लद्दाख गतिरोध पर बोले सेना प्रमुख, यथास्थिति में एकतरफा बदलाव मंजूर नहीं
सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने अरुणाचल प्रदेश सेक्टर में चीन के साथ लगी सीमा के पास भारत की अभियान संबंधी तत्परता की समीक्षा की थी। क्षेत्र में उनका दौरा पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले कुछ स्थानों पर चीनी सेना के साथ भारतीय सेना के जारी गतिरोध के बीच हुआ था।
सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने पूर्वी लद्दाख गतिरोध पर कहा कि भारत के उत्तरी सीमा से लगे इलाके में स्थिति नियंत्रण में है। उन्होंने कहा कि हम पूर्वी लद्दाख में अपने दावों की शुचिता सुनिश्चित करते हुए चीन के साथ दृढ़ता से और बिना तनाव बढ़ाये व्यवहार कर रहे हैं। सेना प्रमुख नरवणे ने साफ तौर पर कहा कि भारतीय सेना इसको लेकर बहुत स्पष्ट है कि यथास्थिति में एकतरफा बदलाव नहीं करने दिया जाएगा। सेना प्रमुख ने कहा कि चीन के साथ लद्दाख गतिरोध पर अगले दौर की वार्ता में अप्रैल 2020 से पहले की यथास्थिति बहाल करने पर जोर रहेगा। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण क्षेत्रों में हमारे सैनिकों का नियंत्रण है, किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए हमारे पास ‘रिजर्व’ के रूप में पर्याप्त ताकत है। सेना प्रमुख ने कहा कि भारत का रुख बहुत स्पष्ट है कि विवाद के सभी बिन्दुओं से सैनिकों की वापसी होने से पहले कोई तनाव कम नहीं हो सकता।
सेना प्रमुख ने कहा कि यद्यपि हम एलएसी पर शांति, स्थिरता चाहते हैं और विश्वास बहाली के कदमों के लिए तैयार हैं, लेकिन हम सभी आपात स्थितियों के लिए तैयार भी हैं। चूंकि दोनों पेशेवर सेनाएं हैं, इसलिए जरूरी है कि हम जल्द से जल्द विश्वास बहाल कर स्थिति को सुलझा लें। इससे पहले सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने अरुणाचल प्रदेश सेक्टर में चीन के साथ लगी सीमा के पास भारत की अभियान संबंधी तत्परता की समीक्षा की थी। क्षेत्र में उनका दौरा पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले कुछ स्थानों पर चीनी सेना के साथ भारतीय सेना के जारी गतिरोध के बीच हुआ था। जनरल नरवणे ने उत्तर पूर्व के आंतरिक क्षेत्र में और भारत-म्यांमा सीमाओं के पास सुरक्षा परिदृश्य की भी समीक्षा की और सभी जवानों का इसी उत्साह के साथ काम करते रहने का आह्वान किया। बुधवार को, जनरल नरवणे ने कहा था कि सेना समूचे उत्तरी मोर्चे पर लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक मौजूदगी बढ़ा कर रखेगी जब तक ‘‘तनाव कम” न हो जाए। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा विवाद के मद्देनजर, सेना ने पिछले साल करीब 3,500 किलोमीटर लंबी एलएसी पर सभी संवेदनशील इलाकों में सैनिकों की तैनाती महत्वपूर्ण ढंग से बढ़ा दी थी। भारतीय वायुसेना ने भी अरुणाचल सेक्टर में एलएसी के पास हवाई क्षेत्र की निगरानी करने वाले प्रमुख अड्डों में अतिरिक्त लड़ाकू विमानों एवं हमला कर सकने वाले हेलिकॉप्टर तैनात कर दिए थे।India very clear no de-escalation can take place before disengagement at all friction points: Army Chief Naravane on Ladakh standoff with China
— Press Trust of India (@PTI_News) May 28, 2021
भारत और चीन में पिछले साल मई की शुरुआत से पूर्वी लद्दाख में कई टकराव स्थलों पर सैन्य गतिरोध जारी है लेकिन कई दौर की सैन्य एवं कूटनीतिक वार्ताओं के बाद फरवरी में उन्होंने पैंगोंग झील के उत्तरी एवं दक्षिणी किनारों से सैनिकों एवं हथियारों को पीछे हटाने का काम पूरा कर लिया है। दोनों पक्ष अब शेष बचे टकराव के स्थानों से पीछे हटने की कार्रवाई बढ़ाने के लिए बात कर रहे हैं। टकराव वाले बाकी बिंदुओं से सैनिकों की पूरी तरह वापसी की दिशा में कोई प्रगति नहीं दिख रही और चीनी पक्ष ने 9 अप्रैल को भारतीय सेना के साथ सैन्य वार्ता के 11वें दौर में अपने प्रयासों में कोई लचीलापन नहीं दिखाया था। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा था कि भारत और चीन के बीच संबंध दोराहे पर खड़े हैं और इनकी दिशा इस बात पर निर्भर करती है कि पड़ोसी देश सीमा पर अमन-चैन बनाकर रखने से संबंधित अनेक समझौतों का पालन करता है या नहीं।
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