सेना प्रमुख ने बताई भविष्य की तैयारी, अगला युद्ध स्वदेशी शस्त्र प्रणालियों के साथ लड़ेंगे
सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हमें विश्वास है कि सेनाओं को इससे बहुत लाभ मिलेगा।’’ रावत ने कहा, ‘‘भारत हथियारों और गोला-बारूद के सबसे बड़े आयातकों में से एक है और आजादी के 70 साल बाद भी ऐसा कहना कोई गौरव की बात नहीं है। लेकिन पिछले कुछ सालों में यह स्थिति बदल रही है।
नयी दिल्ली। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने मंगलवार को सशस्त्र बलों में स्वदेशी प्रौद्योगिकी को व्यापक रूप से शामिल करने की वकालत करते हुए कहा कि भारत अगला युद्ध देश में ही विकसित समाधानों के साथ लड़ेगा और जीतेगा। 41वें डीआरडीओ निदेशक सम्मेलन को संबोधित करते हुए जनरल रावत ने यह भी कहा कि शस्त्रों और अन्य प्रणालियों का विकास भविष्य के युद्धों को दिमाग में रखकर होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम भविष्य के युद्धों की रूपरेखा की ओर देखें तो जरूरी नहीं कि ये आमने-सामने से लड़े जाएं। हमें साइबर क्षेत्र, अंतरिक्ष, लेजर, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और रोबोटिक्स के विकास के साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की ओर देखना होगा।’’ रावत ने कहा, ‘‘और अगर हम इस बारे में नहीं सोचते तो बहुत देर हो जाएगी।’’
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उन्होंने पिछले कुछ दशकों में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की उपलब्धियों के लिए उसकी तारीफ की और कहा कि भारत अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में नये कीर्तिमान गढ़ रहा है। सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हमें विश्वास है कि सेनाओं को इससे बहुत लाभ मिलेगा।’’ रावत ने कहा, ‘‘भारत हथियारों और गोला-बारूद के सबसे बड़े आयातकों में से एक है और आजादी के 70 साल बाद भी ऐसा कहना कोई गौरव की बात नहीं है। लेकिन पिछले कुछ सालों में यह स्थिति बदल रही है। डीआरडीओ सेनाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रयासरत है जो स्वदेशी समाधानों से निकली हों।’’ यहां डीआरडीओ भवन में आयोजित दो दिवसीय उद्घाटन सत्र में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह विशिष्ट अतिथि थे।
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राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह तथा डीआरडीओ के प्रमुख जी सतीश रेड्डी भी इस अवसर पर उपस्थित थे। रक्षा मंत्री ने शुरूआत में डीआरडीओ परिसर में स्थित पूर्व राष्ट्रपति एपीजे कलाम की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। कलाम की 88वीं जयंती के मौके पर सिंह ने कहा, ‘‘हम उनके जीवन से प्रेरणा लें और भारत को वैज्ञानिक उपलब्धियों के माध्यम से विकसित देश बनाने के उनके सपने को पूरा करें।’’ उन्होंने दुनिया को बदलने वाली विनाशकारी तकनीकों के पहलुओं पर भी जोर दिया और कहा कि ‘‘भारत को इसमें नेतृत्व की भूमिका में उभरना होगा’’। सिंह ने देश को पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वदेशी प्रणाली पर काम करने की वकालत की। डोभाल ने कहा कि मजबूत और सुरक्षित भारत बनाने के लिए डीआरडीओ की भूमिका बहुत अहम होगी।
Army Chief General Bipin Rawat at 41st DRDO Directors Conference: DRDO has made strides in ensuring that requirements of the services are met through home-grown solutions. We are confident that we will fight and win the next war through indigenised weapons systems and equipment. pic.twitter.com/7YQlRUsVUl
— ANI (@ANI) October 15, 2019
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