी सरगर्मी बढ़ने के साथ ही इंडियन कॉफी हाउस में उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी- बहुजन समाज पार्टी गठबंधन, सक्रिय राजनीति में प्रियंका गांधी के आने और अगली सरकार बनने की संभावनाओं पर चर्चा का दौर जारी है। सिविल लाइंस इलाके में स्थित यह एक ‘‘सुरक्षित स्थान’’ है जहां विचारों को खुलकर व्यक्त किया जा सकता है। उत्तरप्रदेश बिजली निगम से सेवानिवृत्त अशोक यादव ने कहा, ‘‘यहां लोगों में मतभेद हो सकता है, मनभेद नहीं।’’
इसे भी पढ़ें: विजय गोयल बोले, देश में चल रही है भाजपा की लहर
यहां अब भी चाय नहीं मिलती। दूध वाली कॉफी की कीमत महज 26 रुपये और क्रीम कॉफी की कीमत 37 रुपये है। यहां खाना भी सस्ता है जहां शाकाहारी सैंडविच 43 रुपये में और अंडा सैंडविच 50 रुपये का मिलता हें। यहां काफी समय से आ रहे लोगों के मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री और ‘इलाहाबादी’ जवाहरलाल नेहरू और वी पी सिंह पुराने समय में कॉफी पीने आते थे। कॉफी हाउस के प्रबंधक पी आर पांडा बताते हैं कि इलाहाबादी अमिताभ बच्चन सुपरस्टार बनने से पहले यहां साइकिल से आते थे। कॉफी हाउस में वकील से लेकर पत्रकार और व्यवसायी तक, समाज के हर तबके के लोग पहुंचते हैं।
अन्य न्यूज़