अनुच्छेद 35-ए के खिलाफ दायर नयी याचिका पर न्यायालय में सुनवाई टली
उच्चतम न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 35-ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली नयी याचिका पर आज सुनवाई स्थगित कर दी।
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 35-ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली नयी याचिका पर आज सुनवाई स्थगित कर दी। यह अनुच्छेद जम्मू कश्मीर विधान सभा को विशेष अधिकार और सुविधाओं के लिये ‘‘स्थाई निवासियों’’ को परिभाषित करने का अधिकार प्रदान करता है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की पीठ के समक्ष यह याचिका सूचीबद्ध थी। परंतु इस पर सुनवाई नहीं हो सकी क्योंकि याचिकाकर्ता ने इसे स्थगित करने के अनुरोध के साथ शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को एक पत्र दे दिया था।
अधिवक्ता और दिल्ली भाजपा के नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने नयी याचिका में अनुच्छेद 35-ए को मनमाना घोषित करने का केन्द्र और राज्य सरकारों को निर्देश देने का अनुरोध किया है। याचिका में कहा गया है कि यह अनुच्छेद संविधान में प्रदत्त समता, महिलाओं की गरिमा, बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा जीने और व्यक्तिगत आजादी जैसे मौलिक अधिकारों के खिलाफ है। संविधान में अनुच्छेद 35-ए 1954 में राष्ट्रपति के आदेश से शामिल किया गया था। यह अनुच्छेद जम्मू कश्मीर के नागरिकों को विशेष अधिकार और सुविधायें प्रदान करता है और राज्य के बाहर के लोगों को यहां कोई भी अचल संपत्ति प्राप्त करने से रोकता है।
यह अनुच्छेद राज्य के बाहर के किसी व्यक्ति से विवाह करने वाली राज्य की महिला को संपत्ति के अधिकार से भी वंचित करता है और ऐसा करने वाली महिलायें और उनके उत्तराधिकारी राज्य में अपनी संपत्ति से अधिकार गंवा देते हैं। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने अनुच्छेद 35-ए को लेकर दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई आज से शुरू हुये सप्ताह के लिये स्थगित कर दी थी।
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