सामाजिक सरोकार की अनोखी मिसाल, एलुमनाई ने फंड इकट्टा कर मजदूरों को मुंबई से रांची फ्लाइट से भेजा

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अभिनय आकाश । May 27 2020 2:47PM

एनएलएस के छात्रों ने झारखंड के 180 प्रवासी मजदूरों को मुंबई से रांची एयर एशिया के फ्लाइट से भेजकर मानव सेवा का मिसाल पेश की है। बता दें कि यह पहला अवसर है जब निजी लोगों के ग्रुप ने एकसाथ आकर फंसे हुए मजदूरों को फ्लाइट के जरिए वापस घर भेजा।

दो वक्त की रोजी-रोटी कमाने और खाने के लिए जिन शहरों को ठिकाना बनाया था। वहां से यूं बदहाली में थक-हार कर गांवों की ओर लौटने की पैदल तो कभी साइकिल तो कभी ट्रकों में लदकर जाने की कई तस्वीरें बीते कई दिनों में आपने देखी होगी। लेकिन संकट की घड़ी में प्रवासियों के मदद को हाथ बढ़े हैं। नेशनल लॉ स्कूल-बेंगलुरु के पूर्व छात्रों ने एक अनोखा फैसला किया। बेंगलूरु नेशनल लॉ स्कूल के एलुमनाई ने सामाजिक सरोकार का अच्छा उदाहरण पेश कर सबको चौंका दिया है। दरअसल, एनएलएस के छात्रों ने झारखंड के 180 प्रवासी मजदूरों को मुंबई से रांची एयर एशिया के फ्लाइट से भेजकर मानव सेवा का मिसाल पेश की है। बता दें कि यह पहला अवसर है जब निजी लोगों के ग्रुप ने एकसाथ आकर फंसे हुए मजदूरों को फ्लाइट के जरिए वापस घर भेजा।

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एनजीओ  की मदद से मजदूरों की पहचान

बेंगलूरु नेशनल लॉ स्कूल के एलुमनाई ने मजदूरों की पहचान के लिए विभिन्न गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) की सहायता ली। 

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विमान का किराया बस के बराबर

अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक लॉ स्कूल में 2000 बैच की छात्र रह चुकी शाएल त्रेहान ने कहा कि उनके बैचमेट प्रवासियों की मदद करने के तरीके पर चर्चा कर रहे थे। उन्होंने पहले एक बस को किराए पर लेने का सोचा था, लेकिन जल्द ही प्रति व्यक्ति की लागत विमान यात्रा में मामूली अंतर ही था। 

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त्रेहान ने कहा कि यह पूरा विचार और इसके निष्पादन को टाटा समूह, एयरलाइन और आईआईटी बॉम्बे की रिसर्च स्कालर प्रिया शर्मा के संयुक्त प्रयास से अंजाम दिया गया। क्राउड-फंडिंग के जरिए 11 लाख रुपये जुटाए गए। संपूर्ण विचार और इसका निष्पादन एक संयुक्त प्रयास है, जो टाटा समूह, एयरलाइन और प्रिया शर्मा, अनुसंधान विद्वान, सामाजिक विज्ञान, आईआईटी-बॉम्बे द्वारा मदद करता है। उन्होंने अब तक क्राउड-फंडिंग के जरिए 11 लाख रुपये जुटाए हैं।

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एक एलुमिनाई ने बताया, 'पहले 45 प्रवासी मजदूरों को फ्लाइट से दिल्ली होते हुए रांची जाने के लिए बुकिंग की गई। वो फ्लाइट कैंसल हो गई। इसके बाद हम सबने एक विमान को ही बुक कर अधिक मजदूरों को भेजने का फैसला किया। इसका पूरा खर्चा हम सबने ही जुटाया।'

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