अनुच्छेद 370: दो हिस्सों में बंटी कांग्रेस, कई नेताओं ने रखी पार्टी से अलग राय

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अंकित सिंह । Aug 6 2019 1:36PM

द्विवेदी ने कहा कि यह बहुत पुराना मुद्दा है। स्वतंत्रता के बाद कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नहीं चाहते थे कि अनुच्छेद 370 रहे। मेरे राजनीतिक गुरु राम मनोहर लोहिया शुरू से ही अनुच्छेद 370 का विरोध करते थे।

सोमवार को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल राज्यसभा में पास हो गया और आज लोकसभा में भी पास हो जाएगा। अनुच्छेद 370 हटाने और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल लेकर आने के मोदी सरकार के फैसले को एतिहासिक माना जा रहा है। राज्यसभा में सरकार के इस फैसले का आप, बसपा, बीजेडी और टीडीपी जैसी भाजपा विरोधी पार्टियों ने भी इसका समर्थन किया। मोदी सरकार के इस फैसले के बाद देश भर में जश्न की शुरूआत हो गई। जगह-जगह मिठाईयां बांटी गईं तो कई जगह पटाखें भी फोड़े गए। इन सब के बीच सरकार के इस फैसले पर देश की सबसे पुरानी और मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के अंदर मतभेद देखने को मिले। भले ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने राज्यसभा में इसका जमकर विरोध किया हो पर सदन के बाहर इस मामले को लेकर कांग्रेस ने चुप्पी साध रखी है।  

पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने इस मामले को लेकर 24 घंटे बाद भी एक ट्वीट नहीं किया है। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी भी इस मामले को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ एक के बाद एक बैठकें कर रही हैं। इस मामले पर पार्टी ने अब तक कोई अधिकारिक प्रेस कांफ्रेंस भी नहीं की। आज 24 घंटे के बाद इस फैसले पर चुप्पी तोड़ते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि राष्ट्रीय एकीकरण एकतरफा रूप से जम्मू और कश्मीर को तोड़कर, चुने हुए प्रतिनिधियों को कैद करके और हमारे संविधान का उल्लंघन करके नहीं हो सकता है। उन्होंने इसे संविधान का उल्लंघन बताया। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्र अपने लोगों द्वारा बनाया गया है, न कि भूमि के भूखंडों द्वारा। पार्टी नेता जो विरोध करते दिखे, उनका ज्यादा जोर जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल का विरोध करने पर रहा। हालांकि अनुच्छेद 370 पर भी पार्टी नेताओं ने अपने विरोध दर्ज कराए। 

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खैर, इस मामले पर पार्टी बंटती हुई दिख रही है। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस के कुछ नेता यह मानते हैं कि पार्टी इसका विरोध करने के बजाए कोई बीच का रास्ता निकालती। ये नेता यह भी मान रहे है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की खामोशी भी पार्टी में भ्रम की स्थिति पैदा कर रही है। कुछ नेता तो अब खुलकर पार्टी के खिलाफ बोलने लगे हैं हालांकि वह इसे अपनी निजी राय बताकर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश भी कर रहे हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता जनार्दन द्विवेदी ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित क्षेत्रों में बांटने के केंद्र सरकार के कदम का समर्थन किया और अपनी पार्टी के रुख के विपरीत राय रखते हुए कहा कि सरकार ने एक ‘‘ऐतिहासिक गलती’’ सुधारी है। द्विवेदी ने कहा कि यह बहुत पुराना मुद्दा है। स्वतंत्रता के बाद कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नहीं चाहते थे कि अनुच्छेद 370 रहे। मेरे राजनीतिक गुरु राम मनोहर लोहिया शुरू से ही अनुच्छेद 370 का विरोध करते थे। मेरे व्यक्तिगत विचार से तो यह एक राष्ट्रीय संतोष की बात है। 

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पार्टी के युवा नेता और राहुल गांधी के करीबी दीपेंद्र हुड्डा ने भी मोदी सरकार के इस कदम की सराहना की है। हुड्डा ने ट्वीट किया कि मेरी व्यक्तिगत राय रही है कि 21वीं सदी में अनुच्छेद 370 का औचित्य नहीं है और इसको हटना चाहिए। ऐसा सिर्फ देश की अखण्डता के लिए ही नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर जो हमारे देश का अभिन्न अंग है, के हित में भी है। उन्होंने आगे कहा कि कहा अब सरकार की यह ज़िम्मेदारी है की इस का क्रियान्वयन शांति व विश्वास के वातावरण में हो। मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा ने ट्वीट करके कहा कि दुर्भाग्य से आर्टिकल 370 के मसले को लिबरल और कट्टर की बहस में उलझाया जा रहा है। पार्टियों को अपने वैचारिक मतभेदों को किनारे कर भारत की संप्रभुता, कश्मीर शांति, युवाओं को रोजगार और कश्मीरी पंडितों के लिए न्याय के लिहाज से सोचना चाहिए। हालांकि अपने ट्वीट में उन्होंने मोदी सरकार की आलोचना भी की। वहीं रायबरेली सदर की विधायक और प्रियंका गांधी की बेहद करीबी अदिति सिंह ने ट्वीट किया, “युनाइटेड वी स्टेंड....जय हिंद...#आर्टिकल 370“

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