आम्रपाली ने ‘बड़ी धोखाधड़ी’ की है, पूरे गिरोह का पर्दाफाश किया जाना जरूरी: सुप्रीम कोर्ट

amrapali-has-done-big-fraud-must-be-busted-in-full-scope-supreme-court
[email protected] । Oct 25 2018 10:24AM

पीठ ने कहा, ‘‘समूह द्वारा इधर उधर किए गए धन को वापस निकालना होगा। इसी के लिए यह फोरेंसिक आडिट है और यह लिए भी है कि इस (हेराफेरी) सबके पीछे जिम्मेदार लोगों को पकड़ा जाए और जरूरी हो तो उन्हें जेल भेजा जाए।’’

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि जमीन/ मकान का कारोबार करने वाले आम्रपाली कंपनी समूह ने घर खरीदने वाले ग्राहकों से जुटे पैसे को हेराफेरी कर दूसरी कंपनियों में पहुंचा दिया और इस ‘‘बड़ी धोखाधड़ी’’ में शामिल ‘‘बड़े गिरोह’’ को सामने लाना ही होगा। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति यू. यू. ललित की पीठ को फोरेंसिक ऑडिटरों (खातों में आपराधिक हेराफेरी की जांच करने वाले ऑडिटरों) ने बताया कि कंपनी के दस्तावेजों से पता चलता है कि समूह की एक कंपनी द्वारा गौरीसूत इंफ्रास्ट्रक्चर्स प्राइवेट लिमिटेड को 100 करोड़ रुपये से अधिक की राशि हेराफेरी से पहुंचायी गयी। फोरेंसिक आडिटरों ने यह भी कहा कि कानून के तहत नियुक्त कंपनी के ऑडिटरों ने भी कई गलतियां की और वे अपने कर्तव्यों का पालन करने में पूरी तरह विफल रहे।

यह भी पढ़ें: SC ने आम्रपाली निदेशकों पर लगायी पुलिस निगरानी, अवमानना कार्यवाही भी शुरू

पीठ ने कहा, ‘‘समूह द्वारा इधर उधर किए गए धन को वापस निकालना होगा। इसी के लिए यह फोरेंसिक आडिट है और यह लिए भी है कि इस (हेराफेरी) सबके पीछे जिम्मेदार लोगों को पकड़ा जाए और जरूरी हो तो उन्हें जेल भेजा जाए।’’ पीठ ने कहा, ‘‘यह एक बड़ा गिरोह है जिसका पर्दाफाश जरूरी है। उन्होंने (आम्रपाली समूह ने) बड़ी धोखाधड़ी की है। हम देखते हैं कि क्या किया जा सकता है।’’ फोरेंसिक ऑडिटरों रवि भाटिया और पवन कुमार अग्रवाल ने न्यायालय को बताया कि उन्हें समूह की कुछ कंपनियों द्वारा घर खरीदारों के पैसे का हेरफेर करने की जानकारी मिली है और इसके लिये कुछ मुखौटा कंपनियां भी बनायी गयी थीं।

यह भी पढ़ें: एनबीसीसी पूरी करेगी आम्रपाली की अधूरी परियोजनाएं, DRT बेचेगी संपत्तियां

सुनवाई के दौरान ऑडिटरों ने कहा कि उन्हें अभी तक इस संबंध में कोई धमकी नहीं मिली है। पीठ ने कहा, ‘‘यदि धमकी का थोड़ा सा भी शक हो, आप हमें बताइये। कोई भी कितना भी बड़ा हो, आप हमें बतायें। हम देख लेंगे।’’  ऑडिटरों ने पीठ को बताया कि गौरीसूत के निदेशक आशीष जैन और विवेक मित्तल समूह के विधायी ऑडिटरों के रिश्तेदार बताये जाते हैं। उन्होंने पीठ को यह भी बताया कि आम्रपाली समूह के मुख्य वित्तीय अधिकारी चंदर वाधवा मामले में सहयोग नहीं कर रहे हैं।

ऑडिटरों ने कहा, ‘‘उसे (वाधवा) को यह याद है कि उनकी शादी कब हुई। उसे अन्य निजी बातें भी याद है। बस यह याद नहीं है कि वह आम्रपाली समूह से कब जुड़ा था।’’ न्यायालय ने अगली सुनवाई की तारीख 26 अक्टूबर को प्रस्तुत होने को कहा। न्यायालय ने फॉरेंसिक ऑडिटरों को गुरुवार तक अंतरिम रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़