नतीजे से पहले नाराज राजभर का दलित पीएम वाला दांव

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अभिनय आकाश । May 14 2019 6:16PM

राजभर ने इस बात का दावा किया कि भाजपा को इस बार बहुमत नहीं मिलने जा रहा है। राजभर ने यह भी दावा किया कि इस बार 119 दलित सांसद जीतेंगे और ऐसे में सभी मायावती को समर्थन देने के लिए मजबूर होंगे। मायावती की हिमायत करते हुए भाजपा से नाराजगी का कारण भी ओमप्रकाश राजभर ने बताया और कहा कि हमने भाजपा से एक सीट मांगी थी लेकिन भाजपा ने वो भी हमें देना जरूरी नहीं समझा।

नई दिल्ली। यूपी की राजनीति की बात करें तो राम मंदिर, योगी आदित्यनाथ, मायावती यही कुछ चर्चित चेहरे हर किसी के जुबान पर रहते हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश की राजनीति में पिछले दो साल से भमकी भरे अंदाज और बगावती तेवर से अपनी धाक जमा चुके ओम प्रकाश राजभर का नाम भी इस सूची में प्रमुखता से आता है। लोकसभा में एक भी सांसद न होने वाली पार्टी के मुखिया सुबह से ही खबरों में बने हैं। वजह है बीच चुनाव में पीएम उम्मीदवार को लेकर उनका दिया गया बयान। सुहेलदेव समाज पार्टी के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर ने दावा किया है कि इस बार देश का प्रधानमंत्री कोई दलित होगा और बसपा सुप्रीमो मायावती ही देश की अगली प्रधानमंत्री बनने जा रही हैं।

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राजभर ने इस बात का दावा किया कि भाजपा को इस बार बहुमत नहीं मिलने जा रहा है। राजभर ने यह भी दावा किया कि इस बार 119 दलित सांसद जीतेंगे और ऐसे में सभी मायावती को समर्थन देने के लिए मजबूर होंगे। मायावती की हिमायत करते हुए भाजपा से नाराजगी का कारण भी ओमप्रकाश राजभर ने बताया और कहा कि हमने भाजपा से एक सीट मांगी थी लेकिन भाजपा ने वो भी हमें देना जरूरी नहीं समझा। बता दें कि  राजभर ने महाराजगंज, बांसगांव और मिर्जापुर में गठबंधन के उम्मीदवारों को समर्थन दिया है। दरअसल, इन तीनों ही स्थानों पर सुभासपा के प्रत्याशियों का नामांकन खारिज हो गया था, जिसके चलते उन्होंने गठबंधन के उम्मीदवारों का समर्थन दिया है। भाजपा से नाराजी के चलते राजभर यूपी सरकार से अलग हो गए थे और उन्होंने बनारस समेत 39 सीटों पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतारे हैं।

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राजभर के इस बयान से राजनीति में दलित भागीदारी पर बहस एक बार फिर तेज हो गई है। गौरतलब है कि देश की 172 सीटों पर दलित वोटरों का असर है। हिन्दुस्तान की 20 करोड़ दलित समाज के लोग हैं। लोकसभा में अनुसूचित जाति और जनजातियों के लिए 131 सीटें आरक्षित हैं। लोकसभा की 545 सीटों में से 84 सीटें अनुसूचित जाति और 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं।

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पार्टियों में दलित सांसद

भाजपा- 40

टीएमसी- 10

अन्नाद्रमुक- 7

कांग्रेस- 7

शिवसेना- 3

टीडीपी- 3

टीआरएस- 2

बीजद- 3

लोजपा- 3

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