राफेल मामले में काग्रेस का एक और आरोप, कहा- निजी कंपनियों को पहुंचाया गया फायदा

Another allegation of the congress in the Rafale deal
[email protected] । Jul 27 2018 2:51PM

राफेल विमान सौदे में कथित अनियमितता को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर निरंतर हमले कर रही कांग्रेस ने आज दावा किया कि इस लड़ाकू विमान सौदे के संदर्भ में एक नामी भारतीय समूह की रक्षा कंपनी को कुल 1,30,000 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट मिला है।

नयी दिल्ली। राफेल विमान सौदे में कथित अनियमितता को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर निरंतर हमले कर रही कांग्रेस ने आज दावा किया कि इस लड़ाकू विमान सौदे के संदर्भ में एक नामी भारतीय समूह की रक्षा कंपनी को कुल 1,30,000 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट मिला है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह दावा करते हुए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर निशाना साधा और उनपर देश से झूठ बोलने का आरोप लगाया।

सुरजेवाला ने कुछ दस्तावेज सामने रखते हुए संवाददाताओं से कहा, 'राफेल सौदे की आए दिन खुलती परतें प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री द्वारा बोले गए झूठ की परतें खोल रही हैं। कल्चर ऑफ क्रोनी कैपिटलिज्म (छद्म पूंजीवाद की संस्कृति) मोदी सरकार का डीएनए बन गयी है। इस सौदे से सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाए जाने की बू आती है।"

उन्होंने दावा किया कि फ्रांस के साथ 36 राफेल विमान की खरीद का समझौता होने के बाद इस विमान सौदे से जुड़ा कॉन्ट्रैक्ट सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से लेकर एक निजी भारतीय समूह की रक्षा कंपनी को दिया गया जबकि यह कंपनी समझौते से 12 दिन पहले पंजीकृत हुई थी और उसके पास विमान बनाने का कोई अनुभव नहीं है।

सुरजेवाला के मुताबिक इस निजी भारतीय कंपनी ने पिछले साल 16 फरवरी को बयान जारी कर कहा कि उसे राफेल से जुड़ा 30,000 करोड़ रुपये का 'ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट' और 1,00,000 एक लाख करोड़ रुपये का 'लाइफ साइकल कॉन्ट्रैक्ट' मिला है।उन्होंने यह भी दावा किया कि एक सरकारी विज्ञप्ति में रक्षा मंत्री ने कहा कि उन्हें निजी कंपनी को ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट दिए जाने की जानकारी नहीं है।

उन्होंने कहा कि 'राष्ट्रीय हितों के साथ हुए खिलवाड़' पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जवाब देना चाहिए। सुरजेवाला ने सवाल किया कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण देश से क्यों झूठ बोल रही हैं? क्या प्रधानमंत्री स्वीकार करेंगे कि एचएएल से कॉन्ट्रैक्ट छीनकर एक निजी समूह को दिया गया ? क्या रक्षा मंत्री की अनुमति के बगैर ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट किया गया?'।

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