अमित शाह ने सेल्युलर जेल को बताया सबसे बड़ा तीर्थ स्थान, बोले- यह भी बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है

Amit Shah

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश भर के लोगों के लिए अंग्रेजों द्वारा बनाई गई ये सेल्युलर जेल सबसे बड़ा तीर्थ स्थान है। इसीलिए सावरकर जी कहते थे कि ये तीर्थों में महातीर्थ है, जहां आजादी की ज्योति को प्रज्वलित करने के लिए अनेकों लोगों ने बलिदान दिए।

पोर्ट ब्लेयर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अंडमान और निकोबार में विभिन्न विकासात्मक पहलों का जायजा लेने के लिए तीन दिवसीय दौरे पर आए हैं। इस दौरान उन्होंने पोर्ट ब्लेयर में कहा कि आज दूसरी बार मुझे आजादी के तीर्थ स्थल पर आने का मौका मिला है। मैं जब-जब यहां आता हूं, एक नई ऊर्जा और प्रेरणा प्राप्त करके यहां से जाता हूं। क्योंकि यह वो जगह है जहां पर अनेकों स्वतंत्रता सेनानियों ने क्रूरता सही है। इसके साथ ही तमाम तरह की यातनाएं सहने के बाद भी जाते वक्त वंदे मातरम या फिर भारत माता की जय उद्घोष के साथ गए। 

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यह अमृत महोत्सव का वर्ष है

उन्होंने कहा कि देश भर के लोगों के लिए अंग्रेजों द्वारा बनाई गई ये सेल्युलर जेल सबसे बड़ा तीर्थ स्थान है। इसीलिए सावरकर जी कहते थे कि ये तीर्थों में महातीर्थ है, जहां आजादी की ज्योति को प्रज्वलित करने के लिए अनेकों लोगों ने बलिदान दिए। उन्होंने कहा कि आजादी के संग्राम से प्रेरणा लेकर फिर से एक बार खुद को समर्पित करने का वर्ष है। यह वर्ष आजादी के अमृत महोत्सव का वर्ष है।

अमित शाह ने कहा कि आज स्वतंत्रता आंदोलन की इस तपोस्थली और संकल्प स्थली पर जब मैं आया हूं, तब अनेक स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और उनके संकल्प को सम्मान के साथ मैं नमन करता हूं।

उन्होंने कहा कि आज विजयादशमी है। विजयादशमी के दिन को हम पूरे भारतवर्ष में बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में मनाते हैं। आजादी का ये तीर्थ स्थल भी बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है, यहीं पर एक संकल्प लिया गया था कि भारत माता को कोई गुलाम नहीं रख सकता है। 

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गृह मंत्री ने कहा कि अब जिस रास्ते पर मोदी जी के नेतृत्व में भारत ने आगे बढ़ने और चलने का निर्णय लिया है, वो पीछे मुड़ने का नहीं बल्कि आगे बढ़ते रहने का रास्ता है और सावरकर और सान्याल जैसे वीर स्वतंत्रता सेनानियों की संकल्पना का भारत बनाने का रास्ता है।

उन्होंने कहा कि मोदी जी ने आजादी का अमृत महोत्सव मनाने का निर्णय इसलिए लिया है कि विशेषकर युवा पीढ़ी को आजादी के संग्राम की जानकारी मिले। जिनका नाम गुमनाम हो गया, ऐसे अंजान स्वतंत्रता सेनानियों   की वीरता के और आजादी में उनके योगदान का परिचय हमारी युवा पीढ़ी को मिले। 

यहां सुने पूरा भाषण:-

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