विद्युत अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन बहुत खतरनाक है: केजरीवाल

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[email protected] । Sep 29 2018 6:23PM

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विद्युत अधिनियम 2003 में प्रस्तावित संशोधनों को लेकर शनिवार को भाजपा नीत केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला और कहा कि इन संशोधनों का मकसद देश के गरीबों और किसानों की कीमत पर ‘कुछ विद्युत कंपनियों’ को फायदा पहुंचाना है।

नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विद्युत अधिनियम 2003 में प्रस्तावित संशोधनों को लेकर शनिवार को भाजपा नीत केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला और कहा कि इन संशोधनों का मकसद देश के गरीबों और किसानों की कीमत पर ‘कुछ विद्युत कंपनियों’ को फायदा पहुंचाना है। अपने आवास पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में केजरीवाल ने आरोप लगाया कि प्रस्तावित संशोधन आड़ी सब्सिडी (उपभोक्ताओं के एक वर्ग से ऊंची कीमत पर कोई चीज लेकर गरीब उपभोक्ता को सस्ते में देना) को खत्म कर देगा और बिजली के दामों में दो से पांच गुना का इजाफा होगा। इससे मध्यम वर्ग, किसानों और गरीबों के लिए भी बिजली का खर्च वहन करना मुश्किल होगा।

आम आदमी पार्टी के प्रमुख ने कहा, ‘मैं इन संशोधनों के खिलाफ सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखूंगा और गैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात करूंगा। ये संशोधन बहुत खतरनाक और क्रूर हैं। इस कदम का मकसद बड़ी विद्युत कंपनियों को फायदा पहुंचाना है जो प्रधानमंत्री से नजदीकियों के लिए जानी जाती हैं।’ केजरीवाल ने कहा कि ये संशोधन विद्युत क्षेत्र में वायदा कारोबार शुरू करेंगे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह बिजली मामले को राज्य सरकारों से छीन लेगा और निर्णय लेने के सभी अधिकार केंद्र के अधिकार क्षेत्र में चले जाएंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘वायदा कारोबार का मतलब है कि बड़े लोग सट्टा लगाएंगे और आम आदमी को उत्पादन और आपूर्ति के साथ-साथ बिजली कंपनियों के भ्रष्टाचार का पूरा बोझ सहन करना पड़ेगा।’ उन्होंने कहा कि ‘आप’ संशोधन विधेयक के खिलाफ आंदोलन शुरू करेगी ताकि राज्यसभा में इसे पारित कराने से रोका जा सके। केजरीवाल ने कहा, ‘हम लोगों के पास जाएंगे और उन्हें बताएंगे कि (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी जी बिजली कंपनियों के हाथों बिक चुके हैं।’

उन्होंने पत्रकारों को बताया कि केंद्र ने विद्युत अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों को राज्यों को उनकी प्रतिपुष्टि (फीडबैक) के लिए भेजा था। सरकार की योजना संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में विधेयक को पारित कराने की है। ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक ने दावा किया, ‘मैं ऐसे कदम के पीछे की राजनीतिक समझ से हैरान हूं जो बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करेगा, खास तौर पर गरीब और किसानों को। शायद मोदी सरकार को एहसास हो गया है कि वह 2019 के (लोकसभा) चुनाव में वापस नहीं आएगी। इसलिए कंपनियों का एहसान चुकाने की कोशिश कर रही है।’

केजरीवाल ने भाजपा प्रमुख अमित शाह को आप सरकार द्वारा दिल्ली में बीते वर्षों में किए गए कार्यों और उनकी (शाह की) पार्टी की सरकारों के राज्यों और केंद्र में किए गए कार्यों पर ‘खुली बहस’ की चुनौती भी दी। उन्होंने कहा, ‘अमित शाह ने कहा कि हमने दिल्ली में कुछ नहीं किया। मैं कहना चाहता हूं कि हमने विजय माल्या और नीरव मोदी को देश से भगाने में मदद नहीं की। हमने राफेल सौदा नहीं किया। हमारे तीन साल के काम शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और जल आपूर्ति क्षेत्र में हैं। हम इस पर और उनकी (शाह की) पार्टी के गुजरात के 27 साल के और केंद्र के चार साल के कामकाज पर बहस कर सकते हैं।’

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